मुंबई। महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुगलिया आतताइयों की तरह बेरहम रुख अख्तियार करते हुए वर्षों से नायगांव पुलिस कॉलोनी में रहने वाले पुलिसकर्मियों के परिवारों को अचानक बेदखल करने का नोटिस जारी कर अपनी अत्याचारी मंशा की साजिश उजागर कर दी है। लेकिन हम किसी भी पुलिसकर्मी के परिवार को बेघर नहीं होने देंगे। न्याय के अधिकार को लेकर हम पुलिस बंधुओं के साथ मजबूती से खड़े हैं’, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने नायगांव पुलिस कॉलोनी निवासी पुलिसकर्मियों के परिवारों को यह भरोसा दिलाते हुए ठाकरे सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उन्हें घरों से बाहर निकालने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया, तो उसे सबसे पहले हमें कुचलकर फिर आगे बढ़ना होगा।’ दरेकर नायगांव पुलिस कॉलोनी के घरों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी होने की सूचना मिलते ही तुरंत वहां के दौरे पर पहुंचे थे।
क्या अब पुलिस सपरिवार सड़क पर रहेगी?
प्रवीण दरेकर के साथ इस दौरान विधायक कालिदास कोलंबकर भी मौजूद थे। उन्होंने पुलिसकर्मियों के परिजनों से मुलाकात कर उनसे विविध समस्याओं के बाबत चर्चा करने के बाद मीडिया से बातचीत में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की आतताई नीतियों पर प्रहार कर कहा,’ पुलिस को उनके पारिवारिक सदस्यों समेत घर से निकलने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है… क्या कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अथक परिश्रम कर लोगों की रक्षा करने वाली पुलिस अब सपरिवार सड़क पर रहेगी ? हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम उनके न्याय-हक के लिए लड़ेंगे। यदि पुलिस कॉलोनी की मरम्मत के लिए आवश्यक धनराशि से राज्य सरकार पलायन कर रही है, तो हम सब विधायक मिलकर इसके लिए निधि जुटाएंगे, लेकिन पुलिस भाइयों को किसी भी स्थिति में बेघर नहीं होने देंगे।
सरकार को अफसरों की चिंता है, दिन-रात खपने वाले कर्मियों की नहीं
दरेकर ने यह भी कहा कि आईपीएस अफसरों के लिए इस इलाके में बड़े टावर बनाए जाने हैं, इसलिए सरकार उन्हें लेकर चिंतित है। लेकिन सरकार को दिन-रात काम करने वाली पुलिस की कोई परवाह नहीं है, यह उसकी दोगली मानसिकता का परिचायक है। लेकिन हम ठाकरे सरकार के इस नापाक मंसूबे को कतई सफल नहीं होने देंगे। उच्च वेतन वाले आईपीएस अफसर अपनी जुगाड़ कहीं भी कर सकते हैं, लेकिन उनकी अपेक्षा बेहद कम वेतन वाले पुलिसकर्मी अपनी तनख्वाह से एक साधारण झोपड़ी भी नहीं खरीद सकते, सरकार को उनके घरों के खिलाफ नोटिस जारी करते समय इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था।