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भारत का रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट मार्केट 19.7 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद

प्राइवेट इक्विटी पार्टिसिपेशन भी 2011 के 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2019 में मल्टी बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे ट्रांसपेरेंसी बेहतर हुई है और इंस्टीट्यूशनल कॉन्फिडेंस बढ़ा है।

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भारत के रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट मार्केट को लेकर उम्मीद है कि यह वर्तमान में 10.4 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2030 तक 19.7 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। शुक्रवार (31 अक्तूबर)को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मार्केट को हाई ऑक्यूपेंसी, अच्छे टैक्स सिस्टम और ब्रॉडर सेक्टोरल इंक्लूजन जैसे कारकों से समर्थन मिलेगा।

नाइट फ्रैंक इंडिया ने कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे इस सेक्टर को शहरीकरण, टेक्नोलॉजी और प्रोग्रेसिव पॉलिसी रिफॉर्म्स से एक नया आकार मिलेगा, भारत का कमर्शियल रियल एस्टेट सभी एसेट क्लास में नए अवसरों को अनलॉक करेगा।

इसके अलावा, रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि प्राइवेट इक्विटी पार्टिसिपेशन भी 2011 के 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2019 में मल्टी बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे ट्रांसपेरेंसी बेहतर हुई है और इंस्टीट्यूशनल कॉन्फिडेंस बढ़ा है। परिणाम स्वरूप भारत के बढ़ते कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में आरईआईटी के विस्तार की राह आसान बन रही है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, शिशिर बैजल ने कहा, “भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट (सीआरई) में बदलाव पहले से कहीं ज्यादा ग्लोबल, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन और एक्सपीरियंस-फोक्स्ड व्यवसायों की वजह से हो रहा है। इसके अलावा, ऑफिस डिमांड में कंसोलिडेशन, मजबूत रिटेल ग्रोथ और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार ने ऑक्यूपायर्स के बिहेवियर को पूरी तरह से बदल दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में कंपनियों को ग्रीन, फ्यूचर-रेडी स्पेस और कैपिटल मार्केट की जरूरत महसूस हो रही है। भारत 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है, जिसमें सीआरई प्रोडक्टिविटी बढ़ाने, नेक्स्ट जनरेशन अर्बन सेंटर बनाने और निवेश को आकर्षित करने के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आएंगे।

रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 के लिए ऑर्गेनाइज्ड फॉर्मेट में रिटेल कंजम्पशन अनुमानित 8.8 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें शॉपिंग सेंटर, हाई स्ट्रीट और एयरपोर्ट एंड ट्रांजिट रिटेल जैसे न्यू-एज फॉर्मेट शामिल हैं। यह विस्तार एक्सपीरियंस ड्रिवन, कंज्यूमर-सेंट्रिक डेस्टिनेशन की ओर एक स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है।

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