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Monday, July 14, 2025
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अमेरिकियों को ठग रहे थे उत्तर कोरिया के साइबर फ्रॉड गिरोह, करोड़ों डॉलर की ठगी पर्दाफाश!

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अमेरिका सरकार ने उत्तर कोरिया से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट पर बड़ा शिकंजा कसते हुए करोड़ों डॉलर की ठगी और क्रिप्टोकरेंसी चोरी के मामले में कई अभियोग दायर किए हैं। इस गिरोह में उत्तर कोरियाई आईटी कर्मियों के साथ अमेरिका और अन्य देशों के लोग भी शामिल थे। दो नए अभियोगों में 12 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें न्यू जर्सी का झेनक्सिंग डैनी वांग भी शामिल है।

इस साइबर ठग गिरोह ने 5 मिलियन डॉलर से ज्यादा की अवैध कमाई की और अमेरिकी साजिशकर्ताओं से लाखों डॉलर फीस के रूप में वसूले। एक अलग अभियोग में चार उत्तर कोरियाई नागरिकों को करीब 10 लाख डॉलर की क्रिप्टो चोरी के आरोप में चार्ज किया गया है। अधिकारियों ने 16 अमेरिकी राज्यों में 29 “लैपटॉप फार्म्स” पर छापेमारी की, जहां रिमोट जॉब्स के नाम पर उत्तर कोरियाई हैकर सिस्टम का उपयोग करते थे। इसके अलावा 29 बैंक और क्रिप्टो खातों को फ्रीज़ किया गया जो मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग हो रहे थे।

उत्तर कोरियाई आईटी कर्मियों ने चोरी की गई अमेरिकी नागरिकों की पहचान का इस्तेमाल कर नकली रिमोट नौकरियों के लिए आवेदन किया और 100 से अधिक कंपनियों, जिनमें कई Fortune 500 कंपनियां शामिल थीं, से लैपटॉप मंगवाए। ये लैपटॉप वांग और अन्य अमेरिका स्थित सहयोगियों को भेजे गए, जिन्होंने इन्हें “लैपटॉप फार्म्स” में रखा और रिमोट एक्सेस के जरिए उत्तर कोरिया में बैठे हैकरों को सौंपा।

रिपोर्ट के अनुसार, इस फ्रॉड से मिली रकम को उत्तर कोरिया की परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के लिए भेजा गया। एफबीआई के असिस्टेंट डायरेक्टर रोमन रोज़हावस्की ने कहा, “उत्तर कोरिया धोखाधड़ी और पहचान की चोरी के जरिए अपने हथियार कार्यक्रमों को फंड करता है, लेकिन हम इसे रोकने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।”

वांग ने Independent Lab नामक एक फर्जी सॉफ्टवेयर कंपनी बनाई। अमेरिकी कंपनियों ने उनके पते पर लैपटॉप भेजे, जिन्हें वांग ने हैकिंग के लिए तैयार कर उत्तर कोरियाई कर्मियों को रिमोट एक्सेस दिया। वांग इन कंपनियों से भुगतान वसूलकर उसे विदेशी साथियों को भेजता था इस फ्रॉड में कैलिफोर्निया के एक डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर से संवेदनशील सैन्य दस्तावेज़ चोरी होने का भी आरोप है। यहां तक कि एक ड्यूटी पर तैनात अमेरिकी सैनिक भी इन लैपटॉप फार्म्स को पैसे के लिए होस्ट कर रहा था।

अमेरिका में स्थित अटलांटा की कंपनियों में चार उत्तर कोरियाई आरोपियों ने फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर नौकरियां हासिल कीं और वहां से क्रिप्टोकरेंसी की बड़ी चोरी को अंजाम दिया। इस सिलसिले में मुख्य आरोपी किम क्वांग जिम ने एक नकली पुर्तगाली पहचान पत्र का इस्तेमाल कर खुद को अमेरिकी कंपनी का कर्मचारी बताया। उसे जब कंपनी में नौकरी मिल गई, तो उसने उस कंपनी के स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कोड में हेरफेर कर लाखों डॉलर मूल्य की क्रिप्टो टोकन चुरा ली।

वहीं दूसरा आरोपी जोंग पॉन्ग जु ने “ब्रायन चो” नाम की झूठी पहचान से कंपनी में नौकरी पाई और लगभग 1.75 लाख डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी चोरी कर ली। जोंग ने कंपनी को अपने पहचान की पुष्टि करने के लिए एक फर्जी मलयेशियाई ड्राइविंग लाइसेंस के साथ वीडियो क्लिप भेजी, ताकि वह उनकी सिस्टम तक पहुंच बना सके। इसके बाद चोरी किए गए क्रिप्टो टोकन को छिपाने के लिए उसने बहाना बनाया कि उसने गलती से निजी क्रिप्टो कुंजी (Private Key) को सार्वजनिक GitHub फाइल में डाल दिया था।

यह सब केवल ट्रैकिंग से बचने के लिए किया गया कवरअप था। इन चोरी की गई क्रिप्टो संपत्तियों को बाद में Tornado Cash नामक क्रिप्टो मिक्सर के जरिए लॉन्डर किया गया, ताकि उनके स्रोत को छिपाया जा सके और उन्हें उत्तर कोरिया तक भेजा जा सके। यह घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि उत्तर कोरियाई हैकर्स सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी नहीं कर रहे, बल्कि साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंधमारी भी करते हैं।

चोरी की गई क्रिप्टो को Tornado Cash नामक क्रिप्टो मिक्सर से लॉन्डर किया गया, जिससे उसके स्रोत को छिपाया जा सके।

एफबीआई अब इन आरोपियों के लिए “वॉन्टेड पोस्टर” जारी करने की तैयारी में है। अमेरिकी अटॉर्नी थियोडोर हर्ट्ज़बर्ग ने कहा, “यह मामला दिखाता है कि कैसे उत्तर कोरिया फर्जी रिमोट वर्कर्स के जरिए अमेरिका की कंपनियों और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहा है।”

हर्ट्ज़बर्ग ने कंपनियों से अपील की है कि वे रिमोट वर्कर्स की अच्छी तरह से जांच करें और वरीयता से अमेरिकी नागरिकों को नियुक्त करें, खासकर वर्चुअल करेंसी के क्षेत्र में।

यह मामला न केवल साइबर क्राइम और क्रिप्टो फ्रॉड की भयावहता दिखाता है, बल्कि इस बात की भी पुष्टि करता है कि उत्तर कोरिया अपनी सैन्य योजनाओं के लिए आईटी पेशेवरों को दुनिया भर में फैला कर सुनियोजित साइबर रणनीति अपना रहा है, जिससे वैश्विक सुरक्षा को गंभीर चुनौती मिल रही है।

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