बड़ी अजीब बात है इस देश की, विचार के नाम पर हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने पर तुले हुए हैं। लोग अपने विचार रखते हैं, लेकिन यह सोचते नहीं है कि इससे जुड़े लोग कैसे रिएक्ट करेंगे। यह हिन्दू धर्म की ही बात नहीं किसी भी धर्म के बारे में बोलने से लोगों पहले सौ बार सोचना चाहिए कि इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा और वह किस प्रकार रिएक्ट करेंगे। पढ़े लिखे लोग धर्म पर अपना विचार रखकर लोगों की भावनाओं को भड़का देते हैं, जिससे तनाव पैदा हो जाता है।
जेएनयू की वीसी शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने ऐसा ही एक बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि भगवान शिव आदिवासी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देवी देवताओं को जात पात में बांटना सही है ? जेएनयू की वीसी को इस बात पर बोलने से उसके परिणाम पर भी सोचना चाहिए कि उनके बयान से लोगों का क्या रिएक्शन होगा ? क्या लोग भगवान शिव को जात पात के आधार पर पूजते हैं, भगवान ब्रह्मा और विष्णु को क्या लोग जात पात के आधार उनकी पूजा करते हैं। जेएनयू की वीसी का विचार कितना घटिया है यह कहने की बात ही नहीं ?
ये रही पहली बात, दूसरी बात यह है कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुद महाराणा प्रताप का वंशज बताया है। उन्होंने कहा कि वे राजपूत है वे बीजेपी से नहीं डरेंगे। सवाल यह है कि अगर शराब नीति के जरिये सिसोदिया ने घोटाला किया है तो उन्हें जेल नहीं जाना चाहिए की नहीं ? क्या महाराणा प्रताप के वंशज और राजपूत होने से उनके गलत कामों स्वीकार कर लेना चाहिए ? सिसोदिया जब अपने ही बुने जाल में फंस गए तो उन्होंने जात को ढाल बनाकर बचने की कोशिश कर रहे हैं। जांच चल रही है अगर सिसोदिया दोषी नहीं होंगे तो उनपर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इस मामले में सिसोदिया पर जात को देखकर कार्रवाई नहीं हो रही है बल्कि उस घोटाले की जांच हो रही है. जिसके जरिये जनता को छला गया। कोरोना काल में लोगों को खाने के लिए पैसे नहीं थे, उस समय केजरीवाल राजस्व बढ़ाने के बहाने अपने करीबियों और मंत्रियों की जेब भर रहे थे। ये आरोप हैं, इसे जांच एजेंसियां साबित करेंगी तभी सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई होगी।
आप नेता सिसोदिया बड़ी अजीब बात कही है कि वे राजपूत हैं। आप के नेता भारत को नंबर एक बनाने की बात कर रहे हैं।सिसोदिया अपनी जाति का हवाला देकर क्या साबित करना चाहते हैं ? मान लीजिये, अगर कल बीजेपी का कोई राजपूत जाति का नेता किसी केस में फंस गया तो क्या उसे जात के आधार पर छोड़ देना चाहिए? क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ नहीं करनी चाहिए ?क्या इसलिए उन्हें छोड़ देना चाहिए कि उनके नाम के साथ गांधी जुड़ा है। तो अरविन्द केजरीवाल,मनीष सिसोदिया को बताना चाहिए कि 2011 में अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन क्यों किया गया ? कांग्रेस को गांधी परिवार ही चलाता है। उसके शीर्ष पद पर गांधी परिवार ही है। फिर क्यों भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया गया। महाराष्ट्र के संजय राउत को धन शोधन के लिए क्या नहीं गिरफ्तार किया जाना चाहिए ? क्योंकि वह ठाकरे परिवार के करीबी हैं।
सिसोदिया और आप की दोगली नीति का यह पहला उदाहरण नहीं है ? कहा जाता है कि साच को आंच नहीं। फिर क्यों सिसोदिया राजपूत और महाराणा प्रताप शराब नीति के जरिये किये गए घोटाले में खींच रहे हैं ? सिसोदिया आप मंत्री बनकर शराब नीति बनाई राजपूत बनकर नहीं। तो जात की यहां बात क्यों, घोटाले पर जात की आड़ क्यों लिया जा रहा है?
यह रही दूसरी बात. अब बात करते हैं तीसरे मुद्दे की। सिसोदिया के राजपूत वाले बयान पर बिहार की आरजेडी ने मोर्चा खोला है। इससे पहले सिसोदिया के जाति कार्ड पर बीजेपी उन्हें घेर चुकी है। आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि सिसोदिया ऐसी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि आज देश आजादी के 75वां साल पूरा किया है। लेकिन आज हम फलां के वंशज है, हम फलां के जाति के है। यह विचार लोकतांत्रिक नहीं है। उन्होंने कहा कि सिसोदिया का विचार संविधान के अनुरूप भी नहीं है। हालांकि, इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. लेकिन आरजेडी का इस तरह का बयान राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि आरजेडी खुद जाति धर्म की आड़ लेकर राजनीति करती है। लेकिन कहा जा रहा है कि केजरीवाल के पीएम के सपने पर यह चोट है। बिहार में नीतीश कुमार के उभार और 2024 की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
वहीं, सिसोदिया के बयान पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जिसमें फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने भी अपना रिएक्शन दिया है। उन्होंने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि यह कैसा जातिवादी तर्क है? यानी अगर जनाब मनीष सिसोदिया जो राजपूत नहीं होते तो झुक जाते, कट जाते। यानी दिल्ली में जो ब्राह्मण, यादव, गुज्जर, जाट, सिख इत्यादि रहते हैं वो सब झुकने वाले लोग हैं? मुस्लिम, ईसाई, दलित… क्या यह सब झुकने वाली क़ौम हैं?
सिसोदिया के बयान पर सवाल उठना लाजिमी है कि घोटाले से जाति को जोड़ना क्या सही है ? जो पार्टी घोटालों, भ्रष्टाचार की खिलाफत कर जन्मी हो, वह खुद भ्रष्टाचार में फंसने पर जातिवाद का कार्ड खेल रही है ? कुछ दिन पहले ही केजरीवाल ने भारत को नंबर वन बनाने की बात कही थी। तो क्या आप जातिवाद पर भारत को नंबर एक बनाएगी?
ये भी पढ़ें