इस्लामाबाद। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा में तनातनी से सरकार संकट के बादल छाने लगे हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि जल्द ही इस मसले को सुलझा लिया जायेगा। दोनों में नए आईएसआई डीजी की नियुक्ति को लेकर विवाद है। खान नए आईएसआई डीजी की नियुक्ति को लेकर स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। वहीं बाजवा इस बात पर अड़े हुए हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद आईएसआई के महानिदेशक के रूप में और आगे पद पर नहीं रह सकते हैं।
सूत्रों का दावा है कि प्लान-बी पर भी काम चल रहा है। नए आईएसआई डीजी की नियुक्ति से संबंधित एक नया सारांश रक्षा मंत्रालय और सेना द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा, जिसमें आईएसआई डीजी के लिए तीन नए नाम खान और बाजवा को प्रस्तुत किए जाएंगे। हालांकि बताया जा रहा है कि इन नामों की सूची में न तो लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद और न ही लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम का नाम होगा। इससे पहले बाजवा ने हमीद की जगह नदीम को आईएसआई का प्रमुख नियुक्त किया था और हमीद को कोर कमांडर के तौर पर पेशावर भेजा गया था। जहां हमीद का स्थानांतरण सेना प्रमुख का विशेषाधिकार है।
वहीं कागज पर आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति पीएम द्वारा सेना प्रमुख के परामर्श से की जाती है। खान ने बाजवा को बताया कि नदीम को आईएसआई प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के लिए उनसे सलाह नहीं ली गई थी। सूत्रों का दावा है कि बाजवा ने खान से कहा कि यह एक रणनीतिक सैन्य निर्णय है और नागरिक सरकार को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए, लेकिन खान ने जोर देकर कहा है कि हमीद को ही आईएसआई प्रमुख के रूप में बने रहना चाहिए। उस पर खान को स्पष्ट रूप से कहा गया कि जिसे वह पसंद करते हैं वह अपने पद पर हमेशा के लिए नहीं बने रह सकते हैं। पाकिस्तानी पत्रकार रऊफ क्लासरा ने कहा, ‘नए महानिदेशक (डीजी) की नियुक्ति की जाएगी और इस पद के लिए न तो जनरल फैज और न ही जनरल नदीम अंजुम पर विचार किया जाएगा, लेकिन नागरिक प्रमुख और सैन्य प्रमुख के बीच संबंध को ठीक करना मुश्किल है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि पीएम खान ने सेना के ‘आंतरिक’ मामले में दखल देकर शायद लाल रेखा को पार किया हो वे यह भी सोच रहे हैं कि खान फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख के रूप में रखने पर जोर क्यों दे रहे है?पाकिस्तान में एक धारणा है कि इमरान खान ने बाजवा को हमीद को दिसंबर तक बने रहने के लिए कहा था, लेकिन बाजवा ने इनकार कर दिया। इससे पहले उन्होंने पहले आईएसआई प्रमुख के रैंक को कोर कमांडर के बराबर बनाने का प्रस्ताव रखा और फिर हमीद को पेशावर के कोर कमांडर की भूमिका को एक अतिरिक्त प्रभार के रूप में लेने का प्रस्ताव दिया. हालांकि बाजवा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे, क्योंकि इससे उनके शीर्ष सैन्य नेतृत्व में नाराजगी पैदा हो जाती।