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Saturday, November 23, 2024
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भारत पाक मैच में लगे जय श्रीराम के नारे, उदयनिधि के भड़कने पर उठे सवाल  

उन्होंने लिखा है कि" भारत अपनी खेल भावना और मेहमाननवाजी के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ दर्शकों ने जो व्यवहार किया गया वह स्वीकार नहीं है

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शनिवार को खेले गए आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 के मैच में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया। भारत ने यह कारनामा आठवीं बार किया है। यानी भारत ने 1992 से लगातार वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को हराता आ रहा है। अब तक हुए वर्ल्ड कप मैच में भारत ने पाकिस्तान से एक भी मैच नहीं हारा है और न ही पाकिस्तान एक भी मैच भारत से जीता है। लेकिन, कल के मैच के बाद राजनीति टिका टिप्पणी देखने को मिल रही है। दरअसल, भारत पाक मैच के दौरान दर्शकों ने जमकर जय श्रीराम के नारे लगाए। इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने आपत्ति जताई है।

उन्हें दर्शकों द्वारा जय श्रीराम का नारा लगाना नागवार गुजरा। सवाल यह है कि उन्हें इस नारे से आपत्ति क्यों है ? आखिर इसमें बुराई क्या है ?  जानने की कोशिश करेंगे की खेल भावना में राजनीति का क्या काम। वैसे इससे पहले भी उदयनिधि सनातन धर्म को खत्म करने और डेंगू जैसी बीमारी से तुलना कर चुके हैं ? तो जानने की कोशिश करते हैं कि क्या उदयनिधि की आपत्ति सही है या राजनीति से प्रेरित है।

दरअसल, भारत द्वारा यह मैच जीतने के बाद कई बीजेपी के नेताओं ने दर्शकों द्वारा स्टेडियम में लगाए जा रहे जय श्रीराम के नारे का वीडियो शेयर किया है। वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे ने इस पर आपत्ति जताई है। उदयनिधि ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि” भारत अपनी खेल भावना और मेहमाननवाजी के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ दर्शकों ने जो व्यवहार किया गया वह स्वीकार नहीं है और वह निम्न स्तर का है। खेल को देशों के बीच एकजुट करने वाली शक्ति बनना चाहिए और सच्चे भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। इसे नफरत फैलाने के रूप में इस्तेमाल किया जाना निंदनीय।

सवाल यह है कि पिछले माह जब जो उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने और उसकी तुलना डेंगू जैसी बीमारी से करना क्या ठीक था। क्या यह भाईचारा बढ़ावा देने वाला बयान था। क्या सनातन धरम को खत्म करने वाला बयान, देश को एकजुटता दिखाने वाला था ?  क्या एक धर्म की तुलना डेंगू और कोरोना महामारी से करना सही था? उदयनिधि को बताना चाहिए कि क्या उनका बयान कितना सही था और क्या उनका बयान देश में एकता को बढ़ावा देने वाला था। क्या उनका बयान देशहित में था ? उदयनिधि जैसे नेता केवल जय श्रीराम नारे पर राजनीति ही करेंगे। वह केवल हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने वाले बयान ही दे सकते हैं। उसके अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं।

उदयनिधि का यह बयान केवल राजनीति से प्रेरित है। उदयनिधि जैसे लोग दूसरे पर अंगुंलिया उठाते हैं ? लेकिन अपनी गलतियों और पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। उदयनिधि का उपदेश केवल उनके समर्थकों की पसंद आ सकते है। लेकिन, उदयनिधि का बयान देश के नागरिकों की भावना नहीं है। अगर दर्शकों ने जय श्रीराम का नारा लगाया है, तो उसमें राजनीति नहीं थी। हां! उदयनिधि उस पर राजनीति कर सकते हैं। भारतीय दर्शकों का यह बर्ताव पाकिस्तान का भारत के प्रति किये जा रहे रवैये का परिणाम है। जिस तरह से पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद का बढ़ावा दिया जा रहा है। उसे सही ठहराया नहीं जा सकता। भारतीय दर्शकों का यह बर्ताव उसी का परिणाम है। पाकिस्तान आज आतंकवाद का पनाहगाह बन गया है। यह भारत ही कहता हैं, बल्कि इस संबंध में अन्य देश भी यही राय रखते हैं।

उदयनिधि क्या यह बताएंगे कि जब पाकिस्तान ने इसी वर्ल्ड कप में जब श्रीलंका पर जीत दर्ज की थी, तो पाकिस्तान का खिलाड़ी मोहम्मद रिजवान ने कहा था कि यह जीत गाजा के भाई बहनों के लिए है। सवाल यह है कि रिजवान ने क्या हमास द्वारा इजरायली नागरिकों के साथ की जा रही बर्बरता पर एक भी शब्द बोला। नहीं बोला, क्यों नहीं बोला? जब वह इसे सही मानता है तभी तो उन्होंने इसका विरोध नहीं किया। क्या हमास द्वारा किया जा रहा कुकृत्य सही है। आतंकवाद आतंकवाद ही होता है।

वह कोई जात धर्म से जुड़ा नहीं होता है। यह हर किसी को सोचना और समझना चाहिए। बहरहाल, तीन दिन पहले ही उदयनिधि ने सनातन धर्म पर दिए गए अपने बयान पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने मेरे बयान का राजनीति के लिए उपयोग किया। अब सवाल है कि अहमदाबाद में दर्शकों द्वारा जय श्रीराम का लगया गया नारा क्या उसे राजनीति से प्रेरित कहा जा सकता है? क्या वहां एक व्यक्ति ने जय श्रीराम का नारा लगाया ? यह सवाल उस उदयनिधि से है जो मोहब्बत की दूकान चलाने वाले राहुल गांधी के साथ है। जो अपनी सुविधा के अनुसार मुद्दा ढूंढ़ते हैं। जो अपनी राजनीति के अनुसार चाल और चरित्र बदलते हैं।

उदयनिधि का यह पोस्ट दोगलेपन की निशानी है। उदयनिधि संविधान की धज्जियां उड़ाते नजर आते है। क्या संविधान में किसी धर्म को ख़त्म करने की बात कही गई है। लेकिन, कौन बताये उदयनिधि को, जिस सनातन धरम को खत्म करने की बात करते हैं। वह अजर अमर है। सनातन न कभी खत्म होगा और न ही उसे खत्म किया जा सकता है। रही बात भाईचारे और एकजुटता की तो भारतीय वेदों पुराणों में इसका बार बार उल्लेख किया गया है। उदयनिधि जिस सनातन धरम की खत्म करने की बात करते हैं। उसी धर्म में यह कहा गया है “अतिथि देवो भवो”. तो उदयनिधि को बताने की जरुरत नहीं है। भारत के लोगों में यह गुण पैदासी है। उन्हें दूसरों को उपदेश देने से अच्छा है कि खुद को सुधारें।

 

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