24 C
Mumbai
Wednesday, February 5, 2025
होमब्लॉगओवैसी…तुम ईंट उठाकर तो देखो। 

ओवैसी…तुम ईंट उठाकर तो देखो। 

Google News Follow

Related

लोकसभा में वक़्फ़ बिल में संशोधन करने के लिए बिल लाया गया था, इतना ही नहीं इस बिल पर चर्चा और संशोधन के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिती यानी जेपीसी के पास भी भेजा गया था। इस बिल पर मुस्लिम और गैर मुस्लिम समाज दोनों तरफ से सिफारिशें भी आई और बदलाव भी मांगे गए। यानी 36 बैठकों में 111 घंटे काम करते हुए, वक़्फ़ बिल में संशोधन करके जेपीसी ने इस बिल को मंजूरी दी है। लेकीन इसके पास होने से पहले मुस्लिम साइड का नेतृत्व करने वालों ने भरी संसद से धमकी दी है।

सोमवार को रजाकार के वंशज और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल के  मुसलमीन सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भरी संसद से भारत के संविधान को चुनौती दी है। ओवैसी ने संसद या संविधान को ही नहीं तो भारतीयों द्वारा चुनकर लायी गई संविधानिक सरकार को चुनौती दी है। मुद्दा वक़्फ़ बिल का था, वक़्फ़ बिल में भविष्य में होने वाले संशोधनों पर था। 

ओवैसी ने कहा,”मैं इस सरकार को चेतावनी दे रहा हूं कि अगर आप वक्फ अधिनियम को उसके वर्तमान स्वरूप में लाते हैं, जो अनुच्छेद 25, 26 और 14 का उल्लंघन करता है, तो इससे इस देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी। इस कानून को पूरे मुस्लिम समुदाय ने खारिज कर दिया है। यह कानून कोई वक़्फ़ नहीं रहने देंगे। कोई संपत्ति नहीं बचेगी।” पहला सवाल तो ये है की ये मुस्लिम समाज कौन होता है ख़ारिज करने वाला? कुछ निर्णय लेना है तो संसद लेगी। ओवैसी के बयानों को सुनकर कभी-कभी लगता है ओवैसी ने अपनी कानून की पढाई मदरसे से की है! ओवैसी ने कहा यह अनुच्छेद 25, 26, और 14 का उल्लंघन है… तो इसके Biryani Brigade ने भी इसी बात को लेकर नाचना शुरू किया।

इस मूर्खों की फ़ौज को इतना नहीं समझ आता की अनुच्छेद 14 का मतलब है कानून के सामने सब लोग समान है और अगर ओवैसी अनुच्छेद 14 को इतना ही मानता है, तो फिर तो वक़्फ़ बोर्ड का वजूद ही नहीं होना चाहिए, क्योंकि वक़्फ़ बोर्ड मजहब के आधार पर दिया जा रहा है। 

ओवैसी अगर अनुच्छेद 25 की बात करता है तो वो धर्म को मानने की स्वतंत्रता के साथ, उसके आचरण और प्रचार की भी स्वतंत्रताले लिए लिखा हुआ अनुच्छेद है, मगर इसीके सबसेक्शन 2 में लिखा है कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को कोई कानून बनाने से नहीं रोकेगी…  यानि तुम्हारी बेतुकी भावनाओं से भी तुम अब वक़्फ़ संशोधन विधेयक आने से नहीं रोक सकते। 

अनुच्छेद 26, जो कहता है,  धर्म के मामलों में अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करना; लेकीन धर्म के मामले में देश की भूमि हड़पना नहीं आता। वक़्फ़ का मुद्दा धार्मिक विषय न होकर देश की सुरक्षा, देश की संपत्ति और देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। तो आर्टिकल 26 लागू नहीं होता… 

ओवैसी ने अपनी आधी-अधूरी कानून की शिक्षा के प्रदर्शन के बाद कहा, “अगर आप इस तरह का कानून बनाकर इस देश को 80 और 90 के दशक में ले जाना चाहते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी। क्योंकि, एक गर्वित भारतीय मुसलमान होने के नाते, मैं अपनी मस्जिद की एक इंच भी जमीन नहीं दूंगा। हम यहां आकर राजनीतिक भाषण नहीं देंगे।”

ओवैसी और अन्य मुसलमानो की कट्टरता असल में बुजदिली छुपाने के एक जरिया है। मुसलमान गुस्सा हो जाएगा, मुसलमान रस्ते पर उतरेगा, देशमें खून की नदिया बहेंगी, मुसलमान जिहाद करेंगे, लाल किले पे चढ़ जाएंगे, ये कर जाएगें वो कर जाएंगे इनकी  धमकियों से डरने वाली कांग्रेस गई…अब कोई डरने वाला नहीं है।

ओवैसी के स्टेटमेंट्स असल में जनता द्वारा चुनकर आए संप्रभु भारत सरकार को धमकी है कि हम इस देश में विशेष लोग हैं, अगर हमारे विशेष अधिकार छीने गए तो हम इस देश में अराजक स्थिति पैदा कर देंगे।

आज़ादी के बाद इस देश में कई भूमि सुधार कानून पारित हुए। सरकार ने हिंदू जमींदारों की लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। भूदान आंदोलन में कई हिंदू जमींदारों ने अपनी जमीनें सरकार को दान की थी। सरकार ने हिन्दू राजाओं की सम्पत्ति जब्त कर ली। उनके भत्ते रद्द करवाकर उन्हें कंगाल किया था। लेकिन किसी भी हिन्दू जमींदार ने अराजकता फैलाने की बात नहीं की, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह देश उनका है और वो अपनी भूमि अपने देश को दे रहे हैं।

ओवैसी का बयान दर्शाता है कि वक्फ भूमि के पूर्ण राष्ट्रीयकरण की बात तो दूर, वक्फ अधिनियम में कुछ संशोधन करने से भी इस्लामी जिहादी जहर फन निकाल कर खड़ा होगा। इसका इलाज जरुरी है।

हिंदू समाज एक बार अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का विभाजन अपनी खुली आंखो से देख चूका हैं। हिंदू समाज पाकिस्तान और पूर्व पाकिस्तान में लाखों हिंदुओ के खून से रंगी नदियां देख चूका है। ओवैसी … इसे 80-90 के दशक का हिंदू समाज, 40-50 के दशक का हिंदू मत समझना। ऐसा सोचने की भी भूल करना ओवैसी और उन तमाम लोगों की मूर्खता ही होगी जो हिंदू समाज को कमजोर समझते है। 

हम ओवैसी तक ये ओपन सीक्रेट पहुंचाना चाहते है की, हां हमने वक़्फ़ जैसे मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले सभी कानूनों को निरस्त करने के लिए ही हिंदुओं ने मोदी सरकार को चुनकर भेजा है।

वो इंदौरी का शेर था ना…किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है…वहीं तो… किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है की जो मर्जी आए टुच्चे से कानून के बलबूते भारत की जमीन हड़पले।

यह भारत की जमीन है इस्लाम की नहीं, यह भारत की जमीन है, यह प्रभु राम की जमीन है, ये बुद्ध की जमीन है, नानकदेव की जमीन है, ये आदिमाया अंबाबाई और छत्रपति शिवाजी महाराज की जमीन है। 

रजाकारों वाली लुटेरापंती करने से पहले ये याद रखना की, उस वक़्त नेता वल्लभ भाई थे… उन्हों ने ईंट से ईंट बजा दी थी…अब मोटाभाई है… तुम ईंट उठाकर तो देखो। हिंदू समाज ने दो बड़े बड़े देश… मानों अपनी दो भुजाए काटकर दो मुस्लिम देश बनाने के लिए दिए है। आज भी वो विभाजन के घाव भरें नहीं है, इसलिए इस देश में वही होना चाहिए जो लोकतंत्र तय करेगा। 

60 साल तक कांग्रेस देश पर राज करती रही…तुष्टिकरण करती रही…इस देश में सब मंजूरे खुदा होता था…अब नहीं होगा… अब मंजूरें लोकतंत्र होगा। भारत का बहुसंख्य समाज भारतीय जनता पार्टी और एनडीए सरकार को इसीलिए चुनकर लाया है की न केवल वक़्फ़ द्वारा हड़प की गई जमीनें बल्कि पाकिस्तान और चीन ने हड़प की जमीने भी भारत में सम्मिलित की जाए। 

क्या ओवैसी को ये पता है, आखरी बार एक इंच भी जमीन न देने की गीदड़ भभकी किसने पेली थी? दुर्योधन ने… उसके साथ क्या हुआ पता है ना! ओवैसी को इस बात का भी पता होना चाहिए की हिंदू समाज आज भी अगर मर्यादा में है तो समाज के भीष्म, द्रोणाचार्य, और कृपाचार्यों के कारण।

यह भी देखें:

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,203फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
228,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें