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Saturday, November 23, 2024
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उद्धव की राह पर नीतीश कुमार?

बीजेपी ने केदार प्रसाद गुप्ता ने जीता कुढ़नी का किला

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बिहार में कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव 8 दिसंबर को हुआ था। कांटे के इस मुक़ाबले में बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता कुढ़नी के किंग बने। केदार प्रसाद गुप्ता ने जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को 3632 वोटों से हराकर चुनाव जीत लिया था। बीजेपी को 76 हजार 64 सौ 8 वोट मिले थे, वहीं जेडीयू को 73 हजार 16 सौ मत प्राप्त हुए। वहीं बीजेपी के लिए यह बड़ी जीत मानी जा रही है।  

कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन की हार का अब साइड इफेक्ट दिखना शुरू हो गया है। पहले जगदानंद सिंह ने महागठबंधन में तालमेल की कमी की बात कही थी। वहीं अब जेडीयू के सहयोगी पार्टियों ने खुले तौर पर मोर्चा खोल दिया। दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे कि मांग की जाने लगी है। वहीं नेताओं द्वारा पाला बदलने का दावा भी किया जा रहा है। कुढ़नी उपचुनाव में गठबंधन उम्मीदवार को मिली और जेडीयू कैंडीडेट को भाजपा से मिली शिकस्त के बाद अब सियासत का दुष्प्रभाव भी देखने मिल रहा है।   

अगर आपको याद हो तो जून महीने में महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर कुछ इसी तरह का संकट छाया था। दरअसल शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी के करीब 35 विधायकों ने बागी तेवर अपना लिया था। इस घटना के बाद महाराष्‍ट्र की राजनीत‍ि में महा उथल-पुथल हुआ मचा हुआ था। वहीं बीजेपी के सहयोग से श‍िवसेना के बागी एकनाथ शिंदे महाराष्‍ट्र के नए मुख्‍यमंत्री बन गए थे। दरअसल उद्धव सरकार कि नीति से नाराज विधायकों ने उद्धव को नकार दिया था अब वही हूबहू उदाहरण बिहार में भी देखने मिल रहा हैं। हालांकि आगे क्या होगा वो तो समय ही बताएगा।  

वहीं जेडीयू के पूर्व विधायक रहे अनिल सहनी और कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता तारीक अनवर ने सवाल खडा किया तो मौका विरोधी बीजेपी को भी बोलने का मिल गया। जहां एक तरफ सहयोगी दल को ही महागठबंधन के तालमेल कि समस्या बता रहे है। तो वहीं दूसरी और कुढ़नी में हार के बाद बैकफूट पर आयें महागठबंधन के कई नेता नीतीश के विरोध में बयान देने के लिए मजबूर दिख रहे है। जेडीयू के अनिल सहनी ने कहा कि ‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी को सीएम नीतीश कुमार ने 2014 में मुख्यमंत्री बनाया था, इसी तरह ही आज वो दिन आ गया है कि महागठबंधन के प्रति अगर सहानुभूति है तो सीएम नीतीश कुमार को अब इस्तीफा दे देना चाहिए और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। बता दें कि अनिल सहनी कुढ़नी से विधायक थे। एलटीसी घोटाला मामले में फंसने से उनकी विधायकी चली गई। अनिल सहनी राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने जनादेश के साथ विश्वासघात किया है, जिसे जनता ने गंभीरता से लिया और कुढ़नी उपचुनाव में आईना दिखा दिया। उन्होंने कहा कि जब सात पार्टियां एक साथ होकर कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव नहीं जीत रहे तो 2024 में लोकसभा चुनाव में बिहार में आपको एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिलेगी।   

गुरुवार, 8 दिसंबर को कुढ़नी के नतीजे आने के बाद सबसे पहले आरजेडी प्रदेशअध्यक्ष जगदानंद सिंह ने ही महागठबंधन की आपसी तालमेल पर सवाल खड़े कर दिए थे। अब गठबंधन के दूसरे नेता भी ऐसे ही बयान दे रहे है। जिससे गठबंधन में दरारें दिखनी शुरू हो गई है। देखनेवाली बात होगी कि कुढ़नी की हार के बाद उपजे सियासी हालत से महागठबंधन कैसे निपट पाता है। हालांकि कुढ़नी उपचुनाव को लेकर आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि कुढ़नी चुनाव में मिली हजार दो हजार मतों के अंतर से हार को लेकर बीजेपी भ्रम न पाले। उनकी विश्वसनीयता राष्ट्रीय स्तर पर नहीं रही है। उनका मानना है कि 2024 में बीजेपी को हकीकत मालूम हो जाएगी।  

दरअसल कुढ़नी कि लड़ाई नीतीश कुमार के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई थी। और यहाँ आरजेडी ने अपनी सीटींग सीट गठबंधन की वजह से जेडीयू को दे दी थी।  नीतीश और तेजस्वी ने अपनी पूरी ताकत कुढ़नी सीट को जीतने के लिए लगा दी। महागठबंधन के साथ बीजेपी का यहाँ एकल मुकाबला था। नीतीश और तेजस्वी जीत को लेकर बेहद आशवस्त थे। लेकिन जीत हुई बीजेपी की। इसका अर्थ ये है कि कुढ़नी कि जनता ने महागठबंधन को नकार दिया। बीजेपी कि जीत से महागठबंधन में शामिल पार्टियों में अफरातफरी मची हुई है। वहीं कुढ़नी में जातीय वोट बैंक का सियासत भी टूट गया।   

2024 में लोकसभा का चुनाव इसके अगले साल 2025 में बिहार में विधानसभा का चुनाव हो रहा है। महागठबंधन में शामिल पार्टियों की बेचैनी का कारण दरअसल नीतीश कुमार सात-सात पार्टियों के साथ महागठबंधन की सरकार चला रहे है। बिहार के चुनाव में जातीय समीकरण का दावा होता रहा है। लेकिन कुढ़नी में नीतीश को पिछड़े वर्ग का साथ नहीं मिला। ऐसे में आगे आनेवाले चुनाव को लेकर महागठबंधन की चिंता बढ़ गई है। और इसलिए सत्ताधारी पार्टियों के नेता परेशान हैं।   

वहीं इससे पहले मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रचार नहीं किया गया था। इसे लेकर कई तरह की बातें हुई थी। जबकि विपक्ष का आरोप था कि नीतीश कुमार महागठबंधन को हराना चाहते हैं। इसलिए प्रचार प्रसार से दूरी बना ली है। वहीं, इससे पहले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी दावा किया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन को अलविदा कहकर एनडीए में वापसी करेंगे। हालांकि राजनीति में कब क्या होगा यह कोई नहीं कह सकता है। देखना यह भी होगा कि महागठबंधन में मचे घमासान के बीच नीतीश महागठबंधन को कितना मजबूत कर पाएंगे।  

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