प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार, 30 नवंबर को सुबह 8.30 बजे दक्षिण भारतीय फिल्म के कलाकार विजय देवरकोंडा से फिल्म लाइगर की फंडिंग में कथित अनियमितताओं को लेकर करीब 9 घंटे से ज्यादा देर तक पूछताछ की। उनके स्टेटमेंट को धन-शोधन निवारण अधिनियम एक्ट (पीएमएलए) के सेक्शन 50 के तहत रिकॉर्ड किया गया है। दरअसल मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय का नाम शामिल बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि फिल्म के मेकिंग और प्रमोशन में काले धन का इस्तेमाल किया गया था। इसे लेकर ईडी ने एक शिकायत के दौरान जांच शुरू कर दी है। अनन्या पांडे और अमेरिकी मुक्केबाजी के दिग्गज माइक टायसन अभिनीत फिल्म को लगभग ₹100 करोड़ के बजट के साथ बनाया गया था। हालांकि, यह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। यह देवरकोंडा की पहली बॉलीवुड फिल्म थी। इस फिल्म को करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस द्वारा समर्थित किया गया था।
तमाम पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत लाइगर फिल्म से जुड़े तमाम लोगों पर केस फाइल कर दिया है। बता दें कि धन-शोधन निवारण अधिनियम एक्ट के तहत इसे एक गंभीर मामला बताया गया है। वहीं विजय से पूछताछ की गई जिसके बाद विजय ने बताया कि उन्हें क्लैरिफिकेशन के लिए बुलाया गया था, ना कि पूछताछ या सवाल जवाब के लिए। विजय के मुताबिक बढ़ती पॉपुलैरिटी के साथ थोड़े साइड इफेक्ट तो आते ही है।
रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म लाइगर तकरीबन 120 करोड़ के बजट में बनी थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर अपनी लागत तक जुटाने में नाकामयाब रही थी। फिल्म ने कुल मिलाकर 60.80 करोड़ का कलेक्शन किया था। क्योंकि फिल्म हिंदी और तेलुगू दोनों भाषा में रिलीज हुई थी, इसलिए दोनों स्टेट्स में फिल्म की पब्लिसिटी के लिए जमकर पैसा बहाया गया।
ईडी को शिकायत मिली थी कि फिल्म में हवाला के पैसे सहित विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया गया था। दरअसल वारंगल के कांग्रेस नेता बक्का जुडसन ने ईडी के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई राजनेताओं ने काले धन को सफेद करने के लिए 125 करोड़ रुपये फिल्म में निवेश किया था। ये देखते हुए ईडी ने विजय देवरकोंडा को समन भेजा गया। हालांकि विजय से पहले ईडी ने 17 नवंबर को प्रोड्यूसर चार्मी कौर और डायरेक्टर पुरी जगन्नाध को भी पूछताछ के लिए ऑफिस बुलाया था। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग लास वेगस में हुई थी। ऐसे में, मिली शिकायत के मुताबिक ईडी ने जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक लाइगर में लगा विदेशी पैसा निवेशकों के काले धन को सफेद करने का तरीका बताया गया है। दरअसल ऐजेंसी यह जांच कर रही है कि क्या पूर्व मुक्केबाज माइक टायसन को किए गए भुगतान के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का कोई उल्लंघन हुआ था।
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