उत्तरप्रदेश के कानपूर में रावतपुर स्टेशन से रविवार रात ८ :30 के करीब निकली कालिंदी एक्सप्रेस (14117) ने बर्राजपुर स्टेशन के आगे जैसे ही मुंढेरी क्रॉसिंग को पार किया वैसे इंजन से किसी चीज के टकराने की तेज आवाज सुनाई दी। सयम रहते लोको पायलट ने ट्रेन के इमरजेंसी ब्रेक लगाकर जांच करवाई तो पाया की पटरी के बीच भरा हुआ सिलेंडर रखकर ट्रेन को डिरेल करने और बड़ी दुर्घटना को अंजाम देने की सजिश की गई थी।
आपको बता दें की इससे पहले भी कानपुर के पनकी में वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस 17 अगस्त को बोल्डर से टकरा गई थी, जिससे ट्रेन के सभी डिब्बे पटरी से उतर गए थे। ट्रैक के पास से लोहे का एंगल भी मिला था। सुदैव से इस हादसे में कोई जीवहानी नहीं हुई। इस मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है।
जानकारी मिलते ही रेलवे और आरपीएफ अधिकारी मौके पर पहुंचे जहां उन्हें सिलिंडर के अलावा कांच की बत्ती लगी बोतल, माचिस और एक झोला मिला है। जांच के दौरन ट्रैक पर लोहे को रगड़े जाने के निशान मिले है। वारदात को अंजाम देने के लिए हमलावरों ने इंडेन का भरा हुआ सिलेंडर इस्तेमाल किया था लेकिन, 100 km प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती ट्रेन से टकराव के बाद भी मजबूत आवरण के कारण नहीं फटा वरना बड़ा हादसा ही सकता था। सिलेंडर के इंजिन से टकराव के कारण ट्रेन में आग लगाना भी संभव था। हादसे के बाद करीब 25 मिनट तक ट्रेन को रोका गया था, जिस कारण लखनऊ से बांद्रा जा रहीं लखनऊ-बांद्रा टर्मिनस को देर तक रोका गया।
वहीं मौके पर पहुंचे एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि, ‘रात साढ़े आठ बजे घटना की जानकारी रेलवे की तरफ से मिली थी। ट्रैक पर भरा सिलिंडर रख ट्रेन पटरी से उतारने की साजिश रची गई थी। रेलवे, आरपीएफ और पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल से सिलिंडर के अलावा कांच की बोतल, माचिस और झोला मिला। झोले में बारूद जैसी कोई सामग्री थी, वहीं बोतल में ज्वलनशील पदार्थ तरल पदार्थ था, जिसकी जांच की जा रही है।’ साथ ही आपीएफ और जीआरपी ने घटनास्थल से करीब इलाकों में कॉम्बिंग शुरू की है।
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इस बार सिलिंडर की मजबूती ने हमलावरों के इरादों को नाकाम कर दिया है। फॉरेंसिक टीम ने बताया है सिलिंडर का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है मगर गैस रिसाव के कोई बात नहीं आई है।
(फोटो सौजन्य: अमर उजाला)