मुंबई पुलिस की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि करंदीकर कानूनी मुश्किलों में घिर गई हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस महानिदेशक (DG) कार्यालय को तय समयसीमा में अपनी अनिवार्य संपत्ति और देनदारियों की घोषणा जमा नहीं की। जानकारी के अनुसार, समयसीमा पूरी होने के बाद डीजी कार्यालय ने उनका सीलबंद गोपनीय घोषणा-पत्र खोला, जिसमें पाया गया कि उन्होंने एक बैंक खाते की जानकारी नहीं दी थी। इस खाते में ₹2.64 करोड़ जमा हैं।
इस खुलासे के बाद उनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जांच की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, करंदीकर का कहना है कि यह खाता उनके पति पुरुषोत्तम चव्हाण के नाम पर है और इसमें उनका कोई संबंध नहीं है।
पुरुषोत्तम चव्हाण (53) पर इस समय मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) में दो एफआईआर दर्ज हैं। जनवरी और फरवरी 2025 में दर्ज इन मामलों में उन पर आरोप है कि उन्होंने 2015 से 2024 के बीच सरकारी प्लॉट रियायती दरों पर दिलाने और नासिक पुलिस अकादमी को टी-शर्ट व हुडी सप्लाई के ठेके दिलाने के नाम पर 6 लोगों से ₹7.42 करोड़ की ठगी की। एक अलग मामले में, चव्हाण पर आरोप है कि 2014 से 2019 के बीच उन्होंने सरकारी हाउसिंग स्कीम के तहत सस्ते फ्लैट दिलाने का झांसा देकर 19 लोगों से ₹24.78 करोड़ हड़प लिए।
पति के खिलाफ लगातार बढ़ते वित्तीय घोटाले के आरोपों और उनके अपने अघोषित बैंक खाते के विवाद के चलते, करंदीकर अब आंतरिक जांच के घेरे में हैं। एसीबी यह भी जांच करेगी कि क्या उन्हें इस खाते और रकम की जानकारी थी या इसमें उनकी किसी भी तरह की संलिप्तता रही।
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