निर्यात के लिए जाने वाले और बिना निर्यात के बांग्लादेश के बंदरगाह और सीमा पर फंसे हजारों टन प्याज को रूट करने का समाधान ढूंढने का आश्वासन मिलने के बाद प्याज व्यापारी संघ ने गुरुवार से जिले की बाजार समितियों में नीलामी में भाग लेने की घोषणा की है। निर्यात शुल्क लगने के कारण व्यापारियों ने नीलामी रोक दी थी। नतीजा यह हुआ कि लगातार तीन दिनों में दो से ढाई लाख क्विंटल प्याज का लेनदेन नहीं हो सका। सरकार ने NAFED के जरिए खरीदारी शुरू कर व्यापारियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश की|
प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के फैसले से स्थानीय आक्रोश फैल गया। इस सवाल पर जिला प्रशासन ने मंगलवार को व्यापार संघों, बाजार समिति और किसान संघों से चर्चा की| हालांकि, वह बैठक बेनतीजा रहने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ.भारती पवार ने हस्तक्षेप किया और सभी पक्षों से दोबारा चर्चा की| शनिवार शाम को, बिना किसी पूर्व सूचना के, कुछ दिनों की समय सीमा दिए बिना, निर्यात शुल्क निर्णय तुरंत लागू कर दिया गया। इसलिए, यह दुविधा पैदा हो गई कि निर्यात के लिए निर्धारित माल के बंदरगाह और बांग्लादेश की सीमा तक पहुँचने पर निर्यात शुल्क का भुगतान कौन करेगा।
व्यापार संघ का अनुमान है कि माल करीब 30 हजार टन है| व्यापारियों और निर्यातकों को निर्यात की प्रक्रिया में संबंधित वस्तुओं के आंकड़ों के साथ 24 घंटे के भीतर जिला प्रशासन को जानकारी देनी होगी। इस संबंध में प्रशासन के माध्यम से राज्य व केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जायेगी| इस संबंध में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, डॉ. से चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। पवार ने प्याज की नीलामी बहाल करने की अपील की| उन्होंने कहा है कि निर्यात शुल्क को कुछ हद तक कम करने की मांग की जाएगी|
निर्यात प्रक्रिया में प्याज को रियायत मिलने के संकेत मिलने के बाद प्याज व्यापारियों ने नीलामी रोकने का रुख वापस ले लिया। व्यापारी संघ के अध्यक्ष खंडू देवरे ने घोषणा की कि गुरुवार से जिले की सभी बाजार समितियों में व्यापारी प्याज की नीलामी में भाग लेंगे| ऐसे निर्णयों को लागू करने के लिए सरकार को कम से कम एक सप्ताह का समय देना होगा। इस निर्णय के समय यह बताया गया कि ऐसी समय सीमा न होने के कारण बड़ी मात्रा में सामान अटका हुआ था।
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