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Friday, September 20, 2024
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भारत में ही नहीं विदेशों में भी गणपती बप्पा की धूम

सार्वजनिक स्थलों और घरों में भगवान गणेश का आगमन

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गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू भगवान गणेश के जन्म की याद में मनाया जाता है । इस वर्ष 31 अगस्त को बप्पा का आगमन हो रहा हैं और आखिरकार कोरोना काल के दो वर्ष बाद गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। त्योहार को घरों में और सार्वजनिक रूप से विस्तृत पंडालों में गणेश की मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना के साथ चिह्नित किया जाता है। प्रसाद के रूप में मोदक जैसी मिठाइयाँ शामिल होती हैं क्योंकि इसे गणेश का पसंदीदा माना जाता है। गणेश चतुर्थी के सार्वजनिक उत्सव की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा वर्ष 1893 में पुणे में की गई थी। त्योहार गणेश को नई शुरुआत के देवता और बाधाओं के निवारण के साथ-साथ ज्ञान और बुद्धि के देवता के रूप में मनाता है। यह उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है, खासकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र , कर्नाटक, आंध्र और गोवा जैसे राज्यों में। देश के अलावा विदेशों में भी यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जैसे नेपाल, ऑस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड , कनाडा , सिंगापुर , मलेशिया , मॉरीशस , दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी मनाया जाता है।

वैसे तो सारे देश में गणेश उत्सव का पर्व मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में गणपती की धूम सबसे अत्यधिक देखने मिलती है। महाराष्ट्र की गणपती पूजा सबसे ज्यादा मशहूर है इसी नाते गणेश उत्सव में शामिल होने के लिए दूर दराज से लोग यहाँ पहुंचते है। महाराष्ट्र के सबसे बड़े त्योहारों में गणेशोत्सव शामिल है। गणपती पर्व के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र के कई शहरों में भव्य गणपती पंडाल लगाया जाता हैं। इन पंडालों में आम जनता से लेकर दिग्गज सेलिब्रिटीज भी शामिल होते हैं। भगवान गणेश की तरह-तरह की मूर्तियों को दूर दराज के लोग आकर बनाते हैं। मुंबई के प्रसिद्ध पंडालों की चर्चा आज हम यहाँ करेंगे।  

मुंबई के लालबाग बाजार, जीडी गोयनका रोड पर सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडाल सजता है। इस पंडाल को ‘लालबाग चा राजा’ कहा जाता है। मुंबई के लालबाग के राजा के इस पंडाल पर हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। 1934 से ही यहां गणपति की मूर्ति स्थापित की जा रही है। इस गणपति पंडाल में विराजमान गणेश जी को मन्नतों का गणपति भी माना जाता है।  

लालबागचा राजा से कुछ ही दूर पर स्थित मुंबई के गणेश गली में स्थित ‘मुंबईचा राजा’ विराजमान हैं।  यह भी मुंबई के प्रसिद्ध पंडाल में से एक है। 1928 में मिल श्रमिकों के लिए इस गणपति पंडाल की शुरुआत हुई थी। हर साल गणेश गली मुंबईचा राजा में एक थीम पर आधारित गणेश पंडाल का आयोजन होता है। 

गणेश उत्सव में मुंबई के गणपति पंडालों में शामिल ”अंधेरीचा राजा’ भी मशहूर है। सन 1966 से ही इस गणपति पंडाल के आयोजन की शुरुआत हुई थी। 10 दिवसीय गणेश उत्सव में यहां कई मशहूर हस्तियां शामिल होती हैं। अंधेरीचा राजा गणपति पंडाल की सजावट बहुत सुंदर और आकर्षित होती है। 

मुंबई के गोल्ड गणेश के नाम से मशहूर जीबीएस सेवा मंडल का गणपति पंडाल भी काफी मशहूर है। यहां के गणपति प्रतिमा की सजावट असली सोने के आभूषणों से होती है। इसे शहर का सबसे अमीर मंडल माना जाता है। ये एकमात्र पंडाल है, जहां गणेश उत्सव के 10 दिनों में 24 घंटे अनुष्ठान विधि की जाती है। यहां की सजावट और म्यूजिक दोनों ही खास होती है। 

वैसे तो यह पर्व महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन साथ ही दिल्ली- एनसीआर सहित यूपी के कई शहरों में यह पर्व मनाया जाता है। मुंबई के बाद उत्तर प्रदेश के संभल के चंदौसी क्षेत्र में भगवान श्री गणेश की भव्य शोभायात्रा का आयोजन पिछले 52 सालों से किया जा रहा है। जहां लोगों ने कोरोना के बाद इस साल भगवान श्री गणेश को सोने से सजा रहे है। बता दें कि भगवान गणेश की सोने की मूर्ती 18 फीट की होगी। इस समिति में भगवान गणेश को हर साल एक नए अंदाज में सजाया जाता है। जोकि आकर्षण का केंद्र होता है। पहले एलईडी लाइट फिर उसके बाद अष्टधातु और इस बार सोने की धातु से भगवान श्री गणेश का श्रृंगार किया जा रहा है। यहां पर चंदौसी के ऐसे अनेकों लोग हैं, जो नौकरी और अपना व्यापार करते हैं। समिति के लोग अपने सारे काम छोड़ कर इस शोभा यात्रा के लिए भगवान को दिन-रात लगाकर सजाते हैं। खास बात यह हैं कि यहाँ पर काम करनेवाले वालें लोग काम की मजदूरी नहीं लेते हैं। संभाल के चंदौर में लाखों लोग भगवान श्री गणेश के शोभा यात्रा में शामिल होते हैं। यहाँ लगभग 15 दिनों से ज्यादा मेले का आयोजन किया जाता है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के वैशाली में भगवान गणेश की तरह तरह की मूर्तियाँ बाजारों में देखने मिली हैं। यहाँ के मूर्तिकारों का कहना हैं कि हमारे यहाँ 500 से लेकर 50 हजार रुपए तक की मूर्तियाँ हैं। गजानन की मूर्तियाँ सीमित बनाई गई थी लेकिन उनकी डिमांड ज्यादा थी।   

महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली में भी दो साल बाद गणपती बप्पा का पूरे धूमधाम से बाजों नगाड़ों के साथ स्वागत किया जा रहा हैं। इस बार यहाँ गणपती पूजा की तैयारियों का उत्साह देखते ही बन रहा है। लक्ष्मी नगर के श्री गणेश सेवा मण्डल में 21 वें गणेश महोत्सव की तैयारी जोरोशोरों से प्रारंभ है। शोभायात्रा के साथ ही गणपती की स्थापना होगी। वहीं दिल्ली में महाराष्ट्र मित्र मण्डल की और से द्वारका सेक्टर-6 के अपार्टमेंट में गणेशोत्सव का आयोजन हो रहा है। यहाँ सोसायटी के सामुदायिक भवन में गणपती स्थापित की जा रही है। यहाँ पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर मिट्टी की मूर्ति तैयार करवाई गई है। सोसाइटी में पानी के टब में ही बप्पा का विसर्जन सम्पन्न होगा।  

आमतौर पर लोग यही सोचते हैं कि भगवान की पूजा केवल भारत में होती है। और गणपती बप्पा को केवल यहीं के लोग मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। विदेश में भी इस उत्सव को लेकर काफी क्रेज है। वैसे देखा जाए तो भगवान गणेश की मूर्तियाँ म्यांमार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, मंगोलिया, जर्मनी और फ़्रांस सहित अन्य देशों में रहनेवाले अप्रवासी भारतीय पूजा करते ही हैं लेकिन कुछ देशों में खास तौर पर इनकी पूजा होती है। हालांकि यहाँ त्योहार संक्षिप्त ररोप से मनाया जाता है। यहाँ के लोग भगवान गणेश की मूर्ती को अपने घरों में स्थापित करते हैं। विदेशों में रहनेवाले अप्रवासी भारतीय भगवान गणेश की पूजा बड़े ही विधि विधान से करते हैं। महाराष्ट्र में स्थापित गणेश मूर्तियों को हवाई सेवा के माध्यम से विदेश भेजा जाता है। महाराष्ट्र के मूर्तिकार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शाडु की मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की मांग केवल भारत में नहीं विदेश में भी बढ़ी है मूर्तिकार ने बताया कि इस वर्ष 300 से अधिक गणेश प्रतिमाओं को यूके, दुबई और सऊदी अरब एयर कार्गो के माध्यम से भेजा गया। शाडु मिट्टी की पारंपरिक गणेश मूर्तियों को विदेश में रह रहे गणेश भक्तों द्वारा अधिक सराहा जाता है। विदेश में इस त्योहार को मनाने के साथ ही इस दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया जाता है। भारत के बाहर भगवान गणपती बप्पा के पर्व को मनाने वाले देशों की सूची कुछ इस प्रकार है।  

मारीशस में स्थानीय हिन्दू समुदाय द्वारा 1982 से ही गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस त्योहार के पहले दिन मारीशस में सार्वजनिक अवकाश होता है। हालांकि सार्वजनिक नहीं परंतु क्षेत्रीय मंदिरों और व्यक्तिगत घरों में यह पर्व मनाया जाता है। मंदिरों में इस त्योहार को मनाना गौरव की बात है। यहाँ पर भक्त गणेश चतुर्थी के पर्व आर मंदिरों में जाते हैं आरती करते हैं और पारंपरिक नृत्य भी करते हैं। कनाडा की राजधानी टोरंटो में कई भारतीय हैं जो भारत में अपने -अपने घर से गणेश की मूर्ति प्राप्त करते है। सीमित संसाधनों में भी एक साथ होकर एक पर्व को भव्य बनाते हैं, आरती गते हैं और प्रसाद बांटते हैं। इस त्योहार के दौरान विशिष्ट भारतीय संस्कृति का पालन करना जारी रखते हैं।  

ऐसे ही अमेरिका में रहनेवाले एक बड़े भारतीय समुदाय के द्वारा इस त्योहार को बड़े पैमाने में मनाया जाता है। वे मुंबई से मूर्तियों का आयात करते हैं और उत्सव 11 वें दिन तक जारी रहता है। यह त्योहार वहाँ के 10,000 से अधिक आंगतुकों को आकर्षित करता है। इस बड़ी पूजा के सांस्कृतिक वातावरण में आरती, संगीत और नृत्य होता है। लंदन का प्रमुख शहर हाऊनस्लों में भी बड़े पैमाने पर भगवान गणेश का स्वागत करता है। इस त्योहार को मनाने के लिए हर साल 5000 से अधिक लोग दर्शन के लिए आटे हैं। गणेश की मूर्ती को लक्ष्मी नारायण मंदिर में रखा जाता हैं, जिसके बाद पारंपरिक भोजन, नृत्य के साथ भव्य आरती होती है। यहाँ 4000 भक्तों, पुलिस सुरक्षा और 50 स्वयंसेवकों द्वारा लोगों की सुरक्षा निश्चित की जाती है।  

ज्ञान, भाग्य, समृद्धि और सभी बाधाओं को दूर करनेवाले सर्वोच्च देवता के लिए उत्साह की भावना के साथ गणेश चतुर्थी को सबसे अच्छा मनाया जाता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहीं भी हैं, भगवान गणेश की भक्ति की भावना सभी में बरकरार है।  

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