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Saturday, November 8, 2025
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ईडी की कार्रवाई: रिलायंस पावर के CFO अशोक पाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार!

पाल ने ₹68 करोड़ से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी SECI को जमा कराई, जिसका उद्देश्य एक Public Undertakings को धोखा देना था।

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एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक पाल को मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने कंपनी के वित्तीय लेनदेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सार्वजनिक हित को नुकसान पहुँचाया।

ED ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि अशोक पाल ने सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के फंड्स को भटकाने में प्रमुख भूमिका निभाई। बोर्ड रिज़ॉल्यूशन के तहत उन्हें और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को SECI (Solar Energy Corporation of India) की Battery Energy Storage System (BESS) टेंडर से जुड़े दस्तावेज़ तैयार, साइन और निष्पादित करने का अधिकार दिया गया था। ED के अनुसार, पाल ने ₹68 करोड़ से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी SECI को जमा कराई, जिसका उद्देश्य एक Public Undertakings को धोखा देना था।

फर्जी बैंक गारंटी और अवैध रैकेट

जांच में सामने आया कि फर्जी गारंटी FirstRand Bank के मनीला शाखा की तरफ से जारी बताई गई, जबकि बैंक का फिलीपींस में कोई शाखा नहीं है। ED ने इसे योजना में धोखाधड़ी की गंभीरता का उदाहरण बताया।

पाल ने कथित तौर पर ओडिशा स्थित Biswal Tradelink Pvt Ltd (BTPL) को फर्जी गारंटी जारी करने के लिए चुना, जो एक छोटा फर्म है और निवास स्थान से संचालित होता है। BTPL के निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल पहले ही न्यायिक हिरासत में हैं।

ED ने बताया कि फर्जी BG रैकेट में बड़े भारतीय बैंकों के समान दिखने वाले डोमेन का इस्तेमाल किया गया, जैसे s-bi.co.in को sbi.co.in के रूप में बदलकर और SBI, PNB, Indian Bank और IndusInd Bank जैसी संस्थाओं के नाम से प्राप्तकर्ताओं को धोखा दिया गया। ED के अनुसार, पाल ने फर्जी ट्रांसपोर्ट इनवॉइस के जरिए करोड़ों रुपये के फंड डाइवर्ज़न में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अक्सर SAP और वेंडर सिस्टम के बाहर भुगतान और दस्तावेज़ों को मंजूरी दी, और इसके लिए Telegram और WhatsApp जैसे प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया।

एजेंसी ने कहा कि यह धोखाधड़ी एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के माध्यम से की गई, जहां 75% से अधिक शेयर जनता के पास हैं, इसलिए इसका प्रभाव सीधे जनता पर पड़ता है। ED का कहना है कि अशोक पाल की गिरफ्तारी अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों से जुड़े बड़े वित्तीय अनियमितताओं के नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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