प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी शानदार भाषण शैली से एक बार फिर लाल किले के प्राचीर से भारतीय जन मन में देशवासियों का दिल जीता है। उनके भाषण से एक उम्मीद जगती है कि भविष्य में सब कुछ ठीक होगा। हम दुनिया में आगे निकलने की दौड़ में शामिल हैं। हम जल्द ही प्रोडक्शन में चीन को पीछे छोड़ सकते हैं। बेरोजगार युवकों को लिए सरकार चिंतित है उनके लिए भी योजनाएं हैं।
देश में तैयार होने वाली 35 फीसदी चीनी का उत्पादन सहकारिता से जुड़ी समितियां करती हैं। बैंकिंग और फाइनेंस को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने में भी सहकारिता का बड़ा योगदान रहा है। नाबार्ड की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक ने कृषि क्षेत्र से जु़ड़ी इंडस्ट्री को 1 लाख 48 हजार 625 करोड़ रुपए का लोन बांटा है यानि छोटे किसानों के संकट के समय भी इनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
सरकार सहकारी क्षेत्र में सुधार के लिए कितना गंभीर है ये दो काम स्पष्ट करते हैं, पहला केंद्र में एक अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन और दूसरा सहकारी बैंकों को फ्रॉड और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए उसे रिजर्व बैंक के नियंत्रण में लाने की कवायद. हाल ही में बैंकिंग नियम अधिनियम 1949 में कुछ संशोधन किए गए थे, यूसीबी पर यानि शहरी सहकारी बैंकों पर आरबीआई की शक्तियां बढ़ गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसा लाल किले से कहा कि भारत आने वाले कुछ समय में गति शक्ति योजना का एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान देश के समक्ष रखेगा। मोदी के अनुसार 100 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की यह योजना लाखों बेरोजगार लोगों के लिए रोजगार का अवसर मुहैया कराएगी, यह पूरे देश के लिए ऐसा मास्टर प्लान होगा, जो हॉलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखेगा, अभी परिवहन के साधनों में कोई तालमेल नहीं है। यह योजना इस गतिरोध को भी तोड़ेगी।
प्रधानमंत्री बार-बार नौकरियों के बजाय स्वरोजगार की बात करते रहे हैं, इसके साथ ही समझा जा रहा है कि कई तरह के स्पेशल इकॉनामिक जोन के खुलने के लिए भी ये योजना कारगर साबित हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस मोबाइल का हम बड़े पैमाने पर आयात करते थे अब हम बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना न केवल विनिर्माण के पैमाने को बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि वैश्विक गुणवत्ता और दक्षता के स्तर को भी बढ़ाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि भारत एक समय करीब आठ अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन का आयात करता था, पर आज यह घटकर 2 अरब डॉलर रहा गया है। सात साल पहले, देश केवल 30 करोड़ डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन निर्यात करता था और अब यह बढ़कर 3 अरब डॉलर हो गया है। जबसे कोरोनावायरस दुनिया भर में कमजोर हुआ है, तब से पूरी दुनिया के बाजार फिर से खुलने लगे हैं। इसके साथ ही लोगों की डिमांड भी बढ़ने लगी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के नए जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 के महीने में देश ने बीते 9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर एक्सपोर्ट किया है। इस बार जुलाई महीने में देश ने 35.17 अरब डॉलर के वाणिज्य वस्तुओं का निर्यात किया है। इस बार जुलाई महीने में गैर पेट्रोलियम वस्तुओं का निर्यात 29.57 अरब डॉलर का था, जो पिछले साल की तुलना में 34.39 फ़ीसदी ज़्यादा था. वहीं अगर इसकी तुलना जुलाई 2019 से करें तो यह 30 फ़ीसदी ज़्यादा है। पीएम ने लाल किले के प्राचीर से एक बार फिर कहा है कि ‘‘छोटा किसान बने देश की शान, यह हमारा सपना है, आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा।
आजकल किसी भी देश के विकास और ताकत का पैमाना उसके खेल शक्ति होने से भी आंका जाता है. भारत इस दिशा में बस फर्राटा भरने ही वाला है, इसे देखते ही पीएम ने मूलभूत सुधार के लिए जरूरी चीजों पर ध्यान दिया है,हमारे एजुकेशन सिस्टम में अगर स्पोर्ट को मेन स्ट्रीम में शामिल कर लिया गया तो हमें आधी सफलता तो वैसे ही मिल गई. क्योंकि हमारे देश में बचपन में ही बहुत सी प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं, अगर स्पोर्ट मेन स्ट्रीम में आता है तो समझिए बहुत पदकवीर होनहार अपने लक्षण शुरू में दिखा देंगे और उनकी प्रतिभा को मरने के पहले निखारा जा सकेगा।
हमारा देश को महिलाओं को अधिकार देने में यूरोप और अमेरिका के देशों से भी आगे रहा है। अब पीएम मोदी ने कहा है कि सैनिक स्कूलों में भी देश की बेटियां एडमिशन ले सकेंगी, यह देश के लिए गौरव की बात है कि शिक्षा हो या खेल, बोर्ड्स के नतीजे हों या ओलिंपिक का मेडल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं। दो-ढाई साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था. अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा,मुझे लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वो भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं।