भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोशल मीडिया पर भ्रामक वित्तीय जानकारी के प्रसार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 70,000 से अधिक पोस्ट और अकाउंट को हटाने की कार्रवाई की है। यह कदम अक्टूबर 2024 से अब तक उठाया गया है, जिसका उद्देश्य गलत सूचनाओं से निवेशकों को बचाना और ऑनलाइन वित्तीय इंफ्लूएंसरों को रेगुलेट करना है।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (एआरआईए) शिखर सम्मेलन में इस कार्रवाई की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हम सभी के लिए यह एक गंभीर चिंता है कि अनरजिस्टर्ड निवेश सलाहकार और शोध विश्लेषक निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं।” सेबी अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि निवेश संबंधी कोई भी भ्रामक जानकारी सार्वजनिक न हो, जिससे आम निवेशकों को नुकसान पहुंचे।
सेबी यूपीआई ‘पेराइट’ हैंडल लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिससे निवेशकों को रजिस्टर्ड संस्थाओं की पहचान करने में मदद मिलेगी। यह हैंडल निवेशकों को सही और भरोसेमंद वित्तीय जानकारी तक पहुंचने में सहायता करेगा और धोखाधड़ी से बचाव सुनिश्चित करेगा।
सेबी ने यह भी घोषणा की है कि वह निवेशकों के व्यवहार और उनके वित्तीय फैसलों को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण आयोजित करेगा। इस सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर सेबी अपनी जागरूकता और नियामक रणनीतियों को और मजबूत करेगा।
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अनंत नारायण ने ग्लोबल डेट इंडाइसेस में भारत की एंट्री को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे ऋण प्रवाह में वृद्धि हुई है और भारत के निवेश मिश्रण में सुधार आया है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि भारत को मजबूत आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता और बेहतर शासन बनाए रखने की जरूरत है ताकि यह निवेश दीर्घकालिक रूप से जारी रहे।
इस बीच, सेबी बोर्ड 24 मार्च को अपने नए प्रमुख तुहिन कांता पांडे के नेतृत्व में पहली बैठक आयोजित करेगा। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में एल्गोरिथम ब्रोकरों के लिए एक सेटलमेंट स्कीम पेश की जाएगी और शोध विश्लेषकों के लिए फीस संग्रह अवधि को बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।