अहमदाबाद के चांदोला झील क्षेत्र में वर्षों से जमा बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ राज्य प्रशासन और पुलिस ने सोमवार (28 अप्रैल) को संयुक्त रूप से बड़ा अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया। इस कार्रवाई में 80 जेसीबी और 60 डंपरों का इस्तेमाल हुआ, जिससे इलाके में बनी अवैध बस्तियों को जमींदोज किया गया। अभियान के पहले ही दिन 890 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 143 की पहचान बांग्लादेशी नागरिकों के रूप में हुई है।
यह इलाका पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में घुसे अवैध बांग्लादेशियों का गढ़ बन चुका था। इससे पहले अवैध बिजली कनेक्शन भी काट दिए गए। शहर पुलिस कमिश्नर ने खुद इलाके का दौरा किया और पुलिस बल ने रविवार की रात बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया।
कार्रवाई के दौरान अवैध अतिक्रमण, फर्जी नागरिकता दस्तावेज, और अवैध कारोबार के कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। सबसे चौंकाने वाला नाम सामने आया — लाला बिहारी उर्फ महमूद पठान का, जिसका फार्महाउस अय्याशी और गैरकानूनी गतिविधियों का अड्डा बना हुआ था। यहां एसी रूम, बाग, किचन, बच्चों के खेलने की जगह और दर्जनों वाहन मौजूद थे। लल्लू न केवल फर्जी रेंट एग्रीमेंट्स बनवाता था, बल्कि देह व्यापार, सूदखोरी, और स्थानीय टैक्सी-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली भी करता था।
यह फार्महाउस अब ध्वस्त किया जा चुका है और लाला पर मुकदमा दर्ज किया गया है। वह फिलहाल फरार है और क्राइम ब्रांच उसकी और उसके नेटवर्क की जांच में जुटी है। उसके पास 250 से अधिक रिक्शा, 50 गाड़ियां, और कई फर्जी योजनाएं चलाने के प्रमाण भी मिले हैं। ‘ए-वन झाड़ू’ और ‘काश सावरनी कॉर्नर’ जैसे नामों से वह जबरन पैसा वसूलता था।
कार्रवाई के दौरान एक घर में देशी शराब का गोदाम भी मिला, जिससे स्पष्ट है कि यह सिर्फ अतिक्रमण नहीं, बल्कि संगठित आपराधिक नेटवर्क का मामला है, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध मारने के लिए चलाया जा रहा था। पुलिस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने चांदोला झील क्षेत्र को अतिक्रमणमुक्त करने का आदेश पहले ही दिया था, लेकिन 2009 के बाद से दोबारा अतिक्रमण शुरू हो गया था।
प्रशासन अब शहर के अन्य हिस्सों में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की तलाश कर रहा है। अब तक 190 अतिरिक्त घुसपैठियों की पहचान हो चुकी है। यह कार्रवाई महज जमीन खाली कराने की कवायद नहीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा और पहचान प्रणाली को लेकर गंभीर प्रश्नों की ओर इशारा करती है। बांग्लादेशी घुसपैठियों की घुसपैठ को लेकर अगर अब भी राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति कमजोर पड़ी, तो कल यही अतिक्रमण भारत की संप्रभुता पर सबसे बड़ा हमला बन सकता है।
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