राष्ट्रीय स्वयं संघ के दशहरा कार्यक्रम में संतोष यादव शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोग मेरे हाव भाव की वजह से पूछते है कि क्या तुम संघी हो। इसके जवाब में कहा कि ऐसा पूछे जाने पर मै सीधे सवाल पूछ बैठती थी कि यह क्या होता है। मेरी किस्मत देखिये सर्वोच्च मंच के लेकर आई। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयं संघ दशहरा के दिन स्थापना दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करता है।
उन्होंने इस दौरान एक घटना को याद करते हुए कहा कि जब में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बार पर्यावरण पर बोल रही रही थी। उस समय एक छात्रा ने पूछा था कि हम लोग को रामायण और गीता क्यों पढने के लिए कहा जाता है। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा कि आप रामायण या गीता पढ़ो। उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने उस छात्रा से पूछा कि क्या तुम इन दोनों पुस्तकों को पढ़ी हो तो उसने ना में जवाब दिया तब मैंने उससे कहा कि तो इन पुस्तकों को लेकर इतना द्वेष क्यों पाल रखा है ? मैंने उसे इन पुस्तकों को पढने की सलाह दी।
उन्होंने इस दौरान कहा कि मै एक छोटे से गांव से आई हूं। मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई है। बावजूद इसके मेरी शिक्षा उतनी ऊंची नहीं थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं संघ सनातन संस्कृति को पकड़े हुए है। जिसमें सभी को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मै पूरी दुनिया से अपील करती हूं कि लोग आये और राष्ट्रीय स्वयं संघ के कार्यप्रणाली को समझे।उन्होंने कहा कि मै कल से नागपुर में हूं और राष्ट्रीय स्वयं संघ के कार्य को देख रही हूं जो प्रभावित करने वाला है। उन्होंने कहा कि सनातन सं संस्कृति का मूल मंत्र आवश्यकता में जीना है है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में जो जीता है वह हमेशा सृजन के भाव में जीता है। वह कभी नष्ट के भाव में नहीं जीता है।
बात दें कि संतोष यादव पर्वतारोही हैं। वह पहली महिला हैं जो दो बार माउंट एवरेस्ट चढ़ाई की हैं। उन्होंने पहली बार 1992 में और 1993 में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई की थी। वह हरियाणा के रेवाड़ी जिले से हैं। उन्हें भारत सरकार ने 2000 में पद्मश्री से नवाजा गया था। वर्तमान में संतोष यादव भारत तिब्बत पुलिस में पुलिस अधिकारी हैं।
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