24 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमब्लॉगसनातन डेंगू? उदयनिधि का ऐसा है I.N.D.I.A  

सनातन डेंगू? उदयनिधि का ऐसा है I.N.D.I.A  

एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म का डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी से तुलना की है। ऐसे में सवाल है कि क्या उनका यही इंडिया है।

Google News Follow

Related

हिन्दू धर्म के प्रति कुछ लोगों में कितनी नफ़रत है। यह बताने की जरूरत नहीं है। जिस देश की  की पहचान ही हिन्दू संस्कृति रही है। उसे राजनीति दल मिटाने और खत्म करने की बात करते है। सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस भी ऐसे दलों को बढ़ावा देती है। जिस हिन्दू धरम की अनदेखी करने के कारण आज कांग्रेस गर्त में है, उसी धरम की आड़ लेकर कांग्रेस सत्ता के शिखर तक पहुंचना चाहती है।

ऐसे में यह सवाल है कि क्या राहुल गांधी का मंदिर जाना, जनेऊ धारण करना केवल दिखावा है ? प्रियंका गांधी का नर्मदा पूजन क्या दिखावा? क्या कमलनाथ का हिन्दू राष्ट्र का प्रेम दिखावा है ? क्या कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता का हनुमान मंदिर बनाने की घोषणा केवल बयानबाजी है? ये वे सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस को देना होगा। तो दोस्तों आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। अगर आप हमारे चैनल पर नए है तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।

पहले जान लेते हैं कि मामला क्या है ? दरअसल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन उन्मूलन सम्मलेन में सनातन धर्म का डेंगू और मलेरिया जैसी   बीमारी से तुलना की है। उन्होंने कहा कि ” सनातन का सिर्फ विरोध ही नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे समाप्त ही कर देना चाहिए। सनातन धर्म सामजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। कुछ चीजों का विरोध करने के बजाय उसे खत्म ही कर देना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कारोना विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे मिटाना है। इसी तरह से सनातन को भी मिटाना है।”

सबसे बड़ी बात यह है कि उदयनिधि के बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया। उसके नेता गोलमटोल जवाब देकर अपना पिंड छुड़ा लिया। कांग्रेस यहां भी राजनीति कर गई। उदयनिधि का बयान “इंडिया” गठबंधन के लिए चुनाव से पहले घातक है। वहीं, कांग्रेस के नेता कहते है कि राहुल गांधी ब्राह्मण हैं। वैसे राहुल गांधी खुद जनेऊ पहनकर यह बताने की कोशिश कर चुके हैं।

राहुल गांधी ही नहीं पूरी कांग्रेस कभी भी देश के प्रति जवाबदेह नहीं रही है और न ही उसके नेता। कांग्रेस एक राजा महाराजा जैसी कल्चर वाली पार्टी है जो यह चाहती है कि हम ही सत्ता में रहे और देश पर हुकूमत करें। इसे देखा और पढ़ा जा सकता है। कांग्रेस का इतिहास भारत की संस्कृति तोड़ने मड़ोरने की रही है। भारत की मूल संस्कृति को बर्बाद करने में अगर किसी का नाम लिया जाएगा तो सिर्फ कांग्रेस का पहले आएगा।

कांग्रेस इस बयान की आलोचना नहीं की. क्यों नहीं की? इसका सीधा जवाब है कि कांग्रेस इसका विरोध करती तो “इंडिया” गठबंधन में दरार पड़ सकती थी। इतना ही नहीं, उसके बयान से मुस्लिम समाज भी नाराज हो जाता। वैसे, साफ कहा जाए तो कांग्रेस ने कभी भी हिन्दू समाज का सम्मान नहीं किया है। हमेशा उसका अपमान ही किया है।इसके तमाम उदहारण गिनाये जा सकते है।

हिन्दुओं को कांग्रेस के ही राज में भगवा आतंकी कहा गया। अगर राहुल गांधी सच्चे हिन्दू होते तो उदयनिधि के बयान की आलोचना करते। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया। अगर राहुल गांधी सच्चे हिन्दू होते तो 2014 के बाद मंदिर नहीं जाते। उससे पहले कभी राहुल गांधी को मंदिर मंदिर का चक्कर लगाते नहीं देखा गया। न ही, प्रियंका गांधी को कभी नर्मदा नदी का पूजन करते देखा गया।

ये बातें राजनीति की हुई। लेकिन क्या सनातन धर्म की डेंगू या मलेरिया से तुलना की जा सकती है। यह बड़ा सवाल है, उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक सनातन धर्म की अलख जगती है। आकाश से लेकर पाताल तक, पृथ्वी पर पाए जाने वाले हर चीज में सनातन धर्म ने  विश्वास जताया जाता है। लेकिन, राजनीति के दोगलेपन ने सनातन धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है। उदयनीति कहते हैं कि सनातन में समानता और सामाजिक कल्याण की बात नहीं है।

कहा जा सकता है कि उदयनिधि को सनातन धर्म की समझ नहीं है या जानकारी नहीं है। जिस धर्म में हर कण कण में भगवान की बात कही गई हो। सनातन धरम में जीवों पर दया करने की बात कही है। उसके बारे में उदयनिधि जब यह कहते हैं कि समानता और सामाजिक कल्याण की बात नहीं है। ऐसे में उनका बयान हास्यप्रद कहा जा सकता है।

सबसे बड़ी बात यह है कि केवल सनातन धर्म में ही “वसुधैव कुटुंब” की बात कही गई है। उसके बारे में जब उदयनिधि यह कहते हैं कि सनातन धर्म में सामाजिक कल्याण की बात नहीं है। उसे खत्म कर देना चाहिए। सनातन धर्म विश्व का एकमात्र धर्म है जो विश्व कल्याण की बात करता है। सनातन धर्म का मतलब ही शाश्वत यानी सदा से है सदा रहेगा। ऐसा भी कहा जा सकता है कि   सनातन धर्म का न तो अंत किया जा सकता है और न ही आरंभ। ऐसे में उदयनिधि का बयान केवल राजनीति से प्रेरित है।

बहरहाल, उदय निधि के बयान का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर देखने को मिल सकता है। “इंडिया” गठबंधन भले यह कहे कि उनकी जीत होगी लेकिन जनता के मन में क्या है ? यह कोई नहीं बता सकता है। अपनी पिछली कई वीडियो में इस बात का जिक्र किया हूँ कि नरेंद्र मोदी यूं ही बनारस से चुनाव नहीं लड़े। इस बात को जिस दिन विपक्ष समझ जाएगा उस दिन वह  हिन्दू धरम पर अंगुली उठाना छोड़ देगा। उदय निधि ही नहीं।

जो हिन्दुओं का विरोध करते हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दू वोट नहीं मिलने के ही कारण आज कांग्रेस सत्ता से बेदखल है। और राहुल गांधी दाढ़ी बढ़ाकर हिंदुत्व की नई परिभाषा देते नजर आते है। यह सिर्फ राजनीति आस्था नहीं। खरी खरी बात यह है कि राहुल गांधी और उदयनिधि दोनों को विरासत में राजनीति मिली हुई है। दोनों की समझ पर सवाल उठ रहे हैं।

विपक्ष को यह समझ में आ जाना चाहिए की हिन्दू समाज मोदी सरकार के राज में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है। इसकी बानगी वह और सुन सकता है। इसलिए हिन्दू 2024 में नरेंद्र मोदी को ही चुनेगा। शायद, यह बात कांग्रेस समझती है, इसीलिए कमलनाथ जैसे नेता भारत को “हिन्दू राष्ट्र” का समर्थन करते हैं। हिन्दुओं की ताकत जानने के बाद ही कर्नाटक में कांग्रेस ने बजरंग दल विवाद पर हनुमान मंदिर बनाने की घोषणा करती रही। लेकिन उदयनिधि इसे कहां समझ पाएं है।

ऐसे में उदयनिधि को समझदारी दिखानी होगी। नहीं, तो “इंडिया” का नारा “जुड़ेगा भारत,जीतेगा इंडिया” सिर्फ नारा बन कर रह जाएगा। नारे के साथ विपक्ष को देश के लोगों की भावनाओं से भी जुड़ना पड़ेगा। जो नरेंद्र मोदी ने किया है और कर रहें है। जो विपक्ष के लिए नामुमकिन है।

ये भी पढ़ें  

 

सीट शेयरिंग पर कांग्रेस का अड़ंगा ! जाने क्या है वजह ?  

ICC वर्ल्ड कप 2023: भारतीय टीम का ऐलान, ये खिलाड़ी हुए बाहर    

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें