भारतीय नौसेना का अत्याधुनिक युद्धपोत ‘आईएनएस इम्फाल’ ने मॉरीशस में अपनी यात्रा पूरी कर ली है। यह युद्धपोत मॉरीशस के 57वें नेशनल डे समारोह में शामिल हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे। अत्याधुनिक हथियारों, सेंसरों और मशीनरी से सुसज्जित यह युद्धपोत दुनिया के सबसे बड़े और उन्नत युद्धपोतों में से एक है।
आईएनएस इम्फाल 10 मार्च को मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस के बंदरगाह पर पहुंचा था और शुक्रवार 14 मार्च को वहां से रवाना हुआ। इस दौरान नौसेना के मार्चिंग दल और हेलीकॉप्टर भी जहाज के साथ मौजूद थे।
मॉरीशस में कूटनीतिक और सैन्य सहभागिता:
मॉरीशस प्रवास के दौरान आईएनएस इम्फाल ने कई प्रशिक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लिया। इनमें क्रॉस-ट्रेनिंग विजिट, खेल प्रतियोगिताएं और सामुदायिक आउटरीच गतिविधियां शामिल थीं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना था।
भारतीय नौसेना ने इस प्रवास के दौरान मॉरीशस के एमसीजीएस जहाजों के साथ मिलकर विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) निगरानी अभ्यास भी किया। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास से हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
भारत-मॉरीशस के ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध:
भारत और मॉरीशस के बीच लंबे समय से मजबूत ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग पिछले कुछ वर्षों में और अधिक मजबूत हुआ है।
आईएनएस इम्फाल भारतीय नौसेना में दिसंबर 2023 में शामिल हुआ था। यह देश के चार स्वदेशी विध्वंसक जहाजों में से तीसरा युद्धपोत है। यह स्वदेशी रूप से विकसित ‘विशाखापत्तनम-क्लास’ विध्वंसक श्रेणी का हिस्सा है, जिसे भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
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भारत का समुद्री सुरक्षा में विस्तार:
भारत लगातार अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करता रहा है। इसी कड़ी में हाल ही में बंगाल की खाड़ी में भारत-बांग्लादेश नौसैन्य अभ्यास ‘बोंगोसागर 2025’ का आयोजन किया गया था। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस रणवीर और बांग्लादेश नौसेना के बीएनएस अबू उबैदा ने हिस्सा लिया। आईएनएस इम्फाल की यह यात्रा न केवल भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करती है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को भी रेखांकित करती है।