रूस-उक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है| टैंक, बमवर्षक विमान, मिसाइल और गोलों से यूक्रेन में रूस की ओर बरसाये जा रहे हैं|यूनियन संगठन की तमाम वादों और मिले आश्वासन सब धरे के धरे रह गए, जिसके दम पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ युद्ध का बिगुल फूंका था|स्थिति आज एकदम अलग दिखाई दे रही है|जेलेंस्की के बार-बार गिड़गिड़ाने के बाद भी अमेरिका और उसके तमाम संघीय देशों ने अभी तक कोई मदद नहीं पहुँचायी है|
गौरतलब है कि ओशकिव ब्लैक सी यानी काले सागर के तट पर बसे शहर ऐतिहासिक शहर ओडेसा के नजदीक यूक्रेन का नौसैनिक अड्डा है|रूस तो थल सेना की ताकत वाला मुल्क है, जिसके सहारे यूक्रेन को कब्जाया जा सकता था| लेकिन इस जंग के लिए ब्लैक सी में रूसी नौ सेना का बेड़ा भी काम पर था|
रूस के जंगी जहाज सेवास्टोपल से ओशकिव को निशाने पर रखे हुए थे|क्रीमिया के बंदरगाह शहर सेवास्टोपल में रूस का नौसेना अड्डा है|रूस ने पहले ही हमले में ओशकिव को निशाना क्यों बनाया|नाटो और रूस के बीच टकराव में ओशकिव और सेवास्टोपल जैसे शहरों की क्या भूमिका है|एक फिर से इतिहास के पन्ने में झांक कर देखना जरुरी होगा|
17 वीं सदी के आखिर से लेकर 18 वीं सदी के मध्य तक करीब 29 साल के अपने शासन में पीटर ने कई सुधार किए| पीटर द ग्रेट ने अपने शुरुआती सालों में ही समझ लिया था कि रूस के पास समुद्री तट सीमित हैं|कहते हैं कि करीब एक लाख गुलाम कुर्बानीके बाद रूस एक शानदार शहर बना जिसे उत्तर का पेरिस कहते हैं|
बीसवीं सदी के मध्य मे शीत युद्ध शुरुआत के साथ अमेरिका ने ट्रूमन डॉक्टरिन पर अमल शुरु किया और 1952 टर्की और ग्रीस नाटो के सदस्य हो गए| इसके साथ ब्लैक सी और आसपास के इलाके में अमेरिका का दबदबा बढ़ गया|
पुतिन ऐसा कैसे होने दे सकते हैं|इसलिए उनकी पहली मिसाइल यूक्रेन के ओशकिव बंदरगाह पर गिरी, जो भविष्य में नाटो का नौसैनिक अड्डा बन सकता है| ओशकिव करीब 234 साल बाद युद्ध देख रहा है|ब्लैक सी तट का यह शहर इस बात का सबूत है|पीटर से पुतिन तक 500 साल में ब्लैक सी पर नियंत्रण की रूसी जिद जरा भी कम नहीं हुई है. ब्लैक सी में इतिहास खुद को इतनी बार दोहरा चुका है कि इतिहास खुद आश्चर्य में पड़ जाता है|
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