27 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमब्लॉगबीजेपी-उद्धव गुट की राह में राउत रोड़ा? 

बीजेपी-उद्धव गुट की राह में राउत रोड़ा? 

Google News Follow

Related

महाराष्ट्र की राजनीति हर दिन करवट ले रही है। चाहे बीजेपी हो या एनसीपी ,चाहे उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ही क्यों न हो, हर पार्टी पैतरेबाजी कर एक दूसरे पर निशाना साध रही हैं। कहा जा सकता है कि यह सबकुछ बीएमसी और लोकसभा चुनाव तक ऐसे ही चलने वाला है। इसकी वजह एक दूसरे पर बढ़त बनाना है। लेकिन, क्या उद्धव गुट बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना पर बढ़त बना पायेगा ? यह लाख टके का सवाल है,जिसका जवाब फिलहाल मिलना मुश्किल है।  माना जा रहा है कि जो चालीस विधायक उद्धव ठाकरे से अलग हुए है। उससे उद्धव ठाकरे काफी आहत है। यही वजह है कि उद्धव ठाकरे,आदित्य ठाकरे और संजय राउत आये दिन बीजेपी पर हमला बोलते रहते हैं।

इतना ही नहीं, संजय राउत शिंदे गुट को छोड़कर बीजेपी पर ज्यादा हमला करते हैं। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। दो दिन पहले ही उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि बीजेपी को कभी भी माफ़ नहीं किया जाएगा। हालांकि, बीजेपी लगातार सुलह के संकेत दे रही है, लेकिन संजय राउत ने अपने घटिया बयानबाजी की वजह से पार्टी नेताओं को नाराज करते आ रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी और उद्धव ठाकरे की दोस्ती में कोई सबसे रोड़ा है तो संजय राउत हैं। राउत की वजह से बीजेपी और उद्धव ठाकरे के बीच लगातार दूरियां खाईं में बदलती जा रही है। जिसको पाटना मुश्किल हो रहा है।

गौरतलब है कि दो दिन पहले ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि मनभेद और मतभेद भुलाकर आएं महाराष्ट्र के हित में साथ काम करें। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी एक बार फिर ठाकरे गुट से बनी दूरियों को दूर करने का प्रयास कर रही है। लेकिन संजय राउत उस पर पानी फेर रहे हैं। इसके जवाब में राउत ने कहा कि ठाकरे गुट कभी बीजेपी को माफ़ नहीं करेगा। हाँ यह सही है कि राजनीति में मतभेद हुआ करते हैं, लोग मतभेद  भूलाकर साथ भी आते हैं ,लेकिन बीजेपी ने बाला साहेब ठाकरे की बनी बनाई पार्टी को तोड़कर  नई पार्टी बना दी अब बाकी क्या रह गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी से किसने माफ़ी मांगी। किसी ने उनसे नहीं कहा कि हमें माफ़ कर दो। यह हमें तय करना है कि उन्हें माफ़ किया जाए की नहीं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी किसी से क्यों माफ़ी मांगे। अगर उद्धव के कार्य से नाखुश होकर चालीस विधायक  अलग हुए हैं तो इसकी जिम्मेदारी बीजेपी की नहीं बल्कि उद्धव ठाकरे की है। उद्धव ठाकरे को चाहिए कि अब भी पार्टी को संभाले और अपने अहंकार को छोड़कर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़े। शिंदे गुट भी बार बार कहता रहता है कि वे शिवसेना से कभी अलग हुए ही नहीं। बल्कि विचारों का मतभेद है।

हालांकि ,वर्तमान में ऐसा नहीं लगता है कि उद्धव ठाकरे शिंदे गुट की शिवसेना के साथ जाएगा । क्योंकि जिस तरह से उद्धव गुट गद्दार गद्दार और चोर चोर का माला जाप कर रहा है। उससे नजदीकियां घटने के बजाय बढ़ रही हैं। बहरहाल, बीजेपी लगातार उद्धव गुट से दूरियों को कम करने की गुंजाइश छोड़ती रही है। पर संजय राउत उसमें एक विलेन की तरह आ जाते हैं।

राज्य में 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होना है। जिसके लिए अभी से बीजेपी अपनी रणनीति बनाने की कवायद तेज कर दी है। वह, उद्धव ठाकरे से अपनी नाराजगी को कम करने का प्रयास भी कर रही है। इस ओर बावनकुले ही नहीं बल्कि देवेंद्र फडणवीस भी पूरा प्रयास कर रहे हैं। फडणवीस ने जिस तरह से बात की है उसे जाहिर होता है कि बीजेपी ने हर हाल में उद्धव ठाकरे को साथ लाना चाहती है। उन्होंने कहा था कि, हमने विधानसभा में कहा था कि लोगों ने हमें बहुत परेशान किया है। उन सबसे से हम बदला लेंगे। हमने उन सभी को माफ़ किया। यही हमारा बदला है।

वहीं, फरवरी में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे मेरे दुश्मन  नहीं हैं। बल्कि उनके साथ हमारा वैचारिक मतभेद है। क्योंकि उद्धव ठाकरे  दूसरे विचार को अपना लिया है। जबकि, हमारी पार्टी की विचार धारा अलग है। कहा जा सकता है कि हम वैचारिक विरोधी हैं। इन सब बातों के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, जानकारों के अनुसार  कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने जिस तरह से शिंदे गुट के साथ सरकार बनाई।

उसके पटकथा लेखक देवेंद्र फडणवीस हैं। जो अच्छी तरह से जानते हैं कि जनता के दिमाग में क्या चल रहा है। हर मौके पर सधी हुई बात करने वाले फडणवीस जनता की नब्ज को अच्छी तरह से पहचानते हैं। कहा जा रहा है कि कुछ समय से उद्धव गुट के साथ कांग्रेस और एनसीपी बीजेपी को शिवसेना को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। जबकि कुछ समय पहले तीनों शिंदे गुट पर निशाना साध रहे थे।

लेकिन महाविकास अघाड़ी के ये दल अब बीजेपी को टारगेट कर रहे हैं और मराठी मानुस का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर जनता में बीजेपी की छवि नकारात्मक बनी तो आगामी चुनावों में बड़ा नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि बीजेपी उद्धव गुट के साथ नरमी के साथ पेश आ रही है और दोस्ती का हाथ बढ़ाई है,लेकिन,बदजुबानी के लिए मशहूर संजय राउत अपनी बातों से इस प्लान का पतीला लगा रहे हैं। बीजेपी यह भी जानती है कि जब तक उद्धव ठाकरे संजय राउत की बात सुनते रहेंगे तब तक महाविकास अघाड़ी में फूट डालना मुश्किल है।

ऐसे में यह सवाल गहरा जाता है कि 2024 के विधानसभा और लोकसभा किसी चलेगी। शरद पवार की या देवेंद्र फडणवीस की। हालांकि, उद्धव गुट के पास अब उतनी ताकत नहीं बची है। जितनी पहले थी। शिवसेना का कोर वोट मराठी मानुस ही हैं। यही वजह है कि जब भी संजय  राउत या आदित्य ठाकरे कुछ बोलते हैं तो महाराष्ट्र की अस्मिता का जिक्र जरूर होता है। मराठी मानुस के अपमान की बात जरूर कही जाती है। इससे साफ है कि आगामी चुनावों में मराठी अस्मिता, महाराष्ट्र का अपमान आदि बातों का ज्यादा उपयोग होगा। हालांकि, यह साफ़ है कि आगामी चुनावों में वोटों का बंटवारा होना तय है।

यह बात बीजेपी अच्छी तरह से जानती है उद्धव ठाकरे की शह पर ही संजय राउत बयानबाजी करते है। पहले तो बीजेपी संजय को कमतर आंककर चल रही थी। लेकिन जनता में गलत संदेश जाने से रोकने के लिए अब संजय राउत के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू किया है। यही वजह है कि सप्ताह में एक दो बार देवेंद्र फडणवीस संजय राउत के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दे ही देते हैं।

होली के अवसर पर हाल में एक कार्यक्रम में शामिल होने पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमारे कुछ मित्र हैं। उन्हें कुछ समय पहले किसी ने झूठी बातों की भांग पिलाई, उसके बाद कुछ दिनों जो खेल खेला गया उसे देखकर अच्छा लगा। जिसमें कोई गाना गए रहा था तो कोई रो रहा था। माना जा रहा है कि फडणवीस का इशारा संजय राउत की ओर था। बहरहाल, देखना होगा कि महाविकास की अघाड़ी से बीजेपी कैसे पार पाती है? और संजय राउत के बदजुबानी को कैसे भुनाती है ?

ये भी पढ़ें

 

क्या KCR कांग्रेस के आगे घुटना टेके?

इसलिए नागालैंड में नहीं होता विपक्ष

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,296फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें