भारतीय नौसेना से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं को लीक करने के गंभीर मामले में महाराष्ट्र एटीएस (ठाणे यूनिट) ने एक 27 वर्षीय इंजीनियर को गिरफ्तार किया है। आरोपी का नाम रवि मुरलीधर वर्मा है, जो मुंबई के खरेगांव, कलवा (पूर्व) का निवासी है और एक निजी रक्षा ठेका कंपनी क्रास्नी डिफेंस टेक्नोलॉजी प्रा. लि. में कार्यरत था। यह कंपनी मझगांव डॉक, नेवल डॉकयार्ड, कोस्ट गार्ड और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट जैसे महत्वपूर्ण सैन्य संस्थानों के जहाज मरम्मत कार्यों में लगी हुई है।
ATS की जांच में यह सामने आया है कि रवि वर्मा ने 14 भारतीय युद्धपोतों के स्थान और मरम्मत से जुड़ी गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (PIO) से जुड़े एजेंटों को व्हाट्सएप के माध्यम से भेजी थी। जांच में यह भी पता चला कि इनमें से 5 स्थान वास्तविक और ‘गोपनीय श्रेणी’ में आते हैं, जिसकी पुष्टि नेवल डॉकयार्ड अधिकारियों ने की है।
वर्मा ने स्वीकार किया है कि वह फेसबुक के माध्यम से ‘प्रीति जायसवाल’ नामक महिला के संपर्क में आया था, जो खुद को उसकी कॉलेज मित्र बताती थी। बाद में यह बातचीत व्हाट्सएप पर शिफ्ट हो गई। महिला ने खुद को नौसेना अनुसंधान से जुड़ा बताया और एक ‘प्रेम संबंध’ का आभास देकर धीरे-धीरे संवेदनशील जानकारी हासिल करना शुरू कर दी।
जांच में एक फरवरी 2025 की डायरी पेज की तस्वीर बरामद हुई है, जिसमें 14 युद्धपोतों के नाम और स्थान दर्ज हैं। यह तस्वीर व्हाट्सएप के माध्यम से महिला एजेंट को भेजी गई थी। साथ ही एक 11 मार्च की ऑडियो क्लिप भी मिली है, जिसमें वर्मा कहता है, “सर कुछ रिप्लाई नहीं दे रहे, उनका नेट शायद बंद है। उन्हो ये आज का अपडेट दे देना। आज मैं राउंडअप पे गया था, तो सारी-सारी शिप देखी है। वो सारी मैंने डायरी में करके तुमको किया है और सर को भी किया है, पर वो ऑनलाइन नहीं है।”
जांच में यह भी सामने आया कि ‘प्रीति जायसवाल’ नाम फर्जी पहचान थी, और वर्मा ने उसे “आकृति कॉलेज फ्रेंड” के नाम से सेव किया था। वर्मा के फोन से वीडियो, ऑडियो, दस्तावेज और तस्वीरें बरामद की गई हैं, जिनका आदान-प्रदान विदेशी एजेंट के साथ हुआ था। इसके अलावा, व्हाट्सएप पर उसे चार अलग-अलग संदिग्ध नंबरों से संपर्क किया गया, जो ‘प्रीति’, ‘इशप्रीत’ और उनके कथित दोस्तों के नाम से सेव थे।
ATS ने वर्मा, ‘प्रीति जायसवाल’ और एक अज्ञात विदेशी हैंडलर ‘सर’ के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 की धारा 3(1)(b) और 5(a), तथा भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 61(2) के तहत मामला दर्ज किया है।सूत्रों के अनुसार, जांच अधिकारी इस बात की भी पड़ताल कर रहे हैं कि कहीं वर्मा को किसी प्रकार के ब्लैकमेल या दबाव के चलते सूचनाएं देने के लिए मजबूर तो नहीं किया गया था। साथ ही रक्षा ठेकेदार कंपनी के अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
यह घटना ना सिर्फ भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि निजी रक्षा कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच और डिजिटल निगरानी की जरूरत को भी उजागर करती है। ATS इस मामले में और भी गिरफ्तारियों की संभावना से इनकार नहीं कर रही है।
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