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Friday, September 20, 2024
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असम-मिजोरम संकट: RSS ने दिया एकता का संदेश, जानें विवाद की वजह

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नई दिल्ली। असम और मिजोरम विवाद दिन बी दिन तूल पकड़ता ही जा रहा है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने असम और मिजोरम को एक संदेश भेजा है, जिसमें ”वन नेशन, वन पीपल” यानी एकता का संदेश दिया गया है। आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने एक वीडियो मैसेज में कहा है कि ” यह शांति के लिए एक विनम्र अपील है। मिजोरम और असम के मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों….

दरअसल, दोनों राज्यों में विवाद के बीच मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों की एक टीम पर हाल ही में गोलीबारी कर दी थी। जिसमें असम पुलिस के अब तक सात कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई है। एक पुलिस अधीक्षक सहित 50 से अधिक अन्य लोग जख्मी हो गए थे। इस हिंसा के बाद से दोनों राज्यों में तनाव का माहौल बना हुआ है। हालांकि, केंद्र सरकार भी लगातार पहल कर हल निकालने के लिए बैठक की जा रही है। इससे पहले यहां साल 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई थी।
वहीं, भारतीय ईसाई मंच के मुख्य संरक्षक और आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, “यह शांति के लिए एक विनम्र अपील है. मिजोरम और असम के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों… हमारा एक राष्ट्र, एक संविधान, एक राष्ट्रीय ध्वज है और इसलिए हम एक लोग हैं। आइए हम किसी भी संघर्ष से बचें और शांति बनाए रखें और समृद्ध महान भारत के लिए आपस में एक दोस्ताना माहौल बनाएं और भड़काने वालों से सावधान रहें।
विवाद की यह है वजह: मिजोरम के लोगों का मानना है कि सीमा को सन् 1875 के नोटिफिकेशन के आधार पर रेखांकित करना था। यह नोटिफिकेशन बंगाल ईस्‍टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR) एक्‍ट, 1873 से तैयार किया गया था। मिजो नेताओं का कहना है कि पहले भी सन् 1933 के आधार पर तय हुई सीमा का विरोध किया जा चुका है। उनका तर्क है कि सीमा का निर्धारण करते समय मिजो नागरिकों से पूछा नहीं गया था और इसमें उनकी सलाह भी नहीं ली गई थी। मिजो नेताओं की मानें तो असम सरकार सन् 1933 के सीमा निर्धारण को मानता है और संघर्ष की असली वजह यही है। मिजोरम की सीमा असम के कछार और हाइलाकांडी जिलों से लगती है. यहां जमीन को लेकर दोनों राज्यों के बीच आए दिन तनातनी होती रहती है। पहाड़ी इलाकों में कृषि के लिए जमीन बहुत कम है। इसीलिए जमीन के छोटे से टुकड़े की अहमियत बहुत बड़ी होती है।

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