इन नौ सालों में भारत सरकार ने पिछली सरकारों की गलतियों को सुधारने का काम किया है। जो गलतियां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी अब उसे मोदी सरकार सुधार रही है। सबसे बड़ी बात यह कि इन फैसलों का देश की जनता ने तहे दिल से समर्थन भी कर रही है। लेकिन, इस बात से देश की सबसे पुरानी पार्टी का तगमा हासिल कर चुकी कांग्रेस के नेता सबक नहीं ले रहे हैं। उन्हें इस बात का गुमान है कि वह देश के सबसे पुराने राजनीति दल के “गांधी परिवार” से संबंध रखते हैं। लेकिन देश और समाज के लिए क्या नाम ही काफी है। जिसका कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी रटा मारते रहते हैं।
बहरहाल, आज हम तीन मुद्दों पर बात करेंगे। पहला यह कि कांग्रेस पार्टी के नेता हर चीज का सबूत मांगते है। एक दिन पहले ही भारत के राजदंड यानी सेंगोल पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया है और कहा कि यह कुछ लोगों के दिमाग का फितूर है। इतना ही नहीं, जयराम रमेश ने सेंगोल यानी राजदंड के बारे में सबूत भी मांगा। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने जयराम रमेश को आइना दिखाते हुए टाइम्स मैगजीन का लेख और एक तस्वीर भी जारी किया है। इससे पहले भी कांग्रेस के नेता कई मौके पर या मोदी सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा किये हैं। यह सही है कि विपक्ष का काम विरोध करना होता है, लेकिन यह विरोध अगर देश विरोध में बदल जाएगा तो सवाल तो खड़ा होगा ही।
कांग्रेस ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़ा कर चुकी हैं,साथ ही कांग्रेस के नेता इसके सबूत भी मांगते रहे हैं। यह कोई सेंगोल का एकलौता मामला नहीं है जब कांग्रेस ने इसके सबूत मांगा है। ऐसे कई मौके आये जब वह पीएम मोदी का विरोध करते करते देश का विरोध कर चुके है। वहीं दूसरा, मोदी सरकार ने नौ साल में ऐसे कई फैसले लिए हैं जो पिछली सरकारों की गलतियां थी। कहा जा रहा है कि जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई गलतियों को अब पीएम नरेंद्र मोदी सुधार रहें है। विपक्ष भी मान रहा है कि मोदी सरकार देश के इतिहास को बदल रही है।
2022 में पीएम मोदी ने लाल किले से कहा था कि हम भारत की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमारे मन के किसी भी कोने में गुलामी का एक भी अंश नहीं होना चाहिए। अगर हमें गुलामी की छोटी सी भी बात नजर आती है तो उससे हमें मुक्ति पानी चाहिए। तो हम कह सकते हैं कि सैकड़ों साल की गुलामी का चिन्ह अब केवल इतिहास होंगे और हमारा नया इतिहास होगा। मोदी सरकार ने शुरू में ही सबसे बड़ा बदलाव किया था, जिसमें योजना आयोग का कायाकल्प कर उसका नया नाम नीति आयोग दिया था। ऐसी कई योजनाएं जो केवल कागजों पर ही रह जाती थीं या अपने तय समय में पूरा नहीं होती थी या यह भी कहा जा सकता है कि योजनाएं पूरा होती ही नहीं थी। लेकिन, आज हर योजनाएं समय पर पूरी होती हैं।
आज उसी का परिणाम है कि नई संसद दो साल में बनकर तैयार हुई है। जिसका कांग्रेस विरोध कर रही है। 2022 में मोदी सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था। जिसका कांग्रेस विरोध कर चुकी है। मोदी सरकार आने के बाद रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। इसके बाद औरंगजेब मार्ग का नाम एपीजे अब्दुल कलाम कर दिया गया। मोदी सरकार ने सबसे बड़ा जो बदलाव किया उसमें इंडिया गेट पर स्थापित अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मर्ज कर दिया। उस समय भी विपक्ष ने विरोध किया। आज एक बार फिर विपक्ष नई संसद के नाम पर पीएम मोदी का विरोध कर रहा है।
सही कहा जाए तो 2014 के बाद से विपक्ष ने अपनी भूमिका को सही तरह से निभाया ही नहीं है। कांग्रेस खुद को देश का राजा समझती है और समझ रही है। उसे यह गुमान था और है कि जनता उसे सिर माथे पर बैठाएगी। यही वजह रही कि कांग्रेस को अब कोई राजनीति दल तवज्जो नहीं देता है। कांग्रेस से ही अलग होकर पार्टी बनाने वाले नेता अब उसे आंख दिखा रहे हैं। बावजूद इसके कांग्रेस ने कभी भी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं किया, बल्कि भोथरी दलील देती रही। जवाहरलाल कि सबसे बड़ी गलती कश्मीर को धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा देना था।
मोदी सरकार ने 2019 में धारा 370 को हटाकर सबसे बड़ा बदलाव किया। जहां 22 से लेकर 24 मई तक जी 20 की बैठक आयोजित की गई थी। जवाहर लाल नेहरू कश्मीर के लोगों को दो पाटो में बांट दिया था। आज वही कश्मीर विकास के पथ पर दौड़ता हुआ नजर आ रहा है। आज उसी कश्मीर में हुए बदलाव की विश्वस्तर पर चर्चा हो रही है। एक ऐसा समय था कि यहां कश्मीर के युवकों द्वारा सेना के ऊपर पत्थर फेंके जाते थे। आज ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।
लेकिन आज कांग्रेस के नेता कहते हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो धारा 370 को कश्मीर में बहाल करेंगे। क्या यह कांग्रेस के नेताओं की बात देश के पक्ष में हैं। आज जब सेंगोल को लेकर सरकार कह रही है कि इसे जवाहर लाल नेहरू ने ग्रहण किया था। तब इस पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। जिसे सेंगोल को नेहरू ने इलाहाबाद के म्यूजियम में रख दिया था। अब उसे मोदी सरकार नए सिरे से नई संसद में स्थापित कर रही है। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार नेहरू की गलतियों को सुधार कर नए भारत का निर्माण कर रही है।
अब तीसरा मुद्दा यह कि विपक्ष द्वारा नई संसद का बहिष्कार किये जाने पर देश के कुछ नौकरशाहों और राजदूतों ने इस पर सवाल किया है। 200 से ज्यादा नागरिकों ने पत्र लिखकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया है। उनका कहना है कि विपक्ष कब कब मोदी सरकार का बहिष्कार करेगा। 2017 में कांग्रेस और विपक्ष ने जीएसटी लांच के समय संसद में आयोजित कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। 2020 में आठ राज्यसभा सदस्यों का समर्थन करने के नाम पर विपक्ष ने लोकसभा का बहिष्कार किया था। जबकि उन सदस्यों को उनके व्यवहार की वजह से सस्पेंड किया गया था। उसी तरह 2021 में विपक्ष के साथ मिलकर कांग्रेस ने संविधान दिवस का बहिष्कार किया था।
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस किसका विरोध कर रही है मोदी सरकार का या नई संसद का ? विपक्ष के इस मनमानी रवैये से देशहित में उठने वाले मुद्दे उनके शोरशराबे में दब जाते हैं ? ऐसे में विपक्ष को तय करना होगा कि वह सही मायने में किसका विरोध कर रहा है और देशहित के मुद्दे कहां हैं ?
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