प्रशांत कारुलकर
भारत के औद्योगिक क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। नए उद्योग जल संरक्षण को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी मिल रहे हैं।
पानी एक अनमोल संसाधन है, और भारत जैसे देश में, जहां जल की कमी एक गंभीर चुनौती है, उद्योगों का जल संरक्षण के प्रति जागरूक होना एक सराहनीय कदम है। नए उद्योग जल पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन, और जल-कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर पानी की खपत को कम करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं।
जल पुनर्चक्रण: कई नए उद्योग अब अपने औद्योगिक प्रक्रियाओं में इस्तेमाल होने वाले पानी को ट्रीट कर के दोबारा इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होने वाले पानी को ट्रीट कर के रंगाई और छपाई की प्रक्रियाओं में दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
वर्षा जल संचयन: कई नए उद्योग अपनी इमारतों की छतों पर वर्षा जल संचयन प्रणालियां लगा रहे हैं। इससे बारिश के दौरान एकत्रित पानी का भंडारण किया जाता है, जिसका इस्तेमाल बाद में सिंचाई, सफाई या अन्य कार्यों में किया जा सकता है। इससे भूजल स्तर को बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
जल-कुशल प्रौद्योगिकियां: नए उद्योग अब ऐसी मशीनों और उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कम पानी में काम करते हैं। उदाहरण के लिए, ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करके सिंचाई के लिए पानी की खपत को काफी कम किया जा सकता है।
जल संरक्षण के इन प्रयासों से न केवल पर्यावरण को बल्कि उद्योगों को भी कई तरह के लाभ मिल रहे हैं। पानी की बचत से लागत कम होती है, साथ ही साथ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार कंपनी की छवि भी बनती है।
यह उम्मीद की जाती है कि भारत के नए उद्योगों द्वारा जल संरक्षण के प्रयासों को अपनाकर भविष्य में पानी की कमी की चुनौती का सामना करने में मदद मिलेगी। जल संरक्षण न केवल पर्यावरण की रक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत के कई नए उद्योग जल संरक्षण के प्रयास कर रहे हैं। इनमें से कुछ उद्योगों के उदाहरण इस प्रकार हैं:
टेक कंपनियां: कई टेक कंपनियां अपने कार्यालयों में जल संरक्षण के लिए कई तरह के उपाय कर रही हैं। उदाहरण के लिए, Google अपने कार्यालयों में वर्षा जल संचयन प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है। इससे बारिश के दौरान एकत्रित पानी का इस्तेमाल बाद में सिंचाई, सफाई या अन्य कार्यों में किया जा सकता है।
कपड़ा उद्योग: कपड़ा उद्योग में पानी की खपत बहुत अधिक होती है। कई कपड़ा उद्योग जल पुनर्चक्रण और जल-कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर पानी की खपत को कम करने के प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, Reliance Industries अपने कपड़ा कारखानों में जल पुनर्चक्रण प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है। इससे कंपनी प्रति वर्ष 200 मिलियन लीटर पानी की बचत कर रही है।
खाद्य उद्योग: खाद्य उद्योग में भी पानी की खपत बहुत अधिक होती है। कई खाद्य उद्योग जल पुनर्चक्रण और वर्षा जल संचयन प्रणालियों को अपनाकर पानी की खपत को कम करने के प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, Nestle अपने खाद्य उत्पादन संयंत्रों में वर्षा जल संचयन प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है। इससे कंपनी प्रति वर्ष 100 मिलियन लीटर पानी की बचत कर रही है।
इनके अलावा, भारत में कई अन्य नए उद्योग भी जल संरक्षण के प्रयास कर रहे हैं। इनमें से कुछ उद्योगों में ऑटोमोबाइल, निर्माण, और ऊर्जा उद्योग शामिल हैं। सरकार भी जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। सरकार ने जल संरक्षण के लिए कई कानून और विनियम बनाए हैं। सरकार जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान भी चला रही है।
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