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Sunday, July 7, 2024
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भारत जोड़ो यात्रा फेल! राहुल गांधी “भारत न्याय यात्रा” से फिर होंगे रिलॉन्च       

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कांग्रेस की “भारत न्याय यात्रा” शुरू होने की चर्चा तेज होते ही उससे पूछा जा रहा है कि राहुल गांधी के “भारत जोड़ो यात्रा” से पार्टी को क्या लाभ हुआ ? ऐसा क्या फ़ायदा हुआ कि कांग्रेस ने दोबारा “भारत न्याय यात्रा शुरू की है। क्या इससे पार्टी की छवि में कोई बदलाव हुआ? अगर राहुल गांधी की छवि या इमेज में बदलाव हुआ तो ममता बनर्जी ने “इंडिया गठबंधन” के लिए पीएम फेस के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे क्यों किया ? जैसा कि कहा जाता है कि “भारत जोड़ो यात्रा” से राहुल गांधी की इमेज में परिवर्तन हुआ है। राहुल गांधी को इस यात्रा से उनके जन समर्थन में इजाफा हुआ है, उनकी स्वीकारिता बढ़ी है। सवाल यह है कि क्या ऐसा सही में हुआ है ? या कोरा अफवाह है ?   

बहुत पहले से ही ऐसी खबरें आ रही थी कि कांग्रेस “भारत जोड़ो यात्रा दो” शुरू करेगी। लेकिन कब शुरू करेगी ऐसा निश्चित नहीं था। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी ने खुद ब खुद खेतों में जाकर किसानों से मिलकर एक इवेंट बनाने की कोशिश की, लेकिन उसमें वह कामयाब नहीं हुए। बावजूद इसके राहुल गांधी ने बढ़ईगिरी, मैकेनिक, ट्रक ड्राइवर बनने की भी कोशिश की पर उसका लाभ मिला या नहीं यह कांग्रेस को भी नहीं पता, लेकिन इसका नुकसान जरूर हुआ है। क्योंकि राहुल गांधी कभी भी किसी भी जगह चले जाते है। जिसके कारण बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस का कालाचिट्टा जनता के सामने कर देती है। जब देश में टमाटर का दाम आसमान छू रहा था तब राहुल गांधी ने दिल्ली की आजादपुर सब्जी मंडी पहुंचे थे। तब उन्होंने सब्जी विक्रेता रामेश्वर से मुलाक़ात की थी और बाद में उसे राहुल गांधी ने निवास स्थान पर भी  आमंत्रित किया था। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने राहुल गांधी पर राजनीति करने का आरोप लगाया था। इसके बाद राहुल गांधी कुली भी बने थे। उन्होंने पहिये वाली बैग को सिर पर रखा जिससे राहुल की खूब किरकिरी हुई। राहुल गांधी का यह राजनीति इवेंट था। भले राहुल गांधी लोगों से मिले, लेकिन उन्होंने जनता की समस्या को दूर करने के लिए कोई योजना देश के सामने नहीं रखा।

राहुल गांधी केवल जनता के बीच जाकर राजनीति करते रहें है। लेकिन कोई क्रांतिकारी योजना, क्रांतिकारी विचार देश के सामने नहीं लाये, जिससे देश का कायाकल्प हो, गरीबी में जी रहे लोगों का जीवन स्तर को बढ़ाया जा सके। उन्होंने इसका उपयोग राजनीति में किया। उन्होंने बार बार बीजेपी और संघ को निशाने पर लिया है। यह अलग बात है। “भारत जोड़ो यात्रा” के दौरान राहुल गांधी ने केवल लोगों में नफरत के बीज बोते नजर आये, उनके भाषण में झल्लाहट, निराशा, हताशा चरम पर रही है। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही वीर सावरकर पर तीखी टिप्पणी की थी। संघ की जलती हाफ पैंट को कांग्रेस के ट्वीटर पर शेयर किया था। भारत जोड़ो यात्रा की चर्चा विवादों के लिए ज्यादा हुई, लेकिन इसके अच्छे काम के लिए चर्चा नहीं हुई। भले कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का गुणगान कर रही हो,लेकिन यह यात्रा फ्लॉप साबित हुई। कांग्रेस राहुल गांधी को बार बार नए तरीके से रिलांच करती है लेकिन वे हर बार उसमें फेल हो जाते हैं।

राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से भी कांग्रेस के छवि में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। इस दौरान कांग्रेस ने केवल हिमाचल प्रदेश में जीत में जीत दर्ज की। जहां राहुल गांधी एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए। लेकिन, कहा जाता है कि कांग्रेस ने यह चुनाव जीता नहीं, बल्कि यहां हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। इसी रिवाज की वजह से हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। उसके बाद कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि भारत जोड़ो यात्रा की वजह से कांग्रेस ने यह चुनाव जीता,मगर यह दावा सच्चाई से कोसो दूर है। कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर की वजह से यहां बीजेपी की हार हुई। यह देखा गया है कि कांग्रेस हमेशा की तरह इस बार भी सच्चाई को नकारा और यह अफवाह फैलाने की कोशिश की, कि कर्नाटक में पार्टी की जीत राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा के कारण हुई। कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस खूब उत्साहित थी

उसके बाद पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में केवल कांग्रेस को तेलंगाना में जीत नसीब हुई।तो क्या कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने जब पार्टी के नेताओं को ही आपस में जोड़ नहीं पाई, तो कब भारत टूटा था जिसे वह जोड़ने चली थी। राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक मंच चुनाव के दौरान साथ नहीं देखे गए। जो पार्टी अपने नेताओं के साथ ही न्याय नहीं कर पाई वह देश के साथ क्या न्याय करेगी ? बड़ा सवाल है। कांग्रेस का आलाकमान बार बार काम करने वाले नेताओं को दरकिनार कर चम्मचों को सत्ता का सुख सौंपा है।

 कांग्रेस का कहना है कि “भारत न्याय यात्रा”के जरिये पार्टी जनता को आर्थिक, सामाजिक और रणनीति के तौर पर न्याय दिलाएगी। बड़ी अजीब बात है, यह वही पार्टी है जिसके पीएम यह कहते हैं कि भारत के संधाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमों का है। आज वह पार्टी कह रही है कि जनता को आर्थिक और सामाजिक तौर पर न्याय दिलाएगी। यह वही पार्टी है, जिसने 70 सालों तक देश पर राज किया, लेकिन देश की जनता की हालत बेहद खराब रही है। चारो ओर घपले घोटाले के ही किस्से कहानियां सुने जा सकते हैं। आर्थिक तौर पर अब जाकर भारत मजबूत हुआ  है और विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था है। केंद्र की सरकार आने वाले समय में भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। ऐसे में यही सवाल है कि कांग्रेस कैसे लोगों को आर्थिक सामाजिक तौर न्याय दिलायेगी। क्या उसके पास कोई रणनीति है, तो उसे देश के सामने रखना चाहिए। आज मोदी सरकार किसानों के बैंक एकाउंट में दो दो हजार रूपये भी दे रही है।

रही रणनीति की बात तो यह वही कांग्रेस है जो 70 सालों से राम मंदिर के मुद्दे को अटकाए रखा, भटकाए रखा। और जनता को गुमराह करती रही कि राम का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या कांग्रेस की यही रणनीति है जो सभी अटका कर रखा जा सके। क्या कांग्रेस फिर जनता को भ्रमित रणनीति में भटकाने के लिए “भारत न्याय यात्रा” निकालने का ऐलान किया है। जो खुद भ्रमित अपरिपक्व नेता है। बहरहाल, अंत में सवाल यही है कि अगर भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की इमेज में बदलाव आया है तो “इंडिया गठबंधन” के पीएम उम्मीदवार के तौर पर खड़गे का नाम क्यों रखा गया। जैसा की कहा जाता है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल से बहुत आगे बढ़ चुके हैं। वह देश में एक सर्वमान्य नेता बन गया है। लेकिन ऐसा क्या है यह सही है ? अगर राहुल गांधी सर्वमान्य नेता होते तो खड़गे का नाम ममता बनर्जी कटो आगे बढ़ाती ? 

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