भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए उसके लोन खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है। बैंक ने 23 जून 2025 को लिखे एक पत्र में यह जानकारी दी, जो कंपनी को 30 जून को प्राप्त हुआ। इसके साथ ही SBI ने कंपनी के पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रिपोर्ट करने का निर्णय लिया है। हालांकि, RCOM ने इसे दिवालिया प्रक्रिया (CIRP) के दायरे से बाहर का पुराना मामला बताया है और कहा है कि इस टैग से कंपनी की मौजूदा स्थिति या समाधान योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
RCOM का कहना है कि वह जून 2019 से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत CIRP में है और इस समय कंपनी का संचालन रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल द्वारा किया जा रहा है, न कि बोर्ड द्वारा। कंपनी ने स्पष्ट किया कि जिस लोन को लेकर SBI ने फ्रॉड का आरोप लगाया है, वह CIRP शुरू होने से पहले का है और इसलिए IBC कानून की धारा 32A के अनुसार कंपनी को इस अपराध के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
RCOM ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि SBI द्वारा उठाया गया यह कदम उसकी CIRP प्रक्रिया और प्रस्तावित समाधान योजना पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। कंपनी के अनुसार, लेनदारों की समिति पहले ही प्रस्तावित समाधान योजना को मंजूरी दे चुकी है और अब इसे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है। कंपनी ने यह भी कहा कि ऐसे सभी पूर्व लोन और क्रेडिट से जुड़ी देनदारियों का समाधान या तो योजना के तहत होगा या फिर परिसमापन के दौरान किया जाएगा।
इस घटनाक्रम पर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि IBC की धारा 32A कंपनियों को ऐसे मामलों में स्पष्ट सुरक्षा देती है, ताकि पुराने कथित अपराधों की वजह से समाधान योजना या पुनरुद्धार प्रक्रिया पर कोई असर न पड़े। RCOM ने भी यही दलील दी है कि CIRP के चलते उसके खिलाफ कोई नई या पुरानी कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।
फिलहाल RCOM ने SBI के आरोपों को लेकर आगे की रणनीति तय करने के लिए कानूनी सलाह लेना शुरू कर दिया है। कंपनी ने दोहराया कि वह IBC के सभी प्रावधानों का पालन कर रही है और समाधान योजना के तहत ही सभी दावों को सुलझाया जाएगा।
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