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Saturday, September 21, 2024
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अंग्रेजों की परछाई से निकल रहा भारत  

राजपथ बना कर्तव्यपथ

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अंग्रेजों और मुगलों की परछाई से देश को बाहर निकालने का काम यूं तो मोदी सरकार पिछले काफी समय से कर रही थी। लेकीन अब उसकी एक और ताजा कड़ी सामने आ गई है। राष्ट्रीय राजधानी के ऐतिहासिक ‘राजपथ’ को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। आपको बता दें कि राजपथ अब ‘कर्तव्यपथ’ के नाम से जाना जाएगा। दरअसल, आजादी के 75 साल पूरे होने के बावजूद गुलामी वाली मानसिकता को समाप्त करने के प्रयासों के तहत यह फैसला लिया गया है। राष्ट्रपति भवन से लेकर विजय चौक, इंडिया गेट होते हुए राष्ट्रीय नेशनल स्टेडियम तक जाने वाले रास्ते को ‘राजपथ’ के नाम से जाना जाता है, जहां पर गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक परेड होती है। हालांकि सरकार ने ऐतिहासिक राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है। हालांकि इसका औपचारिक ऐलान अभी बाकी है। इसी संबंध में 7 सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई गई है। प्रस्ताव को परिषद के समक्ष रखा जाएगा। जिसके बाद इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरा मार्ग और क्षेत्र कर्तव्यपथ से जाना जाएगा।  

प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस में औपनिवेशिक सोच दर्शाने वाले प्रतीकों को समाप्त करने पर जोर दिया था। राजपथ के अलावा भी कई जगहों के नामों में बदलाव किए जा चुके है। आजादी के बाद इन महत्वपूर्ण सड़कों के नाम जो की अंग्रेजी ब्रिटिश सम्राटों के नाम पर थे उसमें परिवर्तन करते हुए प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक, क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद रोड, किंग जॉर्ज एवेन्यू रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था। वहीं दूसरी ओर भारतीय शासकों और शासक राजवंशों के नाम पर भी सड़कों के नाम रखे गए थे। जैसे- फिरोजशाह रोड, पृथ्वीराज रोड, लोदी रोड, औरंगजेब रोड इन सभी नामों में बदलाव किया गया था। वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल में कई रास्तों का नाम बदला गया है। उसमें साल 2015 में रेडक्रॉस रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया, जहां प्रधानमंत्री आवास है। साल 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर दराशिकोह रोड कर दिया गया। इन सब को देख कर अभ्यास हो रहा है कि देश चुन-चुन कर अब अंग्रेजों की परछाई से निकल रहा है।  

अब बात करते है ब्रिटिश काल की शाही पहचान राजपथ जिसे पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। किंग्सवे का इतिहास बहुत ही रोचक है आखिरी कैसे पड़ा यह नाम? 1911 में किंग जार्ज पंचम दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए यहाँ आए थे। इस दौरान कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी। इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा था। जिसके बाद किंग्सवे का नाम यह ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान का प्रतीक बन गया था। इसके बाद भारत की स्वतंत्रता के दरम्यान 1955 में इसका नाम बदलकर राजपथ किया गया। किंग्सवे से राजपथ और 66 साल बाद अब कर्तव्यपथ यानी यह संदेश देने की कोशिश की शासकों का दौर खत्म हुआ, कर्तव्य निभाने का दौर शुरू हो रहा है। किंग्सवे से कर्तव्यपथ तक की यात्रा बदलाव, बदलते अर्थों और पहचानों का उदाहरण प्रदर्शित कर रहा है। भारत की पीएम मोदी लगातार देश को अंग्रेजों की परछाई से निकालने पर जोर देते रहे है। 15 अगस्त के अलावा पिछले दिनों भारत के नौसेना को नया झण्डा देने के मौके पर भीे पीएम मोदी ने यह बात कहीं थी किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारे आदतों में गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देंगे, सैकड़ों साल की गुलामी ने जहां हमें जकड़ कर रखा है यानी हमारे मनोभाव को बांध करके रखा हुआ है, हमारी सोच में विकृतियाँ पैदा करके रखी है। हमें गुलामी की छोटी सी छोटी चीज भी कहीं नजर आती है, हमारे भीतर नजर आती है, हमारे आसपास नजर आती है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। 

वहीं दूसरी तरफ राजपथ के नाम में किए गए बदलाव के फैसले पर तीखी सियासी प्रक्रिया भी देखने मिली है, दरअसल काँग्रेस नेता तारिक अनवर ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि नामकरण करने में भाजपा का कोई जवाब नहीं है। वह पुराने शहर का नाम बदल देते है, कभी स्टेशन का नाम बदलते है, कभी सड़क का नाम बदलते है। और अब राजपथ जो कि सारे देश में इस नाम से यह पथ मशहूर था, यूं कहा जाएं की लोगों के दिल और दिमाग में यह नाम बैठा हुआ है। उसका भी नाम इन्होंने बदल दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा कुछ नया निर्माण नहीं कर रही है। इसके बाद आरजेडी और टीएमसी ने भी इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है आरजेडी के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने ट्वीट करते हुए कहा कि पहले रोडकोर्स लोककल्याण मार्ग बना, अब राजपथ कर्तव्य पथ हो चला लेकिन आज की सबसे बड़ी चुनौतियों मसलन बेरोजगारी, महंगाई, बिगड़ते सामाजिक सौहार्द पर इसका सकारात्मक प्रभाव हो तो स्वीकार्य है। वहीं इस बदलाव पर तृणमूल काँग्रेस की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने भाजपा पर निशाना साधा उन्होंने ट्वीट कर कहा कि क्या हो रहा है? क्या बीजेपी ने हमारी संस्कृति और हमारी विरासत को अपने पागलपन में फिर लिखने के लिए इसे अपना एकमात्र कर्तव्य बना लिया है? केंद्र सरकार की योजना पर कटाक्ष किया और कहा कि जिस तरह से राजपथ के नाम में बदलाव करते हुए कर्तव्यपथ नाम दिया गया उम्मीद हैं कि प्रधानमंत्री के नए आधिकारिक आवास का नाम किंक कर्तव्य मूढ़ मठ होगा। आपको बात दें कि इसका शाब्दिक अर्थ घबराया हुआ मठ होता है। सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें राजपथ का नाम बदलकर ‘राजधर्म पथ’ करना चाहिए था, जिससे अटल बिहारी वाजपेयी जी की आत्मा को शांति मिलती। वहीं दूसरी तरफ पार्टी के ही नेता मिलिंद देवड़ा ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कर्तव्य पथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर की ओर जाने वाली सड़क का उपयुक्त नाम है।राजपथ के नाम में किए गए बदलाव पर इन नेताओं का विरोध इनकी मानसिकता को दिखाता हैं भारत को अंग्रेज और मुगलों की परछाई से निकालने में जहां पीएम मोदी प्रयास कर रहे हैं वहीं भाजपा को नीचा दिखने के चक्कर में यह नेता खुद को ही अंधकार में ले जाने का प्रयास का रहे है।
 

राजपथ को पहले एलीट क्लास के लिए सड़क के रूप में देखा जा सकता था। जब इसका नाम राजपथ किया गया तो इस मूल में भी बदलाव देखने को मिला।  यह वास्तव में आम आदमी के लिए एक सड़क बन गई है। राजपथ से देश ने आजादी के बाद कई विरोध आंदोलनों का जन्म होते देखा है। 1988 में यहाँ किसानों का विशाल विरोश प्रदर्शन हुआ था। 2012 में निर्भय की मौत के बाद का विरोध प्रदर्शन भी यहीं हुआ था। साल 2019 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का गवाह भी ऐतिहासिक राजपथ रहा है। इसके आलवा हर साल देश अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का नजर भी इसी ऐतिहासिक राजपथ पर देखता है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी आठ सितंबर की शाम पूरे क्षेत्र का उद्धाटन करेंगे। 

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