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दो दिल मिल रहे चुपके चुपके, कांग्रेस-TMC आएंगे साथ,पर …   

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टीएमसी और कांग्रेस एक बार फिर साथ आने के लिए बैकडोर से बातचीत कर रहे है। वहीं , गुपचुप तरीके से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी कांग्रेस को नजरअंदाज करने  वाली पार्टियों से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 18 और 19 मार्च को कोलकता में होने वाली है। कहा जा रहा है कि सपा इस बैठक में कांग्रेस के प्रति अपना रुख साफ़ कर सकती है।

कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी एक बार फिर कांग्रेस की ओर हाथ बढ़ा रही है, लेकिन, उसने एक शर्त रखी है। हालांकि, इस मामले पर दोनों दल अभी तक कुछ कहा नहीं है। देखना होगा कि क्या सच में ममता बनर्जी अपने एकला चलो अभियान को विराम दे कांग्रेस के साथ होगी या सिर्फ कोरी बातें हैं? गौरतलब है कि, पिछले दिनों ममता बनर्जी ने कहा था कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में टीएमसी अकेले चुनावी मैदान में उतारेगी। हमारी पार्टी जनता के समर्थन से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। यह बात उन्होंने तीन मार्च को कही थी। इससे एक दिन पहले यानी 2 मार्च को बंगाल के सागरदिघी में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

इसी बात को लेकर नाराज, ममता बनर्जी ने कहा था कि कांग्रेस और वाम दलों ने टीएमसी को हराने के लिए अनैतिक गठबंधन किया था। जो एक तरह से बीजेपी के साथ समझौता था। मगर, कुछ दिन बाद फिर विपक्षी एकता के नाम पर साथ आने की बात कही जा रही है।

बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर काफी गंभीर थी। उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ मिलकर कई कार्यक्रम भी शुरू किये थे, लेकिन, ममता बनर्जी के सभी कार्यक्रम समय से पहले ही धराशायी हो गए। एक बार पैर में चोट आने के बाद चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि मै एक पैर पर खड़ी होकर बंगाल जीतूंगी, और भविष्य में दोनों पैरों पर खड़ा होकर दिल्ली पर जीत हासिल करुँगी।

इसी तरह, बीते साल उन्होंने जुलाई में शहीद दिवस पर ममता बनर्जी ने बंगाली के बजाय हिंदी और अंग्रेजी में भाषण दिया था। जो इस ओर इशारा था कि ममता हिंदी भाषी वोटरों को लुभाने के लिए बदलाव किया था। बता दें कि 28 साल से इस कार्यक्रम को करने वाली टीएमसी के कार्यक्रम में यह पहला मौक़ा था जब उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में भाषण दिया था।

इसके अलावा भी ममता बनर्जी ने कई मौकों पर पीएम बनने की इच्छा जता चुकी हैं। लेकिन, वर्तमान में उन्होंने विपक्षी एकता को झटका दिया है। मगर क्या दोबारा ममता बनर्जी और कांग्रेस एक साथ आयेंगे,  यह तो समय के गर्भ है। फिलहाल, टीएमसी कांग्रेस से किनारा किये हुए दिख रही है।

वहीं, मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टीएमसी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए बहाना खोज रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस भी यह प्रयास कर रही है कि टीएमसी बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता में शामिल हो। पर, टीएमसी अभी तक लगातार कांग्रेस से दूरी बनाये हुए है।

क्योकि, बजट का दूसरा सत्र शुरू होने पर कांग्रेस और अन्य दल एक बार फिर अडानी मुद्दे पर आक्रामक हैं और इस मामले की जांच जेपीसी द्वारा जांच कराने  की मांग कर रहे है। लेकिन, टीएमसी जेपीसी के जरिये इस मामले की जांच के पक्ष नहीं है। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों से की जानी चाहिए। इससे साफ़ है कि दोनों दलों में आपसी एकता नहीं है।

वहीं, हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सम्पन्न हुए कांग्रेस के महा अधिवेशन में कहा गया था कि पार्टी समान विचार वाले दलों के साथ काम करने को तैयार है। इसी तरह की बात टीएमसी भी कर रही है। हालांकि, सवाल है कि दोनों के बीच समस्या क्या है। तो सबसे बड़ी समस्या पीएम चेहरा को लेकर है। क्योंकि, कांग्रेस पहले से ही राहुल गांधी को विपक्ष का पीएम उम्मीदवार घोषित करती रही है।

इसी तरह,टीएमसी भी ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव में पीएम उम्मीदवार घोषित करती रही हैं। लेकिन, अभी इस पर कोई सहमति नहीं बनी है। अब दूसरा मामला यह है कि टीएमसी नेता चाह रहे हैं कि बंगाल के नेता अधीर रंजन चौधरी पर कांग्रेस लगाम लगाए। टीएमसी का आरोप है कि चौधरी बीजेपी नेता सुवेन्द्रू अधिकारी के सम्पर्क में है और उनसे गुप्त तरीके से मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने चौधरी पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने से इंकार किया है। माना जा रहा है कि अभी यह रार और आगे बनी रहेगी।

वहीं, अखिलेश यादव शुक्रवार को कोलकाता पहुंचने पर बीजेपी पर हमला बोला। यहां सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव कांग्रेस के प्रति अपने रुख को साफ कर सकते हैं। क्योंकि अभी कुछ समय से वे गैर कांग्रेसी और बीजेपी नेताओं से मिल रहे हैं। वे तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी से मिलते रहें हैं। बहरहाल, देखना होगा कि, ममता अपने एकला चलो के ऐलान के बाद, क्या कांग्रेस के साथ जाती है। वहीं, यह भी देखना होगा कि अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या स्टैंड रखते हैं ?

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