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1000 ट्रैक्टरों से दिल्ली कूच करने वाले किसानों की क्या है मांग? जाने सबकुछ 

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा को बंद कर दिया गया। तीनों सीमाओं को सीमेंट और कंक्रीट के बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है।

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पंजाब,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली कूच का ऐलान किया है। ट्रैक्टर, बसों में भरकर आने वाले किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस पूरी तैयारी में लगी हुई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा को बंद कर दिया गया। तीनों सीमाओं को सीमेंट और कंक्रीट के बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है। दरअसल, यह जरुरी उपाय पुलिस 2021 में किसानों द्वारा दिल्ली में किये गए उपद्रव को देखते हुए उठाये गए हैं। पिछली बार किसानों ने बैरिकेडिंग को तोड़कर नदी में फेंक दिया था।

हरियाणा के 22 जिलों में से 15 में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं सोनीपत के पेट्रोल पम्पों को कहा गया है कि  वे दस लीटर से ज्यादा डीजल न दें। ये किसान अपनी दस मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार के तीन मंत्री किसान नेताओं से बातचीत कर समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि किसान लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पुरानी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है अगर किसान नहीं मानते हैं तो उन्हें  दो बड़े स्टेडियमों में रखने की व्यवस्था की गई है। बताया जा रहा है कि किसान 1000 ट्रैक्टरों से  दिल्ली के लिए कूच करने वाले हैं।

किसानों की क्या है मांग
किसान न्यूनतम मूल्य को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं जो डॉक्टर स्वामीनाथन की रिपोर्ट पर आधारित है। किसानों का पूरा कर्ज माफ़ करने की भी मांग है। लखीपुर खीरी काण्ड के आरोपियों को सजा मिले और और पीड़ित किसानों के साथ न्याय किया जाए। भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 में बदलाव किया जाए, किसानों की लिखित सहमति और कलेक्टर रेट से ज्यादा मुआवजा दिया जाए। किसानों को 60 साल उम्र होने पर हर माह दस हजार रुपये पेंशन दिया जाए। विश्व व्यापार संगठन से भारत अलग हो। दिल्ली आंदोलन के समय मरने वालों किसानों को मुआवजा दिया जाए और उनके एक सदस्य को नौकरी दी जाए। मनरेगा के तहत एक साल में 100 दिन के बजाय 200 दिन काम दिया जाए और मजदूरी 700 रुपया किया जाए।

विद्धुत संशोधन विधेयक 2020 को समाप्त किया जाए। मिर्ची, हल्दी  सहित अन्य मसलों को लेकर एक राष्ट्रीय आयोग बनाया जाए। ख़राब बीज और उर्वरक बनाने कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाए और बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। कंपनियों को आदिवासियों की जमीन को कब्जाने से रोका जाए।

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