प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा बेहद सफल रही है। अमेरिका ने विदेशों से तस्करी कर लाई गई भारतीय संस्कृति से जुड़ी 297 बेशकीमती वस्तुएं भारत को लौटा दी हैं। ये पुरातात्विक वस्तुएं अवैध तस्करी के जरिए अमेरिका पहुंची थीं। इस बीच, 2014 के बाद से, भारत ने विदेशों से 640 पुरावशेष बरामद किए हैं, जिनमें से अकेले अमेरिका ने 578 पुरावशेष भारत को लौटा दिए हैं।
इस दरम्यान पीएम मोदी ने पुरावशेष लौटाने के लिए अमेरिकी सरकार और जो बाइडेन के प्रति आभार व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि ”सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना और सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना। मैं भारत को 297 मूल्यवान पुरावशेषों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन और अमेरिकी सरकार का बेहद आभारी हूं।”
Deepening cultural connect and strengthening the fight against illicit trafficking of cultural properties.
I am extremely grateful to President Biden and the US Government for ensuring the return of 297 invaluable antiquities to India. @POTUS @JoeBiden pic.twitter.com/0jziIYZ1GO
— Narendra Modi (@narendramodi) September 22, 2024
बता दें, सांस्कृतिक संपत्ति की चोरी और अवैध तस्करी वर्षों से दुनिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इस प्रकार के अपराधिक गतिविधियों में चोरी से लेकर अरबों के घोटाले और अपराधिक घटनाओं को भी जन्म दिया है। लिहाजा जिन देशों में सांस्कृतिक संपत्ति तस्करी के माध्यम से पहुंचती है वो इसे लौटाने के वजाय हाथ खड़ें कर देते है। इन सांस्कृतिक सम्पत्तियों का मूल्य इनकी अपनी धरती पर उस संस्कृती के अनुसार होता हो, लेकीन काले बाजारों में इनके मूल्य लाखों-करोड़ों में होते है।
इन सांस्कृतिक संपत्ति की चोरी और तस्करी से भारत विशेष रूप से प्रभावित होता रहा है। बड़ी संख्या में पुरातात्विक मूर्तियां और बेशकीमती वस्तुएं तस्करी के जरिए भारत से विदेशों में बेची गई है। भारत की पुरातन धरोहर भारत में वापस लाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली अमेरिका यात्राएं भी इसी प्रकार सफल रहीं है। वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को 157 पुरातन अवशेष लौटाए थे। वहीं 2023 की यात्रा के दौरान 105 अवशेष लौटाए थे, जिनमें बेशक़ीमती मूर्तियां और सांस्कृतिक अवशेष शामिल थे। इसी प्रकार से नरेंद्र मोदी ब्रिटेन से 16 और ऑस्ट्रेलिया से 40 पुरातत्व अवशेष लाने में सफल रहें है। हैरानी की बात तो यह है कि वर्ष 2003 से वर्ष 2014 के बीच भारत केवल 1 अवशेष वापस ला पाया था। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने इसे कैसे मुमकिन किया यह सवाल बना हुआ है?
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कैसे मुमकीन करते है मोदीं?: इसमें भारत की विदेशनीति और प्रधानमंत्री मोदी के अलग अंदाज़ ने मुमकीन किया है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी पहले दिन से विदेश दौरों पर इस इमेज के साथ प्रस्तुत हुए है की लोग उन्हें वैश्विक सहभाग में उनकी आस्था है, जो की सच भी है। जहां एक तरफ शक्ति संपन्न राष्ट्र हथियारों की नीति और युद्ध की बात करते है वहां नरेंद्र मोदी औषधी, डिजास्टर रिलीफ, व्यापार और बुद्ध की बात करते है। इसके साथ ही भारत के विदेशनीति ने उन्हें धर्म और संस्कृति से जुड़ा वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत किया है, जो की सच भी है।
वहीं प्रधानमंत्री की विदेशनीति ने सभी देशों के साथ सन्मान और द्विराष्ट्रीय संबंधो को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में बड़े से बड़े देश भारत में व्यापर के अवसर खोजने और द्विपक्षीय संबंधो के जरिए भारत में वैश्विक सहभाग के माध्यम से देश से जुड़ने के प्रयास में होते है, जिसका जरिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। साथ ही नरेंद्र मोदी ने कई बार भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जुडी मूल्यवान वस्तुओं को भेंट के स्वरुप में वैश्विक नेताओं को दिखाकर या भेंट कर उसका महत्व समझा चुकें है, जिससे अमेरिका और यूरोपियन देशों को इन पुरातत्व अवशेषों का भारत के प्रति महत्व समझ आया है।
प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नजदीकी बढ़ाने, भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने, भारतीयों की नजर में ऊपर उठने और अपनी प्रतिभा को चमकाने के उद्देश्य से अमेरिका और यूरोपियन देशों ने इन अवशेषों को भारत को लौटाने की नीति को अपनाया है। इसी क्रम में इसी वर्ष नई दिल्ली में 46वीं ‘विश्व धरोहर समिति’ के मौके पर, भारत-अमेरिका के बीच भारत से अमेरिका में पुरावशेषों की अवैध तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले ‘सांस्कृतिक संपत्ति समझौते’ पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य भविष्य में मोदी की अनुपस्थिती में भी ऐसे पुरातत्वीय अवशेषों को भारत में लाने का है।
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