ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए। यह कबीर दास का दोहा हर किसी ने सूना होगा। इसमें कड़वी बातें नहीं कहने की नसीहत दी गई हैं। इसका जो भाव है वह इस प्रकार है कि “सभी व्यक्ति को ऐसी भाषा का उपयोग करना चाहिए जिसको सुनकर व्यक्ति खुद को आनंदित महसूस करे। इसके साथ खुद का मन भी आनंद महसूस करे या आनंद से भर जाए।
कबीर दास के दोहे का यहां जिक्र करने का मतलब यह है कि, एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा है कि आज की राजनीति में शालीन भाषा का उपयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने यह बात मंगलवार को कही। इस दौरान वे 1970 के महाराष्ट्र की राजनीति पर बनी मराठी फिल्म “सिंहासन” के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि ” आज राजनीति ने अपनी शालीनता खो दी है। अब जिस अतिवादी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। वह अतीत में कभी भी राजनीति विमर्श का विषय नहीं रहा।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि शरद पवार किसको नसीहत दे रहे हैं और इतनी देर से उन्हें क्यों राजनीति में शालीन भाषा के खो जाने का डर है। जब महाविकास अघाड़ी की सरकार थी तो उन्होंने न अपने नेताओं को शालीन भाषा बोलने की नसीहत दी और न अब दे रहे हैं। वैसे भी शरद पवार पर अवसरवाद की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। इतना ही नहीं शरद पवार अपने या परिवार की सुविधा के अनुसार ही राजनीति की व्याख्या करते हैं।
आज शरद पवार राजनीति में से शालीनता जाने का अफसोस जता रहे है। जिस संजय राउत के पास बैठकर शरद पवार राजनीति की चर्चा करते हैं वे ऐसा कोई दिन नहीं है जब संजय राउत गाली गलौच से अपनी सुबह की शुरुआत न किये हो। क्या शरद पवार ने कभी भी संजय राउत को शालीन भाषा बोलने की सलाह दी। ऐसा नहीं लगता है कि शरद पवार संजय राउत को ऐसी कोई नसीहत दिए होंगे और संजय राउत उसे अमल में लाये होंगे।
संजय राउत जिस तरह की गुंड़ाछाप वाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं उससे तो यही लगता है कि उन्हें गाली देने के लिए कहा गया है। इसकी नींव तभी पड़ गई जब उद्धव ठाकरे बीजेपी का साथ छोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ चले गए। उसके बाद से आज तक संजय राउत अपनी भाषा पर लगाम नहीं लगाया और आज भी उनकी बेलगाम जुबान गाली का नाश्ता करती है। और उनके विरोधी बिलबिला कर रह जाते हैं। शायद अब शरद पवार की यह बात संजय राउत सुन लें तो गाली न दे।
बहरहाल, कहा जाता है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद से ही गाली गलौच शुरू हो गया। संजय राउत ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ जिस तरह की भाषा उपयोग किया करते हैं। वह शायद ही किसी राज्य में ऐसी विवादित टिप्पणी किसी पार्टी या नेता के लिए उपयोग की जाती हो। लेकिन संजय राउत बेशर्मी की हद पार कर चुके हैं और कुछ भी बोलते रहते हैं। संजय राउत की बात करने से पहले शरद पवार के घर यानी पार्टी के नेता नवाब मलिक की कुंडली खंगाल लेते हैं।
शायद शरद पवार को नवाब मलिक को नसीहत देनी चाहिए थी। उनके ही पार्टी के नेता हैं ,धन शोधन के मामले में जेल की हवा खा रहे हैं। शरद पवार ने सार्वजनिक मंच से बहुत ही अच्छी बात कही है, लेकिन इस नसीहत का क्या मतलब है, उन्हें यह भी बताना चाहिए। ताकि नई पीढ़ी कुछ सीखे। बहरहाल, अब नवाब मलिक की बात करते हैं ,जो शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स लेने और देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
मालूम हो कि आर्यन खान के साथ ही कई और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद नवाब मलिक ने एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को टारगेट करते रहे थे। कभी वे उन पर मुस्लिमों को फंसाने का आरोप लगाते रहे। तो कभी उनके हिन्दू होने पर सवाल खड़ा करते रहे। मलिक ने जिस तरह से गड़े मुर्दे उखाड़ते रहे। उससे साफ़ था कि वे समीर वानखेड़े से अपना बदला ले रहे थे। ऐसा कोई दिन नहीं छूटता था कि मलिक कोई न कोई कागज़ का पुलिंदा लेकर प्रेस कांग्रेस करते नजर न आये हो।
मलिक ने समीर वानखेड़े को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लेते रहे। कभी वे शादी की तस्वीर शेयर करते तो कभी उनके नाम पर सवाल खड़ा करते थे। यह मामला लगभग दो माह से ज्यादा खींचा। यहां तक की इन्ही सब बातों को लेकर मलिक को कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ी थे। अगर, शायद शरद पवार यही नसीहत पहले दिए होते तो मलिक की दुर्दशा नहीं हुई होती, और न ही उन्हें समीर वानखेड़े मामले में कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ती।
लेकिन, जिस तरह से नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ विवादित टिप्पणी करते थे। उसी का नजीता था कि मलिक को कोर्ट में अपने बयान के लिए माफ़ी मांगी थी। पर अफ़सोस यही है कि उस समय शरद पवार नवाब मलिक को नसीहत नहीं दे पाए थे। इसके अलावा एनसीपी के और नेताओं ने अपने विपक्षी के नेताओं पर गाली की बौछार करते रहे।
इसी तरह के उद्धव गुट के नेता संजय राउत हैं। जो महाराष्ट्र एक मात्र ऐसे नेता हैं जो नवाब मलिक को गाली देने में टक्कर देते रहे हैं। संजय राउत की छवि गालीबाज की बन गई है। लेकिन क्या शरद पवार संजय राउत को किसी को गाली नहीं देने की नसीहत दी। संजय राउत तू तडाक से बाप पर आ चुके हा है। संजय राउत का एक बयान नहीं है जो माफ़ी योग्य हो ,लेकिन महाराष्ट्र में संजय राउत ही ऐसे व्यक्ति है जो रोज सार्वजनिक मंच से गाली देते रहे हैं।
बीते साल एक ऑडियो वायरल हुआ था जो 17 सेकंड का था जिसमें एक महिला को पुरुष 27 बार गाली देता हुआ सूना जा सकता था। महिला ने आरोप लगाया था गाली देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि संजय राउत हैं। इस मामले में मुंबई के वकोला पुलिस थाने में मामला भी दर्ज किया गया था। बहरहाल, देखना होगा कि शरद पवार की इस नसीहत को राजनीति में किस तरह से लिया जाता है। और क्या नेता शरद पवार की सलाह को मानेंगे ?
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