राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण उपरोक्त सुविधा को ‘‘अपवाद’’ के रूप में 2020 और 2021 के बीच ‘‘मानवीय आधार पर’’ शुरू किया गया था। सरकार ने कहा कि हालांकि, अब मुलाकात या कैदियों और उनके वकीलों तथा अन्य आगंतुकों के बीच भेंट फिर से शुरू कर दी गई हैं, तो उपरोक्त सुविधाएं वापस ले ली गई हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि राज्य में टेलीफोन और वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा जारी रखने के लिए आवश्यक ‘‘मशीनरी या बुनियादी ढांचा’’ नहीं है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के वकील, महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को निर्देश दिया कि वह राज्य के एक या उससे अधिक जेलों का दौरा करें और कैदियों को फोन तथा वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच जैसी सुविधाओं का मुआयना करें। पीठ ने कुंभकोणी को जेलों में ऐसी सुविधाओं की स्थिति पर तीन सप्ताह के भीतर एक ‘‘स्वतंत्र रिपोर्ट’’ दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘अधिकतर जेलों में 600 कैदियों की जगह है, लेकिन वहां 3,500 से अधिक कैदी बंद हैं। इसलिए सभी सुविधाओं को इन आंकड़ों के हिसाब से बढ़ाना चाहिए। कैदियों को उनके मुकदमों की स्थिति और वे कितनी सजा काट चुके हैं, यह पता होना चाहिए। जेलों का दौरा करने के बाद आपका नजरिया बदल जाएगा।’’ अदालत ने कहा, ‘‘हम इस मामले में तीन सप्ताह के बाद सुनवाई करेंगे। इस बीच न्यायमूर्ति शिंद के सुझाव पर आप (महाधिवक्ता) जेल का दौरा करें और हमें एक स्वतंत्र रिपोर्ट सौंपे।’’