1 अप्रैल से 12 अक्टूबर तक की अवधि में कॉर्पोरेट टैक्स वसूली ₹5.02 लाख करोड़ रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹4.92 लाख करोड़ थी। वहीं, गैर-कार्पोरेट टैक्स संग्रह ₹6.56 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष ₹5.94 लाख करोड़ के मुकाबले तेज़ी दर्शाता है।
इस वित्त वर्ष अब तक ₹2.03 लाख करोड़ के रिफंड जारी किए गए, जो पिछले वर्ष के ₹2.41 लाख करोड़ की तुलना में 15.98% कम हैं। रिफंड में इस तेज़ गिरावट के कारण, भले ही सकल टैक्स संग्रह (Gross Tax Receipts) में केवल 2.36% की मामूली वृद्धि हुई हो, जो ₹13.92 लाख करोड़ तक पहुंची फिर भी नेट वसूली में मज़बूती दर्ज की गई।
व्यक्तिगत आयकर (Individual Income Tax) और सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) दोनों में वृद्धि देखी गई।
एसटीटी वसूली ₹30,878 करोड़ रही, जो पिछले वर्ष के ₹30,630 करोड़ से थोड़ा अधिक है। कुल नेट टैक्स वसूली (कॉर्पोरेट + व्यक्तिगत) मिलाकर ₹11.89 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹11.18 लाख करोड़ थी।
जहां कॉर्पोरेट टैक्स रिफंड ₹1.20 लाख करोड़ से बढ़कर ₹1.40 लाख करोड़ हो गया, वहीं नॉन-कॉर्पोरेट टैक्सपेयर्स के रिफंड लगभग आधे घटकर ₹62,359 करोड़ पर आ गए। इस असमानता ने रिफंड प्रोसेसिंग में देरी और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि रिफंड में देरी सख्त जांच प्रक्रियाओं के कारण हो रही है, ताकि फर्जी रिफंड क्लेम्स को रोका जा सके। विभाग ने भरोसा दिलाया कि सही और सत्यापित फाइलिंग करने वाले करदाताओं को समय पर रिफंड मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि कॉर्पोरेट टैक्स वसूली में निरंतर वृद्धि देश की कॉर्पोरेट लाभप्रदता और निवेश माहौल में सुधार का संकेत है, जबकि रिफंड में गिरावट से कैश फ्लो पर दबाव झेल रहे छोटे व्यापारियों और व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को परेशानी हो सकती है।
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