देश के कर्नाटक राज्य के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद देखते ही देखते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक चर्चा का विषय बन गया है। बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी शिक्षण संस्थानों में हिजाब का तीव्र विरोध करते हुए कहा कि हिजाब, बुर्का और नकाब अत्याचार का द्योतक हैं। लगातार 4 दिनों से शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर रोक मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई की जा रही है|
शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर रोक लगाने के खिलाफ याचिका पर कर्नाटक हाई कोर्ट सुनवाई की जा रही है। स्कूल और कॉलेज में यूनिफॉर्म ड्रेस कोड को लेकर तस्लीमा नसरीन ने कहा, मुझे लगता है कि शिक्षा का अधिकार ही धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन सातवीं शताब्दी में नारी विरोधी लोग इस हिजाब को लेकर आए थे क्योंकि वे महिलाओं को सिर्फ अपनी जरूरत की वस्तु से ज्यादा कुछ नहीं मानते थे।’
उन्होंने कहा, ‘उन लोगों को लगता था कि महिलाओं को बुर्का और हिजाब पहनना चाहिए। उनको पुरुषों से खुद को छिपाकर रखना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे आज के समाज में जहां पुरुष और महिलाएं बराबर हैं। इसलिए हिजाब और नकाब महिलाओं पर अत्याचार की निशानी है।’ हिजाब मामले में हाई कोर्ट में आज भी सुनवाई होनी है। वहीं कल की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने चूड़ी, बिंदी और पगड़ी को लेकर दलील दी। उन्होंने कहा कि अगर चूड़ी पहने हिंदू लड़कियों, क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को स्कूल से बाहर नहीं किया जाता है तो मुस्लिम लड़कियों को क्यों बाहर निकाला जाता है।
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