अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को खत्म करने में उनकी अहम भूमिका रही। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापारिक दबाव के माध्यम से दोनों देशों को लड़ाई से रोका, जो संभावित परमाणु संकट बन सकता था। भारत ने इस दावे को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा है कि युद्ध विराम डीजीएमओ स्तर की बातचीत के माध्यम से तय हुआ था और अमेरिका के साथ हुई बातचीत में व्यापार या शुल्क का कोई उल्लेख नहीं हुआ था।
व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, जहां एलन मस्क ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) से अपने इस्तीफे की घोषणा की, ट्रंप ने कहा,”हमने भारत और पाकिस्तान को लड़ाई से रोका। यह एक परमाणु आपदा बन सकती थी। मैं भारत और पाकिस्तान के नेताओं का धन्यवाद करता हूं। हमने व्यापार की बात की और कहा कि हम उन लोगों से व्यापार नहीं कर सकते जो एक-दूसरे पर गोली चला रहे हैं और परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की कगार पर हैं।”
ट्रंप के इस बयान पर भारत की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया आई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को जो युद्ध विराम समझौता हुआ, वह दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMOs) के सीधे संपर्क के जरिए हुआ।
“इस मुद्दे पर हमारी स्थिति पहले ही 13 मई को स्पष्ट की जा चुकी है। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर 10 मई को संघर्षविराम की सहमति बनने तक भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य स्थिति को लेकर संवाद हुआ था, लेकिन कहीं भी व्यापार या शुल्क का कोई उल्लेख नहीं हुआ,” जायसवाल ने कहा।
#WATCH | US President Donald Trump says, "I think the deal I'm most proud of is the fact that we're dealing with India, we're dealing with Pakistan, and we were able to stop potentially a nuclear war through trade as opposed through bullets. You know, normally they do it through… pic.twitter.com/63wkY2O054
— ANI (@ANI) May 31, 2025
भारत ने 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इस अभियान के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना के अड्डों पर भी जोरदार प्रहार किए।
बढ़ते तनाव के बीच, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया, जिसके बाद 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। ट्रंप पहले भी भारत-पाक तनाव के मामलों में मध्यस्थता के दावे कर चुके हैं। इस बार भी उन्होंने खुद को संकटमोचक के रूप में पेश करने की कोशिश की है, लेकिन भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उसके निर्णय आंतरिक सैन्य और कूटनीतिक प्रक्रिया के तहत लिए जाते हैं, न कि बाहरी दबाव या व्यापारिक सौदेबाजी से।
भारत ने इस बयान को न केवल तथ्यों के विरुद्ध बताया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि इस प्रकार के दावे द्विपक्षीय संवाद और पारदर्शिता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति से निकले हालात में अमेरिका की भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों पर भारत का रुख बेहद स्पष्ट है – फैसले भारत की संप्रभुता और सैन्य बातचीत के आधार पर लिए जाते हैं, और इस बार भी ऐसा ही हुआ है।
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