2019 से महाराष्ट्र की राजनीति में नए प्रयोग होते दिख रहे हैं। प्रकाश अंबेडकर ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारिप बहुजन महासंघ के स्थान पर वंचित बहुजन अघाड़ी की स्थापना की थी। वंचित और एमआईएम के गठबंधन ने राज्य भर में एक नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है| 2019 के लोकसभा चुनाव में वंचित को 35 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।
नतीजतन कांग्रेस और एनसीपी की 10 से 12 सीटों पर असर पड़ा। बाद में महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस पार्टियां एक साथ आईं और महा विकास अघाड़ी सरकार के साथ प्रयोग किया। यह प्रयोग ढाई साल तक चला। शिवसेना में एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों और 13 सांसदों के साथ बगावत कर दी। राज्य में अब शिंदे समूह और भाजपा की सरकार है। मुंबई में एक कार्यक्रम में साथ आए उद्धव ठाकरे और प्रकाश अंबेडकर। उसके बाद से महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
उद्धव ठाकरे और प्रकाश अम्बेडकर प्रबोधंकर डॉट कॉम इस वेबसाइट के पुन: लॉन्च के अवसर पर एक साथ आए। इस घटना के बाद प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही शिवसेना ठाकरे समूह और हम एकजुट हो जाएंगे| इसलिए सवाल पूछा जा रहा था कि अगर शिवसेना ठाकरे गुट और वंचित के बीच गठबंधन हो गया तो माविया का क्या होगा|
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