उत्तर प्रदेश के तीन सीटों के लिए भाजपा और सपा के बीच प्रतिस्पर्धा की जंग छिड़ी हुई है। जिसमें मैनपुरी, रामपुर और खतौली सीटों में उपचुनाव को जीतने के लिए एक तरफ भाजपा सरकार जमकर कोशिश कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के लिए ये लड़ाई इतनी महत्वपूर्ण है की अभी तक उपचुनाव प्रचार से दूर ही रहे अखिलेश यादव भी जमकर प्रचार करने में लगे हुए है। सिर्फ मैनपुरी ही नहीं बल्कि अब सपा रामपुर की सीट पर भी प्रचार करने आएंगे। वहीं बीजेपी भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। लिहाज यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। हालांकि इन सब के बीच आजम खान ने बयान देते हुए कहा कि अखिलेश रामपुर आ ही क्यों रहे हैं? वो तो यह तक कह रहे है कि बीजेपी प्रत्याशी को चुनाव से पहले ही विजयी घोषित कर देना चाहिए। आजम खान का कहना है कि भाजपा और सपा दोनों ही दल आखिर इतना जोर क्यों लगा रहे है?
आजम खान के इस बयान के सियासी मायने क्या है, इस समीकरण को समझने की कोशिश करते है। एक तरफ मैनपुरी सीट है, जहां पर समाजवादी पार्टी का पूरा यादव परिवार ही प्रचार में जुटा हुआ है। समाजवादी पार्टी और परिवार के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। वहीं भाजपा 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इस सीट पर अपनी सत्ता काबिज कर जनता के बीच एक संदेश देने की कोशिश में जुटी हुई है। आजम खान के गढ़ रामपुर में उनके किले को ढहाने के लिए भाजपा ने अपने हिन्दू एजेंडे को साइड कर दिया है हालांकि ये बड़ा गढ़ घनश्याम लोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली ही ढहा दिया था। घनश्याम लोदी ने पहले ही लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज किया और ये बड़ा झटका था, आजम खान के लिए। ऐसे में क्या भाजपा विधानसभा सीट को बचा पाएंगे? सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा अब बुलंद किया जा रहा हैं यहाँ पर। और भाजपा ने कई बड़े मुस्लिम चेहरों को भी आगे किया हैं। मुख्तार अब्बास नकवी से लेकर दानिश आजाद और मोहशीन रजा ने रामपुर में खुद कमान संभाल रखी है।
दिसंबर में रामपुर में विधानसभा सीट पर होनेवाले उपचुनाव को लेकर सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। रामपुर में भाजपा जहां आजम के किले को नष्ट करने की कोशिश में लगी हुई है, वहीं प्रचार अभियान को बढ़ावा देने के लिए मुख्य मंत्री योगी आ रहे हैं। आजम के किले रामपुर को भेदने के लिए भाजपा अपनी कोशिश कर रही हैं। वहीं अखिलेश यादव भी यहाँ आ सकते हैं। रामपुर में भाजपा का फोकस अल्पसंख्यकों पर भी हैं, ऐसे वर्ग को साथ में लेकर बीजेपी रामपुर में नए किले को बांधने की कोशिश कर रही है। उधर आजम के गढ़ में उनका साथ देने के लिए अखिलेश यादव, जैन चौधरी का कार्यक्रम भी ते हो गया हैं। समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव 1 दिसंबर को संबल और रामपुर का दौरा करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी 3 दिसंबर को रामपुर आएंगे वो भी जनसभा को संबोधित कर सपा के लिए वोट मांगेंगे। वहीं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर भी 30 नवंबर को रामपुर आएंगे।
यूपी के सीट मैनपुरी एर रामपुर में सपा ने अपनी काफी अच्छी पकड़ बना रखी है लेकिन ये सीटें आखिर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है ये जान लेते है। साथ ही यह भी जानते है कि यहाँ पर किस तरह जातीय समीकरण बनाते हुए दिखाई दे रहा हैं? दरअसल रामपुर में मुस्लिम वोट बैंक ही है जिसके पास जीत की चाभी हैं। रामपुर विधानसभा सीट साल 1952 में अस्तित्व में आई थी और रामपुर से सपा नेता आजम खान 10 बार विधायक की कुर्सी पर बैठे। पिछले दिनों एक भाषण के चलते मामले में एमपी एमएलए कोर्ट की और से उन्हें 3 साल की सजा सुना दी गई थी। जिसके बाद उनकी सदस्यता छीन ली गई थी। 3 सालों तक चुनाव नहीं लड़ने पर भी रोक लग गई। ऐसे में भले ही इस बार आजम खान चुनावी मैदान पर नहीं उतरेंगे लेकिन रामपुर में उनकी चमक अब भी कायम रहेगी ऐसा विश्वास समाजवादी पार्टी को हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में वो जोर देखने नहीं मिला। तो समाजवादी पार्टी ने यहाँ दांव लगाया है दरअसल आजम के करीबी रहे आसीम रजा को चुनावी मैदान में उतारकर सपा ने अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश की हैं। लेकिन यूपी चुनाव 2022 में रामपुर से दसवीं बार एमएलए चुने गए आजम खान की सदस्यता जब चली गई तब उन्होंने परिवार के किसी भी सदस्य को मैदान में नहीं उतारा था। रामपुर के लोकसभा सीट पर भाजपा के घनश्याम लोदी से हारनेवाले मोहम्मद आसिम रजाक को मैदान में उतार हैं। वहीं सपा नेता मोहम्मद आजम खान की विरोधी आकाश सक्सेना पर एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताया हैं। इसके पीछे एक और वजह हैं आजम को 27 महीने तक सलाखों के पीछे रखवाने से लेकर सजा करवाने तक भाजपा युवा नेता आकाश सक्सेना का बड़ा हाथ रहा हैं।
जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से जमीने छिनवाने में आकाश सक्सेना का ही हाथ रहा है। इस मामले में उन्होंने शिकायत करने से लेकर राजस्व परिषद तक केस की मुख्य निगरानी कर्ता रहे। इसके अलावा कई मामलों में आकाश सक्सेना सीधे-सीधे मुकदमे में फरियादी रहे है, कई बार कोर्ट में आजम और उनके परिवार पर चार्जशीट कराने में मजबूत गवाही दे चुके हैं। रामपुर से 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है हालांकि मुख्य मुकाबला आकाश सक्सेना और आसिम रजा के बीच में दिख रहा हैं। वहीं एक बार फिर आसिम रजा को लेकर सवाल उठाने लगे है, शायद इसलिए क्योंकि वह आजम खान के चहेते है। रामपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 27 हजार 385 हैं। इसमें पुरुष मतदाता 2 लाख 5 हजार 971 और महिला मतदाता 1 लाख 82 हजार 52 है। क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहाँ मुस्लिम वोटर करीब 80 हजार है। वहीं दूसरे नंबर पर वैश्य 35 हजार है इनके अलावा लोदी 35 हजार है, एससी 15 हजार है जबकि यादव मतदाता 10 हजार है। इनके अलावा दलित मतदाताओं की संख्या भी काफी ज्यादा हैं।
ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाताओं में कोई बिखराव नहीं होता है तो हो सकता है कि आजम खान की जीत पक्की हो। लेकिन आकाश वैश्य, लोदी और दलित मतदाताओं को मिलाकर इस जीत को अपने पलड़े में ले सकते हैं। यानी इस सीट पर मुस्लिम मतदाता जो कि किसी भी पार्टी के लिए जीत और हार की मुख्य वजह बन सकते हैं। इस जीत की चाभी को हासिल करने के लिए योगी सरकार भी अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं। बता दें कि योगी आदित्यनाथ 2 दिसंबर को रामपुर में चुनावी प्रचार करने आ रहे हैं। ऐसे में रामपुर सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर आरोप और प्रत्यारोप भी जारी हैं। सपा के वरिष्ट नेता आजम खान का बीजेपी पर आरोप है उनका कहना है कि प्रचार कर रहे सपा कार्यकर्ताओं को धमकाने के लिए बीजेपी पुलिस और जिला प्रशासन अधिकारियों का इस्तेमाल कर रही हैं। आजम ने कहा पुलिस ने 50 घरों के दरवाजे तोड़ दिया और बेगुनाह लोगों को सड़क से उठाया लिया उन्होंने मेरी पत्नी तंजीम फातिमा को भी नहीं बख्शा जो एक पूर्व सांसद है। उनके लिए अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया। साथ ही पत्नी को घर से बाहर ना निकलने की धमकी दी गई है। आगे उन्होंने कहा कि उनके पास पुलिस अत्याचार का विडिओ फुटेज है जिसे वो मीडिया के साथ साझा नहीं करेंगे। क्योंकि उनके ऐसा करने पर अदालत इसे सबूत नहीं मानेंगी।
आजम खान ने रामपुर में होनेवाले चुनाव को लेकर कहा कि अखिलेश यादव, जैन चौधरी और चंद्रशेखर आजाद यहाँ के प्रचार के लिए आनेवाले है उन्होंने सवालिए अंदाज में पूछा आखिर वो यहाँ क्यों आ रहे हैं? आजम खान का कहना है कि जब अखिलेश यादव यहाँ आएंगे तो मैं उनसे आग्रह करूंगा कि निर्वाचन आयोग से कहकर बीजेपी उम्मीदवार को विजेता घोषित करें दें। आजम खान की एक बार फिर शासन से नाराजगी है, नाराजगी की वजह चूंकि 27 महीनों से आजम खान जेल में रहे और कारावास से ही विधायकी उन्होंने जीती थी। रामपुर सदर की एकलौती सीट है जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादात किसी भी पार्टी का भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही वजह है कि आजादी के बाद से अब तक के सभी चुनावों में इस सीट से खड़े हुए मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत मिली हैं। उसमें से सबसे ज्यादा जीत आजम खान के नाम रहा है। वहीं इस बार बीजेपी की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई हैं। वहीं दूसरी तरफ सपा इस सीट को अपने अधीन रखना चाहती है। सोमवार, 5 दिसंबर को वोट होगा और गुरुवार, 8 दिसंबर को नतीजे घोषित होंगे।
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