26/11 मुंबई हमलों की साजिश में शामिल आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार(11 अप्रैल) रात पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। राणा को एक विशेष बख्तरबंद वाहन में कोर्ट लाया गया, जहां अदालत से उसकी रिमांड मांगी गई ताकि उससे आतंकी नेटवर्क और साजिश के अन्य पहलुओं पर गहन पूछताछ की जा सके।
कोर्ट परिसर के बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। एनआईए अधिकारियों की विशेष टीम ने राणा को अदालत में पेश किया और रिमांड की मांग रखी। हालांकि अदालत ने रिमांड को लेकर उसे 18 दिनों के लिए हिरासत में भेजा गया है।
अदालत में पेशी के दौरान एनआईए ने कहा कि राणा से पूछताछ के जरिए हमले से जुड़े अन्य लोगों और साजिश के पूरे नेटवर्क का पता लगाया जाएगा। जांच एजेंसी का कहना है कि यह प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में बड़ी कामयाबी है।
इससे कुछ घंटे पहले, गुरुवार(10 अप्रैल) देर शाम एनआईए ने राणा को औपचारिक रूप से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया। उसे अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया था। यह प्रत्यर्पण कई वर्षों की कूटनीतिक व कानूनी लड़ाई के बाद संभव हो सका। अमेरिका में राणा ने प्रत्यर्पण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक अपील की थी, लेकिन सभी प्रयास असफल रहे। इसके बाद लॉस एंजेलिस से एक विशेष विमान के जरिये उसे भारत लाया गया।
भारत पहुंचने पर एनआईए और एनएसजी अधिकारियों की निगरानी में जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करते हुए राणा को हिरासत में लिया गया।
तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर 26/11 हमलों की साजिश रची थी। इन हमलों में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 240 घायल हुए थे। भारत सरकार ने इन संगठनों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है।
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