नई दिल्ली। पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट और आईसीएआर की बैठक में बड़ा फैसला किया गया। मोदी सरकार पाम ऑयल मिशन को मंजूरी दी है। इसमें लगभग 11 हजार करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे। पॉम मिशन के तहत पॉम की खेती को बढ़ावा देने लिए कई स्कीम तैयार की गई है। इससे छोटे किसानों को भी फायदा होगा। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि अभी पाम की खेती हो रही है ,लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर किये जाने की तैयारी की जा रही है जिससे किसानों को फायदा होगा।
छोटे किसानों के लिए पाम की खेती चुनौतीपूर्ण: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पाम ऑयल मिशन का मुख्य उद्देश्य किसानों को ताजे फलों के गुच्छों के लिए सुनिश्चित व्यवहारिक मूल्य प्रदान करना है। अगले 5 वर्षों में 11,040 करोड़ की कुल लागत वाले मिशन उत्तर-पूर्वी राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 के साथ पाम ऑयल रोपण के अंतर्गत 6.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। रबी सीजन के वक्त हमने अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को लोगों के बीच वितरित किया, जिससे उत्पादन और रकबे में बढ़ोतरी हुई, लेकिन अभी भी हमें अपनी आपूर्ति के लिए तेल आयात करना पड़ता है। इसमें बड़ा हिस्सा पाम ऑयल का है। कुल तेल आयात का 56 प्रतिशत पाम ऑयल है। आईसीएआर ने बताया था कि 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती की जा सकती है. इसमें से एक बड़ा हिस्सा पूर्वोत्तर में है। छोटे किसान के लिए पाम की खेती मुश्किल है क्योंकि फसल लगाने के 5 और पूरी तरह से 7 साल बाद पैदावार मिलती है। इसके अलावा दाम के उतार चढ़ाव के कारण भी छोटे किसानों के लिए पाम की खेती चुनौतीपूर्ण है।
5 करोड़ रुपए की दी जाएगी सहायता: पूर्वोत्तर भारत में लॉजिस्टिक से लेकर तमाम समस्याएं हैं। वहां उत्पादन भी अगर होगा तो इंडस्ट्री नहीं है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने ऑयल पाम मिशन की शुरुआत की और तमाम समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए गए। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भाव को लेकर हमने एमएसपी जैसी सुविधा बनाई है। इसके अलावा अगर भाव गिर गए तो किसानों को केंद्र सरकार डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी। वहीं पौध की कमी को दूर करने के लिए 15 एकड़ तक की नर्सरी के लिए 5 करोड़ रुपए और पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का निर्णय किया गया है। इस काम में कुल 11,040 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
तेल की खपत में सालाना 3.5 फीसद बढ़त: कृषि मंत्री ने कहा कि 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है पाम की खेती और आगे चलकर यह 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हो जाएगी। बता दें कि भारत की आबादी में हर साल करीब 2.5 करोड़ लोग जुड़ते जा रहे हैं। इसके हिसाब से खाने के तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान है। मौजूदा समय में एक साल में भारत सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है। देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाने के तेल की जरूरत होती है।