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Jayanti 14 मई को: भगवान परशुराम के क्रोध से गणेश जी भी नहीं बच पाए

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हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है. इस बार परशुराम जयंती 14 मई 2021 को है. भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था. भगवान परशुराम का जन्म भार्गव वंश में भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं.

हिन्दु धर्म के अनुसार भगवान परशुराम ने ब्राह्माणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत करने के लिए जन्म लिया था. माना जाता है कि परशुराम जयंती के दिन पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन दान- पुण्य करने का विशेष महत्व होता है. जिन लोगों की संतान नहीं होती है उन लोगों को इस व्रत को करना चाहिए. इस दिन भगवान परशुराम के साथ विष्णु जी का आशीर्वाद भी मिलता है. हिंदू धर्म में परशुराम जयंती का दिन बहुत मुहत्वपूर्ण होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.

अगर आपके आसपास नदी नहीं है तो पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें. भगवान विष्णु को चंदन लगाकर विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें, फिर भगवान को भोग लगाएं.आप चाहे तो परशुराम जी के मंदिर जाकर दर्शन कर सकते हैं.इस दिन व्रत करने वाले लोगों को किसी तरह का कोई अनाज नहीं खाना चाहिए.भगवान परशुराम बहुत जल्दी क्रोधित हो जाते थे. उनके इस स्वभाव से भगवान गणेश भी नहीं बच पाएं थे. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम एक बार कैलाश में मिलने भगवान शिव से आए थे. भगवान गणेश ने उन्हें जाने से रोक दिया. इस बात से क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया था. इसके बाद से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगें।

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