सॉफ्ट पॉर्न दिखाने पर प्रतिबंध: सीफ्लिक्स, बिग शॉट्स और अन्य कई ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सॉफ्ट पॉर्न और अश्लील सामग्री प्रसारित करने के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने कुल 25 वेबसाइटों और संबंधित मोबाइल ऐप्स को बंद करने vका आदेश जारी किया है, जिन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम, 2021 के उल्लंघन का आरोप है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन प्लेटफॉर्म्स पर लगातार ऐसी सामग्री दिखाई जा रही थी जो अश्लीलता और महिलाओं के अशोभनीय चित्रण की श्रेणी में आती है। इनमें से अधिकतर सामग्री को सरकार ने “सॉफ्ट पॉर्न” करार दिया है। अधिकारियों ने बताया कि इन प्लेटफॉर्म्स ने देश के आईटी कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS) और महिलाओं के अश्लील चित्रण निषेध अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन किया।
प्रतिबंधित प्लेटफॉर्म्स में उल्लू, ALTT (पूर्व में ALT Balaji), Big Shots App, MoodX, NeonX VIP जैसी सेवाएं शामिल हैं। सरकार ने इनसे जुड़ी 25 वेबसाइट्स, 10 मोबाइल ऐप्स और 57 सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। ये सभी प्लेटफॉर्म या तो स्वयं सामग्री प्रसारित कर रहे थे या अश्लील वीडियो को प्रमोट कर रहे थे।
सरकार ने आईटी अधिनियम की धारा 79 का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई इंटरमीडियरी (जैसे कि ओटीटी प्लेटफॉर्म) सूचना के हटाने के निर्देश के बाद भी अवैध सामग्री हटाने में विफल रहता है, तो उसे दायित्व से छूट नहीं मिलती। नियमों के तहत ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को आयु-आधारित श्रेणियों में कंटेंट वर्गीकृत करना, स्व-नियमन और एथिक्स कोड का पालन करना अनिवार्य है।
मार्च 2024 में भी सरकार ने Neufliks, X Prime, Besharams, MoodX, Prime Play जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें “अश्लील, भड़काऊ और कई मामलों में पोर्नोग्राफिक सामग्री” के लिए बंद कर दिया था। तब भी 19 वेबसाइट, 10 ऐप्स और 57 सोशल मीडिया हैंडल पर कार्रवाई की गई थी।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल. मुरुगन ने पिछले साल संसद में कहा था कि डिजिटल मीडिया को लेकर सरकार तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली चला रही है, जिसमें स्व-नियमन, अपीलीय निकाय और अंत में सरकार द्वारा निगरानी शामिल है। उन्होंने बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नवीनतम सामाजिक मानकों और भारतीय कानूनों के अनुरूप सामग्री तैयार करनी चाहिए और बच्चों को आपत्तिजनक सामग्री से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
सरकार का यह रुख यह दिखाता है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री की पूर्ण स्वतंत्रता अब अतीत की बात हो चुकी है। 2017 में भी सरकार ने टीवी पर कंडोम विज्ञापनों पर दिन के समय में प्रतिबंध लगाया था, यह कहते हुए कि इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है।
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