भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। यह भी सही है कि कोई 2 बच्चे पैदा कर रहा तो कोई आठ,यूपी-असम ने इसको गंभीरता से लिया है। इस पर अब सभी दलों को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। कम से कम सबके लिए एक धारणा होनी चाहिए, 2 बच्चे या 3 एक नियम बनाने की जरूरत है, जैसे चीन ने समय-समय पर उसने गंभीरता दिखाई है। पहले वहां 2 बच्चे पैदा करने का कानून था, अब 3 बच्चे कर दिया है। इसी तरह से भारत में भी 2 या तीन बच्चे पैदा करने की नीति बनानी होगी, जो सबके लिए हो। देश में बढ़ती जनसंख्या का बोझ हमारी अर्थव्यवस्था अब झेल नहीं पा रही है। वजह भी समझ में आती है, भारत एक विकासशील देश है. जहां केंद्र और राज्यों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को हर तरह की सुविधा देनी ही होती है, जिसमें, मुफ्त इलाज़, मुफ्त शिक्षा से लेकर मुफ्त राशन तक शामिल है। हर साल बजट में इनके लिए अलग से प्रावधान किया जाता है।
शायद, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी आने वाले महीनों में “हम दो हमारे दो,” की नीति पर मुहर लगा दें, जिसके बाद सरकारी स्कीम का फायदा लेने के लिए परिवारों को दो बच्चे की नीति अपनानी पड़ेगी, इसका ब्लू प्रिंट उत्तर प्रदेश विधि आयोग लगभग तैयार कर चुका है, सरकार का मकसद साफ है कि जनसंख्या नियंत्रण करने में जो लोग साथ दे रहे हैं, उनको ही सरकारी योजनाओं का फायदा मिले पर ये तय है कि सरकार की मंशा में लोग सियासत भी तलाशेंगे.आने वाले समयों में उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड़ बनी रहे, तो शायद लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा वरना आने वाला कल निश्चित रूप से मुश्किलों भरा होगा। उत्तर प्रदेश से पहले ही बीजेपी शासित असम में तो वहां के नए मुख्यमंत्री हिमन्ता बिश्वा सरमा ने इस आशय का एक महत्वपूर्ण पहल किया जिसमें सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए दो बच्चों की अनिवार्यता लागू कर दी है.सरमा ने 10 जून कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भी सरकार के साथ आना होगा ताकि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य, आवास और शिक्षा सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. सामाजिक समस्याओं का खत्म करने के लिए और एक बेहतर समाज बनाने के लिए कुछ ज़रूरी कदम उठाने होंगे।
असम के मुख्यमंत्री ने सीधे-सीधे अपनी बात वहाँ के अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े संगठनों के सामने रखी। आज ये कहना अनुचित नहीं होगा कि तमाम राजनीतिक दलों को अपने संकीर्ण दलीय और धार्मिक दक़ियानूसी से बाहर निकलकर देशहित को प्राथमिकता देनी होगी, देश सहमति से चलता है और बहुदलीय व्यवस्था में, तय है, मत विभिन्नता भी होगी पर बात जब समाज को आगे रखकर चलने की होगी, तो राजनीतिक दलों को पहल करना ही होगा नहीं तो हम जनसंख्या के बोझ तले दबकर पिछड़े देशों की पंक्ति में सबसे आगे खड़े होंगे। यूपी-असम में जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा तैयार किए जाने का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना बेहद जरूरी है। नरेंद्र गिरि ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द संसद सत्र बुलाकर पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए,यह कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए, चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो या ईसाई या फिर कोई और हो।