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भारत में जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र में निवेश से वृद्धि की राह पर!

₹69,725 करोड़ के प्रोजेक्ट्स रोजगार और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती देंगे

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भारत के जहाज निर्माण और समुद्री सुधार क्षेत्र को इस साल ₹69,725 करोड़ के निवेश से नई ऊर्जा मिलने वाली है। इस क्षेत्र को अक्सर भारी इंजीनियरिंग की जननी कहा जाता है, क्योंकि यह रोजगार सृजन, निवेश आकर्षण, राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकारी बयान के अनुसार, भारत में जहाज निर्माण का हर निवेश 6.4 गुना रोजगार पैदा करता है और पूंजी पर 1.8 गुना रिटर्न देता है, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक विकास और मजबूत संरचना में योगदान देता है।

भारत में जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाओं और निवेश पहल की हैं। शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम के तहत ₹24,736 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो वित्तीय सहायता, शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट्स और राष्ट्रीय शिपबिल्डिंग मिशन के माध्यम से घरेलू निर्माण को मजबूत करेगा।

इसके अलावा, मैरिटाइम डेवलपमेंट फंड में ₹25,000 करोड़ का निवेश और ब्याज प्रोत्साहन शामिल है, जबकि शिपबिल्डिंग डेवलपमेंट स्कीम ₹19,989 करोड़ के बजट के साथ पूंजी सहायता, जोखिम कवरेज और शिपबिल्डिंग क्लस्टर्स के लिए क्षमता निर्माण को सक्षम करेगी।

बड़ी जहाज परियोजनाओं को इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस प्रदान करने से आसान वित्तपोषण संभव होगा, जिससे घरेलू शिपबिल्डिंग को और मजबूती मिलेगी। इन पहलों का उद्देश्य न केवल आधारभूत ढांचे का आधुनिकीकरण और घरेलू निर्माण क्षमता का संवर्धन है, बल्कि वैश्विक निवेश को आकर्षित करना भी है। साथ ही, Maritime India Vision 2030 और Viksit Bharat 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप यह क्षेत्र नवाचार, स्थिरता और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिससे भारत की समुद्री ताकत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा दोनों मजबूत होंगी।

स्वतंत्रता के बाद भारत में जहाज निर्माण मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में केंद्रित था, जिसमें मुंबई का Mazagon Dock Shipbuilders Ltd, कोलकाता का Garden Reach Shipbuilders & Engineers Ltd और विशाखापत्तनम का Hindustan Shipyard Ltd प्रमुख थे।

पिछले दशक में निजी जहाज निर्माताओं के प्रवेश से इस क्षेत्र में तेजी से बदलाव आया है, जिससे क्रूज टूरिज्म, अंतर्देशीय जल परिवहन और बंदरगाह अवसंरचना में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और भारत का शिपबिल्डिंग सेक्टर वैश्विक मानकों के करीब पहुंचा है।

कोचीन शिपयार्ड और माजगांव डॉक ने तमिलनाडु एजेंसियों के साथ बड़े जहाज निर्माण कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के MoU किए, जिसमें ₹15,000 करोड़ की क्षमता और 1 मिलियन GT वार्षिक उत्पादन शामिल है। कोचीन शिपयार्ड और HD Korea Shipbuilding ने बड़े व्यावसायिक जहाज भारत में बनाने के लिए साझेदारी की। ₹3,700 करोड़ के फेब्रिकेशन फैसिलिटी के जरिए कोच्चि में हजारों नौकरियों और MSME-संबंधित सप्लाई चेन को बढ़ावा मिलेगा।

सरकारी बयान के अनुसार, उद्योग और सरकार के सहयोग से भारत की जहाज निर्माण उद्योग देश की समुद्री ताकत का स्तंभ बनने और सामावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।

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