एक तरफ बैक डोर से उन लोगों को ओबीसी में लाने का दोहरा कार्यक्रम है, जिन्हें कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और दूसरी तरफ जो लोग अब ओबीसी में हैं, उन्हें अदालत में लड़कर ओबीसी से बाहर कर दिया जाता है। हम इस पर नजर रखे हुए हैं| ‘ कानूनी लड़ाई, बाहरी लड़ाई जारी है| मनोज जरांगे पाटिल ने क्या कहा? क्या इसका मतलब वही नहीं है| जरांगे हर तरह का आरक्षण चाहते हैं, लेकिन वे जैसा कहते हैं वैसा ही चाहते हैं।
एक को कुनबी प्रमाण पत्र दिया तो बाकी देना होगा। फिर जब सभी कुनबी बन जाएं तो उन्हें ओबीसी के तहत अधिकार मिलना चाहिए| इसमें शिक्षा, नौकरी, राजनीतिक जैसे अधिकार हैं। 375 जातियां हैं, अगर ये सारी मंडलियां आ जाएं तो किसी को कुछ नहीं मिलेगा| छगन भुजबल ने कहा है कि ओबीसी खत्म हो जाएगा|
मराठा आरक्षण का कोई विरोध नहीं: हम मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आपको उन्हें अलग से आरक्षण देना चाहिए। पिछले कानून में रह गई किसी भी त्रुटि को सुधारें। फिर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई| इसके बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने मराठों को आरक्षण देने का रुख अपनाया, लेकिन अब वे सिर्फ ओबीसी में ही आरक्षण चाहते हैं, सीधे तौर पर भी चाहते हैं| पहले निज़ामशाही का सबूत हो तो दो।
महिलाओं को लेकर दिए गए ‘उस’ विवादित बयान पर माफी मांगते हुए नीतीश कुमार ने कहा..!