भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में हुआ था। रामानुजन को आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उन्हें गणित में कोई खास प्रशिक्षण नहीं मिला फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में अपना गहन योगदान दिया। श्रीनिवास ने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए बल्कि भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया।
1729 = 13 + 123 = 93 + 103 –पहले नंबर वाली पहेली समझ लेते हैं। तो बात उन दिनों की है जब महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन इंग्लैंड में थे। तब उनकी तबीयत खराब चल रही थी और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती में थे। बीमार रामानुजन से मिलने उनके दोस्त गॉडफ्रे हार्डी अस्पताल पहुंचे। हार्डी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रफेसर थे। दोनों के बीच बातचीत चल रही थी। इस बीच रामानुजन को पता चला की हार्डी टैक्सीकैब से आए हैं। रामानुजन ने उनसे टैक्सी का नंबर का पूछा, इसपर हार्डी ने टैक्सीकैब का नंबर बताया और कहा कि बड़ा बोरिंग नंबर था। इसपर रामनुजन ने तुरंत कहा नहीं, ये बोरिंग नहीं बल्कि बेहद ही रोचक नंबर हैं। इसके बाद उन्होंने हार्डी को समझाया। रामानुजन ने कहा यह सबसे छोटी संख्या है जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है और इसके बाद से ही 1729 को उनके सम्मान में हार्डी-रामानुजन नंबर का नाम दे दिया गया। इसी प्रकार 4104, 30312, 20683, और 40033 भी ऐसी ही संख्याओं के उदाहरण है जिन्हें किन्ही दो घनों के योग के दो युग्मों में प्रदर्शित किया गया जा सकता है।
रामानुजन के हुनर और प्रतिभा से प्रभावित होकर अंग्रेज के विद्वान जी एच हार्डी ने उन्हें ‘नेचुरल जीनियस’ का नाम दिया था। रामानुजन न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। बेहद साधारण परिवार से आने वाले रामानुजम के हुनर से पूरी दुनिया प्रभावित थी। उन्होंने गणित के ऐसे सिद्धांत दिए जिन्हे आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है। रामानुजन का मन केवल गणित और संख्याओं में ही लगता था और बाकी विषयों पर ध्यान ना देने के कारण वे परीक्षा में नाकाम ही रहा करते थे। लेकिन वे गणित में बहुत ही असामान्य रूप से प्रतिभाशाली थे। इंग्लैड में ही रामानुजन का कार्य दुनिया के सामने आया जिसमें हार्डी का बहुत बड़ा योगदान उन्होंने रामानुजन का बहुत सहयोग किया। यहाँ उन्होंने रामानुजम के 20 ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित करवाए। इंग्लैंड में ही उन्हें स्नातक की डिग्री मिली और उसके बाद रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन की दुर्लभ सदस्यता भी,जिसे सबसे कम उम्र में सदस्यता पाने वाले रामानुजन पहले भारतीय थे।
वहीं महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती और गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखने के लिए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। दरअसल 22 दिसंबर 2012 को भारत के पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125 वीं जयंती के अवसर पर चेन्नई में आयोजित एक समारोह में यह घोषणा की कि हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस प्रकार हर साल पूरे देश में 22 दिसंबर 2012 से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय गणित दिवस का महत्व हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है, इस दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास के लिए गणित के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है।
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