भारतीय नौसेना ने मंगलवार (1 जुलाई) को रूस में आयोजित एक औपचारिक समारोह में INS Tamal को अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह भारत द्वारा विदेश से हासिल किया गया अंतिम युद्धपोत है। आईएनएस तमाल (F71) एक उन्नत क्रिवाक-III वर्ग का फ्रिगेट है, जो Project 1135.6 के तहत आता है। यह तुशील वर्ग के दो अतिरिक्त जहाज़ों में से दूसरा है, जिनका अनुबंध अक्टूबर 2016 में हुआ था। जहाज की लंबाई 125 मीटर और वजन करीब 4000 टन है।
INS Tamal का नाम ‘तमाल’ नामक पौराणिक तलवार से लिया गया है, जिसे देवताओं के राजा इंद्र युद्ध में प्रयोग करते थे। यह भारत-रूस रक्षा सहयोग के अंतर्गत बना 51वां युद्धपोत है। INS Tamal को भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान के ‘Sword Arm’ फ्लीट में शामिल किया गया है।
कई भारतीय और रूसी हथियार प्रणालियों से सुसज्जित:
- 8 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें
- Shtil मध्यम दूरी की सतह-से-आकाश मिसाइलें (MRSAM)
- 100mm A190-01 मुख्य तोप (कम रडार सिग्नेचर के साथ)
- दो AK-630 CIWS, RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो और डिकॉय सिस्टम
- कामोव Ka-28 और Ka-31 हेलिकॉप्टरों के संचालन की क्षमता
आईएनएस तमाल में 33 से अधिक प्रणालियाँ भारतीय मूल की हैं और इसका कुल स्वदेशी योगदान 26% है। इसमें BrahMos Aerospace, BEL, Keltron, Tata’s Nova Integrated Systems, Elcome Marine, और Johnson Controls India जैसे प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों ने योगदान दिया है।
आईएनएस तमाल को 24 फरवरी 2022 को लॉन्च किया गया था। इसने नवंबर 2024 में समुद्री परीक्षण शुरू किए और जून 2025 तक सभी ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरे किए। सभी रूसी हथियार प्रणालियों के परीक्षण — जिनमें मिसाइलें, तोप और टॉरपीडो शामिल हैं — सफल रहे। यह जहाज रूस की Project 11356R श्रृंखला के अधूरे ढांचे पर आधारित है, जिनका निर्माण युक्रेनी इंजन की अनुपलब्धता के कारण अधूरा रह गया था।
INS Tamal की तैनाती के साथ भारतीय नौसेना की विदेशी जहाजों पर निर्भरता औपचारिक रूप से समाप्त हो जाती है। आने वाले समय में दो और Project 11356M फ्रिगेट भारत के गोवा शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण 2027 तक पूरा होगा।
उधर, Project 17A के अंतर्गत बनने वाले स्वदेशी ‘निलगिरी क्लास फ्रिगेट’ भी लगभग समानांतर रूप से शामिल किए जा रहे हैं। यह वर्ग बड़े, अधिक तकनीकी रूप से परिष्कृत, और 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से लैस है। INS Tamal का शामिल होना न केवल नौसेना के लिए एक रणनीतिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया कदम भी है।
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