गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता थे। गोपीनाथ मुंडे का जन्म 12 दिसंबर 1949 यानी आज ही के दिन महाराष्ट्र के परली में हुआ था। आज उनकी 73वीं जयंती है। मुंडे के परिवार में पत्नी और तीन पुत्रियां पंकजा, प्रीतम और यशश्री हैं। उनके परिवार में उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। मुंडे का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होना उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्हें बाद में भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा की महाराष्ट इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गए आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन का हिस्सा भी थे। एक आम खेतिहर मजदूर के बेटे से लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री तक उनका राजनीतिक करियर चढ़ता ही गया।
गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र राजनीति में लंबे समय से सक्रिय थे। 1980 में ही वह पहली बार विधायक बने थे। वहीं 1980 से 1985 और 1990 से 2009 के बीच पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक रहे। सन 1992 से 1995 तक वह महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1995 में जब बीजेपी-शिवसेना की सरकार आई तो मुंडे को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। राष्ट्रीय कॉंग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के ज्ञात आलोचक मुंडे को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने इस मराठा राजनीतिज्ञ के प्रभाव को इस सीमा तक बेअसर कर दिया कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन 1995 में सत्ता में आ सका और वह उप मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1995-1999 के बीच महाराष्ट्र में उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री का पदभार संभाला।
उनकी पहचान जमीन से जुड़े एक कर्मठ नेता के रूप में थी। वह एक राजनेता के साथ-साथ कृषक भी थे। महाराष्ट्र में भाजपा की ओर से एकमात्र भीड़ जुटाने वाले नेता के तौर पर विख्यात मुंडे ओबीसी से आते थे और इसी वजह से ओबीसी में उनका काफी वजन था। ओबेसी को भाजपा के पक्ष में लाने में गोपीनाथ मुंडे ने अपना पूरा योगदान दिया। जहां उच्च जाती के लोगों ने भाजपा को समर्थन दिया तो वहीं अब निम्न जाती ने भी भाजपा को अपना समर्थन देना शुरू कर दिया था। वहीं भारतीय जनता पार्टी शिवसेना गठबंधन के शिल्पकार के तौर पर गोपीनाथ मुंडे-प्रमोद महाजन को जाना जाता हैं। गोपीनाथ मुंडे आज भी महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के एकछत्र नेता हैं। वहीं महाराष्ट्र में मुंडे के वर्चस्व को कम नहीं आंका जा सकता।
दरअसल 90 के दशक में मुंबई गुंडागर्दी और गैंगवार से त्रस्त थी। 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का खौफ बढ़ गया था। मुंबई में रोज गैंगवार होने लगी। लोग दाऊद के नाम पर फिरौती मांग रहे थे। गैंगस्टरों के साथ-साथ मुंबई में अपराध में भी इजाफा हुआ था। मुंबई की सड़कों पर खून बह रहा था। न केवल गैंगस्टर बल्कि रंगदारी का शिकार हुए बिल्डरों, नेताओं और बॉलीवुड हस्तियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
80 और 90 के दशक में बॉलीवुड के कई चेहरे सुर्खियों में रहे। लेकिन इन हस्तियों को मुंबई में अपने ही घर से बाहर कदम रखने में डर सा लगता था। उस समय बॉलीवुड के उद्यमी अंडरवर्ल्ड से डरते थे। मुंबई ठहर सी गई थी। उस समय अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, रवि पुजारा, भरत नेपाली, छोटा शकील जैसे अन्डरवर्ल्ड डॉन के फोन फिल्म उद्योग और हस्तियों को रंगदारी वसूली के लिए आते थे। वहीं ग्लैमर के लिए सिनेमाजगत के कई मशहूर सितारे अंडरवर्ल्ड डॉन की पार्टियों और गुंडों के गैंग में शामिल हुआ करते थे।
अन्डरवर्ल्ड ने राजनीति और पुलिस की नाक में दम कर रखा था। पुलिस तंत्र के हाथों को खोलने की जरूरत थी। इस दौरान राजनीति और सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ इन गैंगस्टरों के आतंक को दूर करने की जरूरत थी। हालांकि इस तस्वीर को बदलने का साहस गोपीनाथ मुंडे ने उठाया। गोपीनाथ राव मुंडे ने पुलिस को पहला आदेश दिया। उन्होंने 40,000 पुलिस कर्मियों को माफिया को खत्म करने के लिए आवश्यक सभी शक्तियां प्रदान कीं। उन्होंने पुलिस को अपराध पर लगाम लगाने और दाऊद का सफाया करने के सख्त आदेश दिए। उन्होंने मुंबई में अपराध को खत्म करने के लिए मुंबई पुलिस को ‘फ्री हैंड’ दिया था। 90 के दशक में जनता के लिए पुलिस बनाम माफिया मुठभेड़ आम बात हो गई थी। इस अवधि के दौरान, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक, विजय सालस्कर जैसे अन्य नाम मुंबई पुलिस बल में प्रमुखता से उभरे।
इस कार्रवाई से माफिया में हड़कंप मच गया। ये अन्डरवर्ल्ड के डॉन जहां मौका मिला वहाँ जान बचाने के लिए छिपने लगे। इस तरह आदेश जारी होते ही पूरा अंडरवर्ल्ड हिल गया और दाऊद भारत छोड़कर दुबई में जा बसा। जिसके बाद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, को आज तक किसी ने नहीं देखा। ऐसा था मुंबई के गृह मंत्री का आतंक। इन सब चीजों के बाद मुंबई संभलने लगी। अंडरवर्ल्ड से मुक्त होकर गोपीनाथ मुंडे ने मुंबई को नया सूरज दिखाया।
बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली आए ही थे। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। परिवार से लेकर चुनाव क्षेत्र तक में खुशी की लहर थी। इसके बाद उन्हें मुंबई रवाना होना था जहां उनका सम्मान समारोह था। गोपीनाथ मुंडे अपनी एसएक्स-4 गाड़ी में सवार होकर सुबह घर से एयरपोर्ट के लिए निकले थे। लेकिन सुबह करीब 6 बजे गोपीनाथ की गाड़ी जैसे ही अरविंदो मार्ग पर पहुंची, एक इंडिका कार ने उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी। जिससे 3 जून, 2014 को बीजेपी के इस दिग्गज नेता का निधन हो गया था।
ये भी देखें