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जासूसी और पासपोर्ट घोटाले आदिल हुसैनी गिरफ्तार; भाई अख्तर पहले से ही हिरासत!

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे दोनों

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार (26 अक्टूबर) को सीमापुरी इलाके से एक बड़े पासपोर्ट घोटाले और जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए 59 वर्षीय आदिल हुसैनी को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान झारखंड के टाटा नगर (जमशेदपुर) का निवासी सैयद आदिल हुसैन उर्फ मोहम्मद आदिल हुसैनी उर्फ नसीमुद्दीन के रूप में हुई है।

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (28 अक्टूबर) को जारी बयान में बताया, “जमशेदपुर, झारखंड का निवासी आदिल हुसैनी अपने भाई अख्तर के साथ मिलकर विदेशी देशों को संवेदनशील जानकारी पहुंचाने और जाली दस्तावेज़ों के ज़रिए कई भारतीय पासपोर्ट बनवाने के अपराध में शामिल पाया गया है।”

पुलिस के अनुसार, मुंबई क्राइम ब्रांच से मिले इनपुट के बाद आदिल को गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर को उसका बड़ा भाई अख्तर हुसैनी पहले ही मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका था। अख्तर के पास से भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के दो नकली पहचान पत्र बरामद किए गए थे। जांच में सामने आया कि अख्तर खुद को BARC वैज्ञानिक बताकर वर्षों से विदेशी दौरों पर जाता था और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में “गोपनीय परमाणु डेटा” तक पहुंच होने का झूठा दावा करता था।

दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाहा ने कहा, “आदिल और अख्तर हुसैनी पर विदेशी देशों को संवेदनशील जानकारी देने और फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए पासपोर्ट बनवाने का संदेह है।” पुलिस ने आदिल के खिलाफ BNS की धारा 61(2), 318, 338 और 340 के तहत मामला दर्ज किया है। उसे सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि दोनों भाइयों ने कई बार पाकिस्तान और खाड़ी देशों की यात्रा की है और उनकी  विदेशी परमाणु एजेंसियों से संभावित संपर्कों की जांच की जा रही है। 2004 में अख्तर को दुबई से निर्वासित किया गया था, जहां वह एक तेल कंपनी में कार्यरत था। उस समय भी उस पर संवेदनशील जानकारी बेचने के आरोप लगे थे। उसने अधिकारियों से झूठ कहा था कि उसका भाई आदिल मर चुका है, जबकि बाद में पता चला कि वह दिल्ली में सक्रिय था।

इसी मामले में सोमवार (27 अक्टूबर) को मुंबई पुलिस ने जमशेदपुर के मुन्नज़िर खान नामक एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने अख्तर को फर्जी BARC पहचान पत्र बनवाने में मदद की थी। पुलिस को अख्तर के पास से कई नकली तकनीकी ड्रॉइंग्स और वैज्ञानिक आरेख भी मिले हैं, जिनकी जांच अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ कर रही हैं।

यह गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस और मुंबई क्राइम ब्रांच के संयुक्त अभियान का हिस्सा है, जो देश की संवेदनशील संस्थाओं में जासूसी नेटवर्क की पड़ताल कर रहा है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था और इसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन जल्द उजागर हो सकते हैं।

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